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    सच के साथी सीनियर्स: वरिष्ठ नागरिकों को फैक्ट-चेकिंग का प्रशिक्षण, साइबर फ्रॉड से बचने के लिए दिए गए टिप्स

    विश्वास न्यूज़ के सच के साथी-सीनियर्स कार्यक्रम के तहत नई दिल्ली में वरिष्ठ नागरिकों को फैक्ट-चेकिंग का प्रशिक्षण दिया गया। कार्यक्रम में साइबर फ्रॉड से बचने के लिए डिजिटल सेफ्टी टिप्स भी दिए गए। डीपफेक से बचाव के प्रति भी लोगों को सचेत किया गया। मेहता ने मिस-इन्फॉर्मेशन और डिस-इन्फॉर्मेशन के बीच अंतर को किस तरह पहचाना जाए इसके बारे में और इससे होने वाले नुकसान के बारे में बताया।

    By Jagran News Edited By: Rajesh KumarUpdated: Tue, 29 Apr 2025 08:29 PM (IST)
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    भारत में वरिष्ठ नागरिकों को गलत सूचना से निपटने के लिए तथ्य जांच प्रशिक्षण दिया जा रहा है। फाइल फोटो

    नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। विश्‍वास न्‍यूज के मीडिया साक्षरता कार्यक्रम 'सच के साथी- सीनियर्स' के तहत 26 अप्रैल को नई दिल्ली के वरिष्ठ नागरिकों के लिए फैक्ट चेक की बुनियादी प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में शामिल लोगों को साइबर फ्रॉड से बचने के लिए डिजिटल सेफ्टी टिप्स के साथ ही फैक्ट चेकिंग का प्रशिक्षण दिया गया।

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    डीपफेक से बचाव के प्रति लोगों को सचेत किया

    ऑनलाइन हुए इस आयोजन में विश्‍वास न्‍यूज की डिप्टी एडिटर एवं फैक्ट चेकर देविका मेहता ने वरिष्ठ नागरिकों को फैक्ट चेकिंग की बुनियादी जानकारी के बारे में प्रशिक्षित किया। उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के बारे में बताते हुए डीपफेक से बचाव के प्रति लोगों को सचेत किया।

    मेहता ने मिस-इन्फॉर्मेशन और डिस-इन्फॉर्मेशन के बीच अंतर को किस तरह पहचाना जाए, इसके बारे में और इससे होने वाले नुकसान के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि कैसे कोई सामान्य व्यक्ति अपने मोबाइल के जरिए वायरल या संदिग्ध दावों की जांच कर सकता है।

    उन्होंने साइबर फ्रॉड के बारे में भी जानकारी दी, ताकि लोग बढ़ते साइबर फ्रॉड के बारे में जागरूक होते हुए खुद को सुरक्षित रख सकें। उन्होंने इससे बचने के तरीकों के बारे में बताते हुए कहा कि आजकल साइबर ठग डिजिटल अरेस्ट, फिशिंग लिंक्स या बैंकिंग फ्रॉड के जरिए लोगों के साथ ठगी कर रहे हैं, इसलिए भुगतान के सुरक्षित तरीकों का ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

    आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के बारे में बताते हुए उन्हें डीपफेक की पहचान करने और उससे बचाव के तरीकों के बारे में जागरूक किया। उन्होंने कहा कि वीडियो और फोटो के जरिए ही नहीं, बल्कि आवाज की नकल करके भी डीपफेक बनाए जा रहे हैं।

    इसके साथ ही लोगों को डिजिटल सेफ्टी, वित्तीय धोखाधड़ी से बचाव, जेनरेटिव एआई के फायदों और नुकसान के बारे में बताते हुए उन्हें मजबूत पासवर्ड बनाने और अपनी डिवाइस को सुरक्षित रखने के तरीकों के बारे में जागरूक किया।

    15 राज्‍यों में कार्यक्रम

    दिल्ली के कई स्थानों के अलावा महाराष्ट्र, झारखंड, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और बिहार समेत कुल 15 राज्यों में इस कार्यक्रम का आयोजन हो चुका है। विश्‍वास न्‍यूज इन राज्यों के 50 शहरों में वरिष्ठ और अन्य नागरिकों को मिस-इन्फॉर्मेशन के खिलाफ सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रशिक्षित कर रही है।

    गूगल न्यूज इनिशिएटिव की पहल पर MICA के सहयोग से विश्वास न्यूज के इस अभियान का उद्देश्य समाज को भ्रामक सूचनाओं से निपटने के लिए तैयार करने के साथ ही उन्हें फैक्ट चेक की बुनियादी जानकारी से रूबरू कराना है। इस अभियान के तहत हाईब्रिड (ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही तरीकों से) मोड में प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है।

    'सच के साथी-सीनियर्स' अभियान के बारे में

    'सच के साथी-सीनियर्स' विश्वास न्यूज का जागरूकता के लिए प्रशिक्षण और मीडिया साक्षरता अभियान है। विश्वास न्यूज जागरण समूह की फैक्ट चेकिंग टीम है, जो अब तक करीब छह करोड़ से अधिक नागरिकों को जागरूकता अभियान से जोड़ चुकी है। विश्वास न्यूज टीम इंटरनेशनल फैक्ट चेकिंग नेटवर्क (IFCN) और गूगल न्यूज इनिशिएटिव (GNI) के साथ फैक्ट चेकिंग और मीडिया लिटरेसी पर 2018 से काम कर रही है।

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