पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन की फिर बढ़ेंगी मुश्किलें, इस मामले में ACB करेगी पूछताछ
दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (ACB) जल्द ही पूर्व पीडब्ल्यूडी मंत्री सत्येंद्र जैन को 571 करोड़ रुपये के सीसीटीवी प्रोजेक्ट घोटाले में पूछताछ के लिए नोटिस भेजेगी। आरोप है कि जैन ने रिश्वत लेकर बीईएल पर लगे जुर्माने को माफ कराया। उपराज्यपाल से मंजूरी के बाद एसीबी ने जैन के खिलाफ केस दर्ज किया था और अब उनसे जल्द ही पूछताछ की जाएगी।
राकेश कुमार सिंह, नई दिल्ली। दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (ACB) 571 करोड़ रुपये के सीसीटीवी प्रोजेक्ट में करोड़ों के घोटाले के आरोपों के सिलसिले में जल्द ही पूर्व पीडब्ल्यूडी मंत्री सत्येंद्र जैन को नोटिस भेजकर पूछताछ करेगी। 70 विधानसभा क्षेत्रों में 1.4 लाख सीसीटीवी कैमरे लगाने की योजना थी।
ये है आरोप
आरोप है कि बीईएल अधिकारी जितेंद्र कुमार ने सत्येंद्र जैन को सात करोड़ रुपये की रिश्वत देकर भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) पर प्रोजेक्ट में देरी के कारण लगाई गई 16 करोड़ रुपये की पेनाल्टी को मनमाने ढंग से माफ करा लिया। उपराज्यपाल से हरी झंडी मिलने पर एसीबी ने 19 मार्च को सत्येंद्र जैन व अज्ञात लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम व आपराधिक षड्यंत्र आदि के तहत केस दर्ज किया था।
पूछताछ अभी भी जारी
केस दर्ज करने के बाद एसीबी ने करीब एक माह तक पीडब्ल्यूडी व भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) के दिल्ली व कोटद्वार दफ्तरों से संबंधित दस्तावेजों की बारीकी से जांच की। इसके बाद दोनों विभागों के 20 से अधिक अधिकारियों को तलब कर उनसे पूछताछ शुरू की गई। पूछताछ अभी भी जारी है। एसीबी के एसीपी जरनैल सिंह का कहना है कि जांच से सभी साक्ष्य जुटा लिए गए हैं। अब जल्द ही सत्येंद्र जैन को नोटिस भेजकर पूछताछ की जाएगी।
जैन को मई 2022 में मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किया था। फिलहाल वह जमानत पर हैं। फरवरी 2023 में उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। एसीबी अधिकारी का कहना है कि सत्येंद्र जैन 1.4 लाख सीसीटीवी लगाने के 571 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट के नोडल अधिकारी थे।
ठेकेदारों पर 16 करोड़ रुपये का जुर्माना
23 अगस्त 2019 को मीडिया रिपोर्ट्स में खुलासा हुआ था कि तत्कालीन दिल्ली सरकार ने सीसीटीवी कैमरे लगाने में देरी के लिए बीईएल और उसके ठेकेदारों पर 16 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। इसके बाद मामला सामने आया। 7 करोड़ रुपये की रिश्वत उन्हीं ठेकेदारों के जरिए दी गई, जिन्हें 1.4 लाख सीसीटीवी कैमरे लगाने का ऑर्डर मिला था।
उपराज्यपाल को कई शिकायतें मिली थीं, जिसमें कहा गया था कि सीसीटीवी कैमरे लगाने में मानकों का पालन नहीं किया गया और कई सीसीटीवी कैमरे तब भी खराब थे, जब पीडब्ल्यूडी ने प्रोजेक्ट को अपने हाथ में लिया था। रिश्वत का भुगतान विभिन्न ठेकेदारों के जरिए किया गया था।
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