इंफ्लुएंसर संदीपा विर्क को न्यायिक हिरासत : फर्जी वेबसाइट और 18 करोड़ के ऋण में धोखाधड़ी का आरोप
दिल्ली में इंटरनेट मीडिया इंफ्लुएंसर संदीपा विर्क को ईडी ने गिरफ्तार किया और न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। उन पर हायबूकेयर डाट काम नामक वेबसाइट के माध्यम से धोखाधड़ी करने का आरोप है जिसमें फर्जी ब्यूटी प्रोडक्ट बेचने का दावा किया गया था। ईडी ने 18 करोड़ रुपये के ऋण में अनियमितताओं का भी पता लगाया है जिसमें रिलायंस कैपिटल के पूर्व निदेशक शामिल हैं। जांच अभी जारी है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। तीस हजारी स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने ईडी की पूछताछ के बाद इंटरनेट मीडिया इंफ्लुएंसर और कास्मेटोलाॅजिस्ट संदीपा विर्क को न्यायिक हिरासत में भेज दिया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विजय शंकर ने विर्क को एक सितंबर तक जेल भेजने का आदेश दिया। विर्क को 12 अगस्त को ईडी ने गिरफ्तार किया था और चार दिन की कस्टडी में लेकर पूछताछ की थी।
आपत्तिजनक दस्तावेज और रिकाॅर्ड जब्त
ईडी की ओर से विशेष लोक अभियोजक साइमन बेंजामिन ने दलील दी कि जांच अभी जारी है और आवश्यकता पड़ने पर आगे की हिरासत मांगी जाएगी। ईडी ने दलील दी कि तलाशी के दौरान कई आपत्तिजनक दस्तावेज और रिकाॅर्ड जब्त किए गए हैं। मामले में फार्रुख अली समेत कई सहयोगियों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं। एजेंसी का कहना है कि आगे की जांच में और तथ्य सामने आ सकते हैं।
वेबसाइट पर उठे सवाल
ईडी ने दावा किया है कि विर्क ने हा हायबूकेयर डाट काम नामक वेबसाइट के जरिए लोगों से धोखाधड़ी की। वेबसाइट पर एफडीए-अनुमोदित ब्यूटी प्रोडक्ट बेचने का दावा किया गया, जबकि जांच में पाया गया कि उत्पाद अस्तित्व में ही नहीं थे।
वेबसाइट पर न तो ग्राहक पंजीकरण का विकल्प नहीं था, न सक्रिय व्हाट्सएप्प नंबर और न ही कंपनी से जुड़ी स्पष्ट जानकारी थी, पेमेंट गेटवे में भी लगातार समस्या रहती थी और इंटरनेट मीडिया पर कोई सक्रियता नहीं थी। ईडी के अनुसार यह वेबसाइट असल में फर्जी गतिविधियों और मनी लांड्रिंग के लिए खड़ी की गई थी।
18 करोड़ रुपये का ऋण पर प्रश्न
ईडी की जांच में सामने आया कि विर्क नियमित रूप से रिलायंस कैपिटल के पूर्व निदेशक अंगराई नटराजन सेतुरामन के संपर्क में थीं। सेथुरमन के ठिकानों पर हुई तलाशी में भी संदिग्ध दस्तावेज मिले। ईडी का आरोप है
वर्ष 2018 में, रिलायंस कॉमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड (आरसीएफएल) के लगभग 18 करोड़ रुपये का ऋण बिना उचित जांच के दिया गया और कर्ज देने के मानक नियमों की अनदेखी की गई।
कोई उचित जांच नहीं की
ईडी ने कहा कि यह राशि ऐसे शर्तों पर दी गई जिसमें मूलधन और ब्याज भुगतान को टालने की अनुमति थी, साथ ही इसमें कई बार छूट दी गई और कोई उचित जांच नहीं की गई।
हालांकि, 14 अगस्त को सेथुरमन ने एक बयान जारी कर इन आरोपों को पूरी तरह निराधार बताया। उन्होंने कहा कि उन्हें मिला हाउसिंग लोन उचित प्रक्रिया से और संपत्ति गिरवी रखकर मिला था।
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