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    कोरोना के बाद बढ़ा मानसिक तनाव, दिल्ली में आत्महत्या के बढ़ते मामले रोकेंगे 100 नए मानसिक स्वास्थ्य केंद्र

    Updated: Thu, 02 Oct 2025 02:20 PM (IST)

    दिल्ली में मानसिक स्वास्थ्य एवं अवसाद के कारण आत्महत्या के बढ़ते मामलों को कम करने के लिए राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत दिल्ली में 100 नए कम्युनिटी मेंटल हेल्थ सेंटर्स खोलने की योजना है। इन केंद्रों पर मुफ्त काउंसलिंग योग ध्यान और मेंटल थेरेपी जैसी सेवाएं दी जाएंगी। पहले चरण में अक्टूबर से 20 केंद्र खोले जाएंगे विशेष रूप से उन जिलों में जहां आत्महत्या की दर अधिक है।

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    कम्युनिटी मेंटल हेल्थ सेंटर से सुधरेगा दिल्ली के लोगों का मानसिक स्वास्थ्य

    अनूप कुमार सिंह, नई दिल्ली।  राष्ट्रीय राजधानी में अवसाद, पारिवारिक कलह और अन्य कारणों से की जाने वालीं आत्महत्याओं का ग्राफ बढ़ गया है। विशेषकर कोरोना महामारी के बाद मामले बढ़े हैं। कोरोना से पहले जहां इनका आंकड़ा प्रतिवर्ष 2500 के आस-पास था। वहीं अब कोरोना काल और उसके बाद यह 3,000 को पार कर गया है। नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार दिल्ली में आत्महत्याएं सबसे अधिक हो रही हैं। यहां औसतन प्रतिदिन नौ आत्महत्या के मामले सामने आ रहे हैं। यह स्थिति चिंताजनक है। इससे निपटने के लिए केंद्र व दिल्ली के स्वास्थ्य विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है।

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    अक्टूबर में ही शुरू करने की है योजना

    राष्ट्रीय मेंटल हेल्थ प्रोग्राम के तहत लोगों के मानसिक स्वास्थ्य सुधारने के लिए 100 नए कम्युनिटी मेंटल हेल्थ सेंटर्स का नेटवर्क दिल्ली में खड़ा करने की योजना है।

    इसकी शुरुआत इसी माह होने की उम्मीद है।  स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, मेंटल हेल्थ सेंटर में मानसिक रोग विशेषज्ञ और सलाहकार फ्री काउंसिलिंग, योग सत्र, ध्यान, समूह चर्चा और मेंटल थेरेपी के माध्यम से लोगों का तनाव दूर करने का प्रयास करेंगे।

    अभी तक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की तरह ऐसे केंद्रों की उपलब्धता नहीं है, इसकी वजह से शुरुआत में ही ऐसे लोगों की काउंसिलिंग नहीं हो पाती है।

    छोटी बीमारियों का जिस तरह से इलाज इन प्राथमिक केंद्रों पर हो जाता है। वैसे ही तनाव, अवसाद या पारिवारिक कलह से जूझ रहे लोगों को भी एक सेंटर मिल जाएगा, जहां उन्हें बेहतर काउंसिलिंग मिल सकेगी।

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    जरूरत पड़ने पर कांउसलर जाएंगे घर

    इस सवाल पर कि लोग केंद्रों पर कैसे पहुंचेंगे, अधिकारियों ने बताया कि अगर किसी को लगता है कि उनके आस-पास ऐसे व्यक्ति हैं जिन्हें काउंसिलिंग की जरूरत है तो वह इसकी सूचना मेंटल हेल्थ सेंटर को देंगे। इसके लिए हेल्पलाइन नंबर भी होगा। इसके माध्यम से भी सूचना दी जा सकती है। जरूरत पड़ने पर कांउसलर घर पर जा सकते हैं।

    दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री डाॅ. पंकज सिंह ने हाल ही में एक कार्यक्रम में कहा कि ‘हमारा लक्ष्य 2026 तक सभी 100 केंद्रों को आरंभ करना है। पहले चरण में 20 सेंटर उत्तरी, पश्चिमी और दक्षिणी जिलों में बनेंगे, जहां आत्महत्या दर सबसे ऊंची है। यह तनावमुक्त दिल्ली की दिशा में बड़ा कदम साबित होगा।

    किस जिले में कितने केंद्र बनाए जाएंगे?

    उत्तरी दिल्ली जिला: 12 केंद्र

    • यहां घनी आबादी वाले क्षेत्रों जैसे रोहिणी, मंगोलपुरी और नरेला पर फोकस। सामुदायिक केंद्रों और स्कूलों के पास बनेंगे।

    उत्तरी-पश्चिमी दिल्ली: 10 केंद्र

    • अशोक विहार, रोहिणी एक्सटेंशन और कंझावला जैसे क्षेत्रों में प्रोफेशनल्स के लिए कार्पोरेट वर्कशाप पर जोर।

    पश्चिमी दिल्ली: 11 केंद्र

    • राजौरी गार्डन, द्वारका और उत्तम नगर में। घर-घर पहुंच वाली मोबाइल यूनिट्स के साथ एकीकृत।

    नई दिल्ली जिला: 8 केंद्र

    • केंद्रीय इलाकों जैसे कनाट प्लेस, मंडी हाउस और इंडिया गेट के आसपास। पर्यटक और प्रवासी पेशेवरों के लिए विशेष सत्र।

    मध्य दिल्ली: 9 केंद्र

    • करोल बाग, सदर बाजार और चांदनी चौक में। बुजुर्गों और महिलाओं के लिए समर्पित काउंसलिंग जोन।

    दक्षिणी दिल्ली: 12 केंद्र

    • ग्रेटर कैलाश, साकेत और लाजपत नगर जैसे इलाकों में। योग और माइंडफुलनेस सेशंस पर विशेष ध्यान।

    दक्षिण-पश्चिमी दिल्ली: 10 केंद्र

    • द्वारका सब-सिटी, वसंत विहार और महिपालपुर में। हवाई अड्डे के पास रहने वाले प्रवासियों के लिए 24 घंटे हेल्पलाइन इंटीग्रेशन।

    दक्षिणी-पूर्वी दिल्ली: 9 केंद्र

    • ओखला, कालकाजी और फरीदाबाद रोड क्षेत्र में। औद्योगिक जोनों के पास मजदूर वर्ग के लिए सुलभता।

    पूर्वी दिल्ली: 11 केंद्र

    • मयूर विहार, लक्ष्मी नगर और गाजियाबाद बर्डर इलाकों में। छात्रावासों और कोचिंग सेंटर्स के निकट।

    उत्तरी-पूर्वी दिल्ली: 8 केंद्र

    • बुराड़ी, शाहदरा और गोकुलपुरी में। सीमावर्ती क्षेत्रों में सामुदायिक जागरूकता कैंप।

    क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

    इहबास के पूर्व निदेशक डाॅ. निमेष जी. देसाई का कहना है कि कोरोना ने मानसिक स्वास्थ्य संकट को उजागर किया। मोबाइल और इंटरनेट क्रांति ने इस संकट को और गहरा किया है। देश में इस समय 88 करोड़ से अधिक इंटरनेट उपयोगकर्ता हो चुके हैं। ग्लोबल डिजिटल टाइम रिपोर्ट के अनुसार औसत भारतीय प्रतिदिन छह से आठ घंटे इंटरनेट का उपयोग करता है। उनमें अवसाद, अकेलेपन की समस्या अधिक पाई गई है। कम्युनिटी मेंटल हेल्थ सेंटर जैसी पहल आत्महत्या के मामलों को रोकने में कारगर साबित हो सकती है।

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