Sahitya Akademi Award: हिंदी में पार्वती तिर्की को युवा व सुशील शुक्ल को बाल साहित्य पुरस्कार
साहित्य अकादमी ने वर्ष 2025 के युवा और बाल साहित्य पुरस्कारों की घोषणा की है। हिंदी में पार्वती तिर्की को फिर उगना के लिए युवा साहित्य पुरस्कार और सुशील शुक्ल को एक बटे बारह के लिए बाल साहित्य पुरस्कार मिलेगा। अकादमी अध्यक्ष माधव कौशिक ने इन पुरस्कारों को रचनाकारों के लिए प्रोत्साहन बताया है। विजेताओं को दिल्ली में सम्मानित किया जाएगा।

जागरण संवददाता, नई दिल्ली। देश की प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था साहित्य अकादमी ने वर्ष 2025 के लिए युवा साहित्य पुरस्कार और बाल साहित्य पुरस्कार की घोषणा कर दी है।
यह निर्णय अकादमी के अध्यक्ष माधव कौशिक की अध्यक्षता में कार्यकारी मंडल की बैठक में लिया गया। इस बैठक में 23 भाषाओं के युवा रचनाकारों और 24 भाषाओं के बाल साहित्यकारों को सम्मानित करने की मंजूरी दी गई।
डोगरी भाषा का युवा पुरस्कार बाद में घोषित किया जाएगा। हिंदी में युवा साहित्य पुरस्कार झारखंड की पार्वती तिर्की को उनके कविता संग्रह फिर उगना के लिए दिया गया।
बाल साहित्य पुरस्कार से नवाजे गए सुशील शुक्ल
हिंदी में बाल साहित्य पुरस्कार सुशील शुक्ल को लघुकथा संग्रह एक बटे बारह के लिए प्रदान किया गया है। सभी विजेताओं को आगामी समारोह में एक प्रशस्तिपत्र और 50,000 की नकद राशि प्रदान की जाएगी।
साहित्य अकादमी अध्यक्ष माधव कौशिक ने कहा कि “युवा और बाल साहित्य पुरस्कार उन रचनाकारों के लिए प्रोत्साहन का कार्य करते हैं जो अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज, संस्कृति और बच्चों की कल्पनाओं को शब्द देते हैं। ये पुरस्कार देश की भाषाई विविधता और साहित्यिक समृद्धि को दर्शाते हैं।”
इन सभी रचनाकारों को दिल्ली में आयोजित होने वाले विशेष समारोह में सम्मानित किया जाएगा। समारोह की तिथि जल्द घोषित की जाएगी।
अन्य भाषाओं के युवा साहित्य पुरस्कार विजेता
- असमिया – सुप्रकाश भुइयां (कूंचियानामा, कहानी)
- अंग्रेजी – अद्वैत कोट्टरी (सिद्धार्थ: द ब्वाय हू बिकम द बुद्ध, उपन्यास)
- बांग्ला – सुदेशना मोइत्रा (एकरोखा चिरुनी तोलाशी, कविता)
- बोडो – अमर खुंगुर बर (आं असुर, कविता)
- गुजराती – मयूर खावडू (नरसिंह टेकरी, निबंध)
- कन्नड़ – आर दिलीपकुमार (पक्केयां जगुली, आलोचना)
- कश्मीरी – साइका सहर (हर्फ़स् हर्फ़स् जाग, आलोचना)
- कोंकणी – ग्लिनिस डायस (गांवगाथा, कहानी)
- मैथिली – नेहा झा मणि (बनारस आ हम, कविता)
- मलयालम – अखिल पी. धर्मजन (राम सी/ओ आनंदी, उपन्यास)
- मणिपुरी – ए.के. जितेन (खोयुम नोंग्दम काऊ, महाकाव्य)
- मराठी – प्रदीप कोकरे (खोल खोल दुष्काल डोले, उपन्यास)
- नेपाली – सुवास ठकुरी (जूनको आँसू, कविता)
- ओड़िया – सुब्रत कुमार सेनापति (कदम्बबना, कहानी)
- पंजाबी – मनदीप औलख (गर्ल्स हास्टल, कविता)
- राजस्थानी – पूनमचंद गोदारा (अंतस रै आंगणै, कविता)
- संस्कृत – धीरज कुमार पांडेय (पारिभाषिकशब्दस्वारस्यम्, वेदांत आलोचना)
- संताली – फागू बास्की (अरा साओ इन, कविता)
- सिंधी – मंथन बचाणी (पांधीअड़ो, कविता)
- तमिल – लाटशमिहर (कुट्टोन्रु कुटिर्रू, कहानी)
- तेलुगु – प्रसाद सूरी (मैरा वन, उपन्यास)
- अन्य भाषाओं के बाल साहित्य पुरस्कार विजेता
- असमिया – सुरेंद्र मोहन दास (मैनाहंतर पद्य, कविता)
- अंग्रेज़ी – नितिन कुशलप्पा एमपी (साउथ् इंडियन मिथ एंड फेबल्स रिटोल्ड)
- बांग्ला – त्रिदिब कुमार चट्टोपाध्याय (ऐखोनो गाये कांटा देय, कहानी)
- बोडो – बिनय कुमार ब्रह्म (खान्थि बोसोन आरो आखु दानाय, कहानी)
- डोगरी – पी.एल. परिहार “शौक” (नन्हीं टोर, कविता)
- गुजराती – कीर्तिदा ब्रह्मभट्ट (टिंचक, कविता)
- कन्नड़ – के. शिवलिंगप्पा हंदिहल (नोटबुक, कहानी)
- कश्मीरी – इज़हार मुबाशिर (शुर्य त् चुर्यगिश्य, कहानी)
- कोंकणी – नयना आडारकर (बेलाबायचो शंकर आनी हेर काणयो, कहानी)
- मैथिली – मुन्नी कामत (चुक्का, कहानी)
- मलयालम – श्रीजित मुतेडत (पेंग्विनुकालुडे वंकारायिल, उपन्यास)
- मणिपुरी – शांतो एम (अंगंगशिंगगी शन्नाबुंगसिदा, नाटक)
- मराठी – सुरेश सावंत (आभाळमाया, कविता)
- नेपाली – साङ्मु लेप्चा (शान्ति वन, उपन्यास)
- ओड़िया – राजकिशोर परही (केते फूला फूटिची, कविता)
- पंजाबी – पाली खादिम (जादू पत्ता, उपन्यास)
- राजस्थानी – भोगीलाल पाटीदार (पंखेरुवां नी पीड़ा, नाटक)
- संस्कृत – प्रीति पुजारा (बालविश्वम्, कविता)
- संताली – हरलाल मुर्मू (सोना मिरू-अग संदेश, कविता)
- सिंधी – हीना अगनानी ‘हीर’ (असमानी परी, कविता)
- तमिल – विष्णुपुरम सरवणन (ओत्तराई सिरगू ओविया, उपन्यास)
- तेलुगु – गंगिसेट्टी शिवकुमार (काबुरला देवता, कहानी)
सुशील शुक्ल के बारे में
सुशील शुक्ल का जन्म 25 मार्च 1974 में मध्यप्रदेश के होशंगाबाद में हुआ । आप बाल साहित्य के क्षेत्र में लगभग ढाई दशकों से काम कर रहे हैं। आप 'प्लूटो' और 'साइकिल' बाल पत्रिकाओं के संपादक भी हैं। आप 'चकमक' बाल पत्रिका के संपादक रहे थे । 'ये सारे उजाला सूरज का', 'टिफिन दोस्त', 'फेरीवाले' सहित आपकी बारह बाल पुस्तकों का प्रकाशन 'एकलव्य प्रकाशन' ने किया। 2024 के हरिकृष्ण देवसरे बालसाहित्य पुरस्कार से वे सम्मानित हैं।
पार्वती तिर्की के बारे में
पार्वती तिर्की का जन्म 16 जनवरी 1994 को झारखंड के गुमला जिले में हुआ। उनकी आरंभिक शिक्षा जवाहर नवोदय विद्यालय, गुमला में हुई। इसके बाद उन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी से हिन्दी साहित्य में स्नातक और स्नातकोत्तर शिक्षा प्राप्त की और उसके बाद वहीं के हिन्दी विभाग से ‘कुडुख आदिवासी गीत : जीवन राग और जीवन संघर्ष’ विषय पर पी-एच.डी. की डिग्री हासिल की।
उनका पहला कविता-संग्रह ‘फिर उगना’ वर्ष 2023 में राधाकृष्ण प्रकाशन से प्रकाशित हुआ। इस संग्रह को हिन्दी कविता के समकालीन परिदृश्य में एक नई और जरूरी आवाज के रूप में देखा गया है। वर्तमान में पार्वती, राम लखन सिंह यादव कालेज (रांची विश्वविद्यालय), हिन्दी विभाग में सहायक प्राध्यापक के रूप में कार्यरत हैं।
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