मकोका केस में उमेश काला की जमानत याचिका खारिज, कोर्ट ने गिरोह की सक्रियता पर जताई चिंता
दिल्ली हाई कोर्ट ने मकोका मामले में उमेश उर्फ काला की जमानत याचिका खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि मामले में सुनवाई चल रही है और गवाहों के बयान दर्ज हो रहे हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि काला एक खतरनाक गिरोह का सदस्य है और उसकी रिहाई से अपराध बढ़ने की आशंका है। अभियोजन पक्ष ने बताया कि काला हत्या जैसे गंभीर अपराधों में शामिल रहा है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के मामले दिल्ली हाई कोर्ट ने आरोपित उमेश उर्फ काला को यह कहते हुए जमानत देने से इन्कार कर दिया गया कि मामले में अगस्त 2024 में तय हो चुके हैं और प्रकरण में दस गवाहों का बयान भी रिकाॅर्ड किया जा चुका है। प्रकरण में कुल 88 गवाह हैं, लेकिन इसमें यह नहीं कहा जा सकता है कि ट्रायल में देरी हुई है और यह भी नहीं कहा जा सकता कि प्रकरण के ट्रायल में कोई प्रगति नहीं हुई है।
गतिविधि अन्य सदस्यों द्वारा चल रही
न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने यह भी कहा कि इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है कि सुनील उर्फ टिल्लू जैसे खतरनाक गिरोह का सदस्य रहे आरोपित को अगर जमानत पर रिहा किया गया तो वह दोबारा अपराध नहीं करेगा। अदालत ने कहा कि भले ही गैंग्स्टर सुनील टिल्लू की मौत हो चुकी है, लेकिन गिरोह की गतिविधि अन्य सदस्यों द्वारा चल रही है।
गोगी गैंग के साथ दुश्मनी चल रही
अदालत ने यह भी कहा इस गैंग की जितेंद्र उर्फ गोगी गैंग के साथ दुश्मनी चल रही है। इस कारण कई सदस्यों की हत्या हो चुकी है। उक्त तथ्यों को तथ्यों को देखते हुए आरोपित को जमानत पर रिहा करने का कोई आधार नहीं है। हालांकि, आरोपित उमेश उर्फ काला की जमानत याचिका खारिज करते हुए पीठ ने कहा कि लंबी कारावास या मुकदमे में देरी जैसे कारकों को अपराध की गंभीरता पर विचार किए बिना जमानत देने के एकमात्र कारक के रूप में नहीं लिया जा सकता है।
ट्रायल में देरी हो रही
आरोपित ने बीमार माता-पिता व पत्नी की देखभाल के लिए नियमित जमानत की मांग की। आरोपित ने कहा कि वह छह साल सात महीने से न्यायिक हिरासत में है और उसे मामले में झूठा फंसाया गया है। उसने कहा कि मामले में अब भी बड़ी संख्या में गवाहों का परीक्षण होना बाकी है और ट्रायल में देरी हो रही है।
अपराध सिंडिकेट का आतंक और भय बढ़ा
वहीं, जमानत याचिका का विरोध करते हुए अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि सुनील उर्फ टिल्लू गिरोह के संगठित अपराध सिंडिकेट का उमेश उर्फ काला एक सक्रिय सदस्य है और हत्या सहित अन्य जघन्य अपराधों में शामिल रहा है। इतना ही नहीं सरेआम अपने प्रतिद्वंद्वी गिरोह के सदस्यों की हत्या में शामिल रहा है। इससे दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में इस संगठित अपराध सिंडिकेट का आतंक और भय बढ़ गया था।
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