दिल्ली में आसान हुआ भूमि पंजीकरण, NOC की अनिवार्यता खत्म; रेखा सरकार ने नियम में किया बदलाव
दिल्ली सरकार ने भूमि पंजीकरण प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। अब ज्यादातर मामलों में भूमि पंजीकरण के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) और भूमि स्थिति रिपोर्ट (एलएसआर) की जरूरत नहीं होगी। मुख्यमंत्री ने बताया कि यह फैसला लोगों को राजस्व और जमीन से जुड़े मामलों में होने वाली असुविधा को कम करने के लिए किया गया है।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। राजधानी के लोगों को ‘जीवनयापन में आसानी’ (ईज ऑफ लिविंग) और ‘व्यापार करने में आसानी’ (इज ऑफ डुइंग बिजनेस) पर अमल कर रही दिल्ली सरकार ने एक और महत्वपूर्ण निर्णय लिया है।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में सरकार ने एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए भूमि पंजीकरण (रजिस्ट्रेशन) की प्रक्रिया को सरल बनाने की दिशा में एक विशेष बदलाव किया है। अब अधिकतर मामलों में भूमि पंजीकरण के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) और भूमि स्थिति रिपोर्ट (एलएसआर) की आवश्यकता नहीं होगी।
मुख्यमंत्री ने इस बदलाव की जानकरी देते हुए बताया दिल्ली के लोगों का जीवन सुगम व सुविधाजनक बनाने के लिए हमारी सरकार पिछले पांच माह से लगातार कार्य कर रही है। इस दौरान देखा गया है कि आम जन को पटवारी, तहसीलदार, एसडीएम-डीएम ऑफिस में राजस्व या जमीन से जुड़े मामलों में असुविधा का सामना करना पड़ता है और जहां आवश्यक नहीं है, वहां भी उन्हें एनओसी पाने के लिए लाइनों की लगना पड़ता है।
इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए हमारी सरकार ने विशेष बदलाव लिया है। अब भूमि पंजीकरण के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) और भूमि स्थिति रिपोर्ट (एलएसआर) की आवश्यकता नहीं होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस विशेष बदलाव को लेकर धोखाधड़ी से बचाव के लिए विशेष उपाय किए जा रहे हैं। ग्राम सभा, वन भूमि, अधिग्रहणाधीन या निषिद्ध श्रेणी की भूमि की सुरक्षा होगी, फर्जी लेन-देन की स्थिति में सख्त कानूनी कार्यवाही की जाएगी और जीआईएस प्रणाली और पटवारी नेटवर्क के माध्यम से निगरानी को मजबूत किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ई-गवर्नेंस, पारदर्शिता और नागरिक सुविधा को प्राथमिकता दे रही है। यह सुधार दिल्ली में पारदर्शी और सरल भूमि पंजीकरण की दिशा में एक निर्णायक कदम है। इससे नागरिकों को राहत मिलेगी और अनावश्यक कागजी कार्यवाही समाप्त होगी।
अब केवल सीमित मामलों में ही एनओसी/एलएसआर की आवश्यकता रहेगी, यानी केवल उन मामलों में जहां दिल्ली लैंड्स (स्थानांतरण पर प्रतिबंध) अधिनियम, 1972 की धारा 8 या ईस्ट पंजाब होल्डिंग्स (संघनन और खंडन की रोकथाम) अधिनियम, 1948 की धारा 30 लागू होती है। अन्य सभी मामलों में राजस्व विभाग से किसी अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी।
जब तक कानून में स्पष्ट रूप से आवश्यक न हो, तब तक पंजीकरण के लिए एनओसी या एलएसआर अनिवार्य नहीं होगा। उप-पंजीयक केवल कानूनी आधार पर दस्तावेजों का पंजीकरण करेंगे और भारतीय पंजीकरण अधिनियम-1908 के तहत निर्धारित शर्तों के अनुसार ही दस्तावेज पंजीकृत किए जाएंगे।
इस बदलाव को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए पारदर्शिता व सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई है। जैसे ‘क्रेता सावधान रहे’ क्लॉज लागू किया जाएगा, जिससे खरीदार भूमि की स्थिति और स्वामित्व की जांच स्वयं सुनिश्चित करेंगे, भूमि की स्थिति से संबंधित जानकारी सरकारी पोर्टल पर नियमित रूप से अपडेट की जाएगी।
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