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    हत्या के बाद शव को टुकड़ों में काट देता था...जुर्म के बाद छोड़ता था पत्र; कौन है सीरियल किलर चंद्रकांत झा

    Updated: Sun, 19 Jan 2025 07:07 AM (IST)

    पैरोल के दौरान फरार हुए सीरियल किलर चंद्रकांत झा को एक वर्ष बाद गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस ने उस पर 50 हजार का इनाम रखा था। 1998 से 2007 के बीच इसने एक के बाद एक सात लोगों की बेरहमी से हत्या की थी जिनमें तीन लोगों के शव के टुकड़े को इसने तिहाड़ जेल के गेट नंबर एक व तीन के बाहर फेंक दिए थे।

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    सीरियल किलर चंद्रकांत झा को एक वर्ष बाद गिरफ्तार कर लिया गया है (फाइल फोटो)

     जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। पैरोल के दौरान फरार हुए सीरियल किलर चंद्रकांत झा को एक वर्ष बाद गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस ने उस पर 50 हजार का इनाम रखा था। 1998 से 2007 के बीच इसने एक के बाद एक सात लोगों की बेरहमी से हत्या की थी, जिनमें तीन लोगों के शव के टुकड़े को इसने तिहाड़ जेल के गेट नंबर एक व तीन के बाहर फेंक दिए थे।

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    चंद्रकांत पर बन चुकी है डाक्यूमेंट्री

    हत्या के दो मामलों में उसे फांसी की सजा मिली थी, जिसे बाद में उम्रकैद में बदल दिया गया। चंद्रकांत शवों के साथ पत्र भी छोड़ता था, उक्त पत्रों पर नीचे ''तुम्हारा बाप या जीजाजी'' जैसे शब्द लिखकर पुलिस को पकड़ने की चुनौती देता था। बेहद चर्चित मामला होने के कारण इसको लेकर नेटफ्लिक्स पर 'इंडियन प्रीडेटर, द बुचर आफ दिल्ली' नाम से डाक्यूमेंट्री भी बन चुकी है।

    1990 में वह रोजगार की तलाश में दिल्ली आया था

    डीसीपी संजय कुमार सेन के मुताबिक, चंद्रकांत झा बिहार के मधेपुरा जिला अंतर्गत घोषई गांव का रहने वाला है। 1990 में वह रोजगार की तलाश में दिल्ली आया था। यहां आजादपुर मंडी के पास रहकर सब्जी बेचने के अलावा मजदूरी करता था। उसकी पहली शादी से कोई संतान नहीं हुई। दूसरी शादी से पांच बेटियां हैं।

    उसे सात हत्याओं के अलावा हथियार अधिनियम, घर में चोरी और चोट पहुंचाने सहित 13 मामलों में गिरफ्तार किया जा चुका है। वह तिहाड़ जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा था। 17 जनवरी को सूचना मिली कि चंद्रकांत बिहार जाने के लिए पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन आने वाला है, वहां से उसे दबोच लिया गया।

    आदतें पसंद न आने पर कर देता था परिचितों की हत्या

    चंद्रकांत को अक्टूबर, 2023 में तीन माह के लिए पैरोल मिला था। वह सनकी प्रवृत्ति का था। वह उत्तर प्रदेश और बिहार से रोजगार की तलाश में आने वाले युवकों को रहने व भोजन उपलब्ध कराने में मदद करता था। वह उन्हें शराब पीने, नानवेज खाने, झूठ बोलने और महिलाओं के साथ गलत व्यवहार न करने की बात बताता था।

    उसके मनमाफिक न चलने पर वह उनकी हत्या कर देता था और शवों को टुकड़े-टुकड़े कर दिल्ली में विभिन्न स्थानों पर फेंक देता था। सबसे पहले किसी बहाने से लोगों के हाथ बांध देता था और फिर गला घोंटकर हत्या करने के बाद सिर, पैर और हाथ काट देता था।

    शवों के टुकड़े को प्लास्टिक बैग में भरकर फेंक देता था

    शवों के टुकड़े को प्लास्टिक बैग में पैक करने के बाद वह उसे स्कूटर का इंजन लगे रिक्शा में लादकर तड़के सड़कों के किनारे फेंक देता था। बाद में वह पुलिस को काल कर अपराध और उस स्थान के बारे में बता भी देता था, जहां वह क्षत-विक्षत शव फेंका होता था। शवों के पास वह पत्र भी छोड़कर पकड़ने के लिए पुलिस को चुनौती देता था।

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