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    AIIMS के शोध ने बढ़ाई चिंता: लोगों का मानसिक स्वास्थ्य बिगाड़ रही भीषण गर्मी, जानिए जिंदगी पर कितना खतरनाक असर पड़ रहा

    Updated: Tue, 18 Jun 2024 08:41 PM (IST)

    भीषण लू से इन दिनों लोग बेहाल हैं। तेज बुखार व बेहोशी की हालत में कई लोग अस्पतालों में भर्ती भी हो रहे हैं। इस बीच डॉक्टर बताते हैं कि इस बार लू अधिक चलने से भीषण गर्मी मानसिक स्वास्थ्य भी बिगाड़ रही है। इस वजह से लोगों में नींद न आने की समस्या तनाव चिड़चिड़ापन इत्यादि समस्या बढ़ गई है।

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    लोगों का मानसिक स्वास्थ्य बिगाड़ रही भीषण गर्मी।

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। Heat Wave Affect People Life: भीषण लू से इन दिनों लोग बेहाल हैं। तेज बुखार व बेहोशी की हालत में कई लोग अस्पतालों में भर्ती भी हो रहे हैं। इस बीच डॉक्टर बताते हैं कि इस बार लू अधिक चलने से भीषण गर्मी मानसिक स्वास्थ्य भी बिगाड़ रही है। इस वजह से लोगों में नींद न आने की समस्या, तनाव, चिड़चिड़ापन इत्यादि समस्या बढ़ गई है। इससे ज्यादा चिंता की बात यह है कि लंबे समय तक भीषण गर्मी रहने से मृत्यु दर भी बढ़ सकती है।

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    एम्स (AIIMS) द्वारा छह वर्ष पहले लू के दुष्प्रभाव को लेकर किए गए एक अध्ययन में भी यह बात कही गई है कि भारत में गर्मी में लू चलने के दौरान सभी तरह से होने वाली मृत्यु दर 41 प्रतिशत बढ़ सकती है। एम्स ने 812 शोध पत्रों को खंगालने के बाद उसका समीक्षात्मक अध्ययन कर यह निष्कर्ष निकाला था।

    गर्मी में बीमारी के कारण हो सकती है मौत

    यह अध्ययन करने वाले एम्स के कम्युनिटी मेडिसिन के विशेषज्ञ डॉ. हर्षल आर. साल्वे ने बताया हाल में भी कुछ ऐसे शोध आए हैं, जिसमें यह बात सामने आई है कि लंबे समय तक गर्मी का असर रहने से विभिन्न बीमारियों के कारण होने वाली मृत्यु दर बढ़ सकती है।

    मस्तिष्क का संतुलन बिगड़ता है

    उन्होंने बताया कि लू का तात्कालिक व दीर्घकालिक दो तरह का असर होता है। तात्कालिक प्रभाव के रूप में लू से इक्जर्शन होता है। इसके अलावा भीषण गर्मी की वजह से मस्तिष्क का संतुलन बिगड़ जाता है। इससे गफलत की स्थिति बन जाती है। इसके अलावा आंखों में भी जलन हो सकती है।

    लू से होती हैं ये भी परेशानियां

    लू लगने से तेज बुखार व बेहोशी होती है। दीर्घकालिक प्रभाव के रूप में हृदय रक्त वाहिनियों व हाइपरटेंशन की समस्या बढ़ सकती है। खास तौर पर जिन्हें पहले से हृदय की बीमारी हो उन्हें समस्या अधिक हो सकती है। इसके अलावा बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं व बच्चों पर इसका असर अधिक हो सकता है।

    क्या कह रहे मनोचिकित्सक

    एम्स के मनोचिकित्सा विभाग के प्रोफेसर डॉ. राजेश सागर ने बताया कि भीषण गर्मी होने से पसीना अधिक आने के कारण डिहाइड्रेशन व इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन होता है। इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन होने से शरीर में सोडियम व पोटेशियम की मात्रा कम हो जाती है। सोडियम कम होने से मस्तिष्क पर असर पड़ता है और गफलत की स्थिति बनने लगती है।

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    इससे ध्यान में कमी व संज्ञानात्मक हानि जैसी परेशानी होती है। इसके अलावा इन दिनों गर्मी के कारण कई लोगों को चिड़चिड़ापन, गुस्सा, तनाव, बेचैनी जैसी समस्या हो रही है। गर्मी के कारण थकान होने से काम करने की क्षमता भी प्रभावित होती है। इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन के कारण शरीर में पोटेशियम कम होने से हृदय पर इसका दुष्प्रभाव पड़ता है।

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