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    गुरुग्राम जमीन घोटाला : Robert Vadra के खिलाफ ED के आरोपपत्र पर अदालत जल्द सुना सकती है फैसला

    Updated: Thu, 31 Jul 2025 06:31 PM (IST)

    गुरुग्राम जमीन घोटाला मामले में राबर्ट वाड्रा और अन्य के खिलाफ मनी लाॅन्ड्रिंग जांच में ईडी के आरोपपत्र पर अदालत 2 अगस्त को संज्ञान ले सकती है। ईडी ने वाड्रा की कंपनी पर फर्जी घोषणाओं के आधार पर जमीन खरीदने का आरोप लगाया है। आरोप है कि वाड्रा ने अपने प्रभाव से जमीन का लाइसेंस हासिल किया और उसे डीएलएफ को बेचकर लाभ कमाया।

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    ईडी के आरोपपत्र पर अदालत दो अगस्त को ले सकती है संज्ञान।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली: गुरुग्राम जमीन घोटाले के मामले में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के दामाद और कारोबारी Robert Vadra और अन्य के खिलाफ चल रही मनी लाॅन्ड्रिंग जांच में ईडी की ओर से दायर आरोपपत्र पर अदालत दो अगस्त को संज्ञान ले सकती है।

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    राउज एवेन्यू स्थित विशेष न्यायाधीश सुशांत चंगोत्रा को इस मामले में बृहस्पतिवार को फैसला सुनाना था लेकिन इसे दो अगस्त के लिए स्थगित कर दिया गया।

    प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने वाड्रा की कंपनी स्काइलाइट हाॅस्पिटैलिटी पर शिकोहपुर गांव में 3.53 एकड़ जमीन फर्जी घोषणाओं के आधार पर खरीदने का आरोप लगाया है।

    ईडी का कहना है कि बिक्री दस्तावेज में 7.5 करोड़ रुपये के भुगतान की झूठी जानकारी दी गई, जबकि असली भुगतान बाद में हुआ ताकि स्टांप ड्यूटी बचाई जा सके।

    ईडी की ओर से पेश वकील जोहेब हुसैन ने अदालत को बताया था कि इस लेन-देन में कई गवाहों ने पुष्टि की है कि जमीन का वाणिज्यिक लाइसेंस वाड्रा ने अपने व्यक्तिगत प्रभाव से हासिल किया था। इसके बाद यह जमीन डीएलएफ को ऊंची कीमत पर बेची गई, जिससे वाड्रा को भारी लाभ हुआ।

    यह सौदा फरवरी 2008 में हुआ था, जब हरियाणा में कांग्रेस की सरकार थी और भूपेंद्र सिंह हुड्डा मुख्यमंत्री थे। ईडी के मुताबिक पूरे मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि जमीन की म्यूटेशन प्रक्रिया सिर्फ एक दिन में पूरी कर दी गई।

    जिसमें सामान्यत महीनों लगते हैं। इसके कुछ ही माह बाद हाउसिंग प्रोजेक्ट की अनुमति भी मिल गई और फिर यह प्लाॅट जून में 58 करोड़ रुपये में डीएलएफ को बेच दिया गया।

    वित्तीय लेनदेन की जांच के तहत अप्रैल में ईडी ने राॅबर्ट वाड्रा से कई दौर की पूछताछ की और उनके बयान दर्ज किए। वर्ष 2012 में वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अशोक खेमका ने इस सौदे को प्रक्रियागत अनियमितताओं के आधार पर रद कर दिया था।

    हालांकि, 2013 में तत्कालीन सरकार की जांच में वाड्रा और डीएलएफ को क्लीन चिट दी गई। बाद में जब हरियाणा में भाजपा की सरकार आई, तो वाड्रा, हुड्डा समेत अन्य के खिलाफ एफआइआर दर्ज की गई।

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