सच के साथी सीनियर्स: दिल्ली के लाजपत नगर और कालकाजी में हुई फैक्ट चेकिंग की ट्रेनिंग, फ्रॉड से बचने के तरीके सीखे
विश्वास न्यूज के सच के साथी-सीनियर्स अभियान के तहत दिल्ली के लाजपत नगर और कालकाजी में लोगों को फैक्ट चेकिंग का बुनियादी प्रशिक्षण दिया गया। कार्यक्रम में डीपफेक वीडियो और एआई निर्मित तस्वीरों को पहचानने के तरीके मजबूत पासवर्ड बनाने और डिवाइस को सुरक्षित रखने के गुर सिखाए गए। इस दौरान लोगों को डिजिटल सेफ्टी के टिप्स भी दिए गए।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जागरण न्यू मीडिया की फैक्ट चेकिंग विंग विश्वास न्यूज के एक्सपर्ट शुक्रवार को 'सच के साथी- सीनियर्स' अभियान के तहत दिल्ली के लाजपत नगर और कालकाजी में लोगों को फैक्ट चेकिंग का बुनियादी प्रशिक्षण दिया। इस दौरान लोगों को डिजिटल सेफ्टी के टिप्स भी दिए गए। कार्यक्रम में विश्वास न्यूज की सीनियर एडिटर उर्वशी कपूर और फैक्ट चेकर प्रज्ञा शुक्ला लोगों से रूबरू हुईं।
इस कार्यक्रम का आयोजन मुख्य रूप से वरिष्ठ नागरिकों के लिए किया गया था। पहले कार्यक्रम लाजपत नगर के कृष्णा मार्केट स्थित कम्युनिटी सेंटर में आयोजित किया गया। इसके बाद कालकाजी के एमसीडी कम्युनिटी सेंटर में सेमिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को सोशल मीडिया पर फैलने वाली संदिग्ध पोस्ट की जांच करने का तरीका सिखाया गया। इसके अलावा डिजिटल फ्रॉड से बचने के तरीके भी बताए गए।
डीपफेक और एआई निर्मित तस्वीरों को पहचानने की तरीके बताए
कार्यक्रम की शुरूआत करते हुए सीनियर एडिटर उर्वशी कपूर ने प्रतिभागियों को डीपफेक वीडियो या एआई निर्मित तस्वीरों को पहचानने के तरीके बताए। उन्होंने कहा कि डीपफेक वीडियो में अक्सर किसी सेलिब्रेटी का चेहरा अन्य वीडियो पर लगाकर वायरल कर दिया जाता है। या फिर किसी की वॉयस क्लोन करके किसी अन्य वीडियो में जोड़ दी जाती है, जिससे वह वीडियो असली लगता है। इन्हें ध्यान से देखकर या सोर्स पर जाकर इनके बारे में पता किया जा सकता है।
मजबूत पासवर्ड बनाने और डिवाइस को सुरक्षित रखने के गुर सीखे
कालकाजी में आयोजित कार्यक्रम में विश्वास न्यूज की डिप्टी एडिटर देविका मेहता ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के बारे में बताते हुए उन्हें डीपफेक की पहचान करने और उससे बचाव के तरीकों के बारे में जागरूक किया। मेहता ने बताया कि वीडियो और फोटो के जरिए ही नहीं, बल्कि आवाज की नकल करके भी डीपफेक बनाए जा रहे हैं। मेहता ने लोगों को जेनरेटिव एआई के फायदों और नुकसान के बारे में बताते हुए उन्हें मजबूत पासवर्ड बनाने और अपनी डिवाइस को सुरक्षित रखने के तरीकों के बारे में जागरूक किया।
इस दौरान विश्वास न्यूज की फैक्ट चेकर प्रज्ञा शुक्ला ने ओपन सर्च और गूगल लेंस का प्रयोग कर संदिग्ध पोस्ट की जांच करने का तरीका भी बताया। कार्यक्रम के अंत में सबको जागरूक रहते हुए किसी भी पोस्ट या संदेश को बिना जांचे-परखे आगे फॉरवर्ड न करने की नसीहत दी गई। कार्यक्रम के दौरान प्रतिभागियों ने सवाल भी पूछे, जिनके जवाब एक्सपर्ट ने बखूबी दिए।
15 राज्यों में कार्यक्रम
दिल्ली के अलावा, बिहार, महाराष्ट्र, झारखंड, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश समेत कुल 15 राज्यों में इस कार्यक्रम का आयोजन हो चुका है। विश्वास न्यूज इन राज्यों के 50 शहरों में वरिष्ठ और अन्य नागरिकों को मिस-इन्फॉर्मेशन के खिलाफ सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रशिक्षित कर रही है। गूगल न्यूज इनिशिएटिव की पहल पर MICA के सहयोग से विश्वास न्यूज के इस अभियान का उद्देश्य समाज को भ्रामक सूचनाओं से निपटने के लिए तैयार करने के साथ ही उन्हें फैक्ट चेक की बुनियादी जानकारी से रूबरू कराना है। इस अभियान के तहत हाइब्रिड (ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही तरीकों से) मोड में प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है।
'सच के साथी-सीनियर्स' अभियान के बारे में
'सच के साथी-सीनियर्स' विश्वास न्यूज का जागरूकता के लिए प्रशिक्षण और मीडिया साक्षरता अभियान है। विश्वास न्यूज जागरण समूह की फैक्ट चेकिंग टीम है, जो अब तक करीब छह करोड़ से अधिक नागरिकों को जागरूकता अभियान से जोड़ चुकी है। विश्वास न्यूज टीम इंटरनेशनल फैक्ट चेकिंग नेटवर्क (आईएफसीएन) और गूगल न्यूज इनीशिएटिव के साथ फैक्ट चेकिंग और मीडिया लिटरेसी पर 2018 से काम कर रही है।
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