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    उम्र 7 साल, 26 किलो वजन, धड़कन 200 प्रति मिनट; दिल्ली में इराकी बच्चे की जान बचाने का डॉक्टरों ने किया कमाल

    Updated: Tue, 07 Oct 2025 07:20 PM (IST)

    दिल्ली के फोर्टिस एस्कार्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट ने एक 26 किलो के इराकी बच्चे की जान बचाई जो इंसेसेंट टैकीकार्डिया से पीड़ित था। डॉक्टरों ने इलेक्ट्रोफिजियोलाजी स्टडी और रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन जैसी जोखिम भरी प्रक्रियाएं कीं। बच्चे के हृदय में एक असामान्य सर्किट था। डॉ. अपर्णा जसवाल और डॉ. अमितेश चक्रवर्ती की टीम ने सावधानीपूर्वक इलाज किया जिससे बच्चे के हृदय की गति सामान्य हो गई।

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    फोर्टिस अस्पताल में इराकी बच्चे के साथ डाॅ. अपर्णा जसवाल। सौ. अस्पताल

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। महज सात वर्ष का इराकी बच्चा। वजन महज 26 किलोग्राम। दिल की धड़कन 170 से 200 प्रति मिनट। वह इंसेसेंट टैकीकार्डिया से पीड़ित था। यह दिल से संबंधित ऐसा विकार है, जिसमें हृदय की मांसपेशियां कमजोर पड़ने लगती हैं और हार्ट फेल होने की आशंका बढ़ जाती है। फोर्टिस एस्कार्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट ने बच्चे पर इलेक्ट्रोफिजियोलाजी स्टडी एवं रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन की प्रक्रिया सफलतापूर्वक करके उसकी जान बचाई। यह प्रक्रिया जोखिम भरी इसलिए थी कि इसे आमतौर पर 30 किलोग्राम से कम वजह वाले बच्चों पर नहीं किया जाता। प्रक्रिया के एक सप्ताह के भीतर ही बच्चा सामान्य हो गया।

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    बच्चे का वजन मात्र 26 किलो 

    अस्पताल के मुताबिक, बच्चा हृदय में असामान्य सर्किट के साथ जन्मा था। जब उसे लाया गया तो हृदय गति असामान्य थी। बच्चे का वजन केवल 26 किलो था।

    डिपार्टमेंट ऑफ कार्डियक पेसिंग एंड इलेक्ट्रोफिजियोलाजी की निदेशक डाॅ. अपर्णा जसवाल और सीनियर कंसल्टेंट डाॅ. अमितेश चक्रवर्ती की टीम ने पहले इलेक्ट्रोफिजियोलाजी स्टडी और रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन करने का निर्णय लिया।

    इलेक्ट्रोफिजियोलाजी स्टडी एक प्रकार का डायग्नास्टिक टेस्ट, जो असामान्य हृदय गति का पता लगाने और उसका उपचार करने के लिए इलैक्ट्रिक सिस्टम का मूल्यांकन करता है।

    जरा सी देरी से जा सकती थी जान

    वहीं, रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन अरथेमिया का कारण बनने वाले डिस्फंक्शनल हार्ट टिश्यू को नष्ट करने वाले आल्टरनेटिंग करंट से पैदा होने वाली हीट का उपयोग करने वाली मेडिकल प्रक्रिया है। डा. अपर्णा ने बताया कि मरीज की कंडीशन लगातार बिगड़ रही थी।

    यदि इलाज में देरी की जाती तो हार्ट फेल होने की आशंका बढ़ सकती थी। टीम ने छोटे आकार के हृदय की संरचनाओं और महीन धमनियों की सुरक्षा के लिए काफी सावधानी बरती। दो घंटे तक इलाज कर इस बच्चे के असामान्य इलेक्ट्रिकल मार्ग का सावधानीपूर्वक उपचार किया, जिससे उसके हृदय की सामान्य हृदय गति बहाल हो पाई।

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