मुस्लिमों को लेकर क्या है RRS चीफ मोहन भागवत का रोडमैप? हरियाणा में पदाधिकारियों संग चल रही अहम बैठक
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मुस्लिम हिंदू समाज को करीब लाने की रणनीति पर काम कर रहा है जिसे शताब्दी वर्ष के लक्ष्यों में शामिल किया गया है। संघ प्रमुख मोहन भागवत मुस्लिम समाज के लोगों के साथ लगातार संवाद कर रहे हैं। हरियाणा भवन में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) के पदाधिकारियों के साथ बैठक में हिंदू-मुस्लिम समाज की दूरियां कम करने और भारतीयता की पहचान को मजबूत करने पर चर्चा हुई।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। संघ के शताब्दी वर्ष में मुस्लिम हिंदू समाज को और नजदीक लाने की रणनीति पर भी काम तेज हो गया है। संघ शताब्दी वर्ष के लक्ष्यों में इसे भी शामिल किया है। इस क्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत की मुस्लिम समाज के लोगों से संवाद का क्रम जारी है। गुरुवार को एक ऐसी ही बैठक हरियाणा भवन में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआर एम) के शीर्ष पदाधिकारियों के साथ हरियाणा भवन में चल रही है।
एमआरएम संघ का करीबी मुस्लिम संगठन है। एमआरएम के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के अनुसार, चर्चा का मुख्य विषय संघ के शताब्दी वर्ष पूर्ण होने पर आगे का रोडमैप तैयार करना है कि कैसे हिंदू-मुस्लिम समाज की दूरियां कम हो। कैसे भारतीयता की पहचान को मजबूत किया जाए। यह बैठक दोपहर दो बजे तक चलेगी।
इस बैठक में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मार्गदर्शक इंद्रेश कुमार, राष्ट्रीय संयोजक अफजाल अहमद, शाहिद अख्तर, राजस्थान से अबू बकर, मध्य प्रदेश से एस के मुद्दिन, आगरा से इस्लाम अब्बास, महिला विंग की राष्ट्रीय संयोजिका तसनीम पटेल समेत करीब 40 अन्य पदाधिकारी मौजूद हैं।
इसके पूर्व संघ प्रमुख मोहन भागवत की मुस्लिम धर्मगुरुओं के साथ भी ऑल इंडिया इमाम आर्गनाइजेशन के अध्यक्ष उमेर अहमद इलियासी नेतृत्व में बैठक कुछ दिन पूर्व ही हरियाणा भवन में बैठक हुई थी।
ये बैठकें उस संवाद का क्रम है, जिसमें नियमित रूप से संघ प्रमुख मुस्लिम धर्मगुरुओं और बुद्धिजीवियों से मिल रहे हैं और समाज के बीच बने भ्रम को दूर कर नजदीक लाने का है।
बैठकों में हिंदू-मुस्लिम समाज में दूरियां घटाने पर जोर दिया जा रहा है। पदाधिकारी के अनुसार, इस बैठक में यह भी तय किया जाएगा कि मोहन भागवत के व्याख्यानमाला में किस-किस को बुलाया जाए। जो 26 से 28 अगस्त के बीच विज्ञान भवन में आयोजित है।
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संघ के एक पदाधिकारी के अनुसार, इन नियमित संवाद प्रक्रियाओं का लाभ मिल रहा है। जोर इस पर दिया जा रहा है कि समाज में घट रही घटनाओं पर ध्यान देने की जगह बड़ा लक्ष्य लेकर चला जाए। मुस्लिम समाज उन घटनाओं पर भी खुलकर प्रतिक्रिया दें, जिसमें मुस्लिम समाज के लोगों की लिप्तता होती है।
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