ED का रॉबर्ट वाड्रा पर शिकंजा, अवैध रूप से 58 करोड़ रुपये कमाने के आरोप; दिल्ली में एक पते पर सात कंपनियां दर्ज
मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने अदालत को बताया कि राबर्ट वाड्रा को गुरुग्राम में एक जमीन सौदे के तहत आपराधिक आय के रूप में 58 करोड़ रुपये मिले। ईडी ने वाड्रा और अन्य के विरुद्ध आरोपपत्र में कहा कि यह रकम स्काई लाइट हास्पिटालिटी और ब्लू ब्रीज ट्रेडिंग के जरिये प्राप्त हुई। जांच एजेंसी ने वाड्रा को सात कंपनियों समेत 10 अन्य लोगों के साथ आरोपित नंबर-1 बनाया है।

नई दिल्ली, आईएएनएस। मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में ईडी ने विशेष अदालत को बताया है कि गुरुग्राम में एक जमीन सौदे के तहत कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा के पति और व्यवसायी राबर्ट वाड्रा को आपराधिक आय के रूप में 58 करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे।
वाड्रा और अन्य के विरुद्ध दाखिल आरोपपत्र में ईडी ने कहा कि 53 करोड़ रुपये स्काई लाइट हास्पिटालिटी के जरिये और पांच करोड़ रुपये ब्लू ब्रीज ट्रेडिंग के माध्यम से प्राप्त हुए थे। इस सौदे में वाड्रा ने दिल्ली के सुखदेव विहार स्थित एक पते पर पंजीकृत अपनी सात कंपनियों का इस्तेमाल किया।
जांच एजेंसी ने आरोपपत्र में वाड्रा को सात कंपनियों समेत 10 अन्य लोगों के साथ आरोपित नंबर-1 बनाया है। दिल्ली की विशेष पीएमएलए अदालत ने ईडी की शिकायत पर संज्ञान लेने के लिए 28 अगस्त की तिथि तय की है और वाड्रा को नोटिस जारी किया है।
ईडी ने अपनी अभियोजन शिकायत में कहा, "अधिसूचित अपराध से प्राप्त इन धनराशियों का उपयोग वाड्रा ने कथित तौर पर अचल संपत्तियां हासिल करने, निवेश करने, अग्रिम धनराशि व ऋण देने और अपनी समूह की विभिन्न कंपनियों की देनदारियों का निपटारा करने के लिए किया।"
ईडी ने अदालत को बताया कि उसकी जांच के परिणामस्वरूप 43 अचल संपत्तियों की अस्थायी कुर्की हुई, जिनकी कुल कीमत 38.69 करोड़ रुपये है, जिनका मूल्य अपराध की आय के बराबर है।पीएमएलए की धारा-4 के तहत आरोपितों के लिए अधिकतम सात वर्ष की सजा और संपत्तियों को जब्त करने की मांग करते हुए ईडी ने कहा कि अपराध की प्रत्यक्ष आय के रूप में चिन्हित संपत्तियों में राजस्थान के बीकानेर में जमीन; गुरुग्राम के गुड अर्थ सिटी सेंटर में इकाइयं; मोहाली के बेस्टेक बिजनेस टावर में इकाइयां और अहमदाबाद के जय अम्बे टाउनशिप में आवासीय इकाइयां शामिल हैं।
अपराध की मूल्य समतुल्य आय की श्रेणी के तहत ईडी ने अमीपुर, फरीदाबाद में विभिन्न कृषि भूमि; मेफील्ड गार्डन, गुरुग्राम में भूखंड; सेंट्रम प्लाजा, गुरुग्राम में वाणिज्यिक इकाइयां; बेस्टेक बिजनेस टावर, गुरुग्राम में व्यावसायिक इकाइयां; इंडिया एक्सपो मार्ट, नोएडा में व्यावसायिक इकाइयां; द अरालियाज, गुरुग्राम में एक अपार्टमेंट; बीकानेर, राजस्थान में जमीन और नोएडा में व्यावसायिक स्थान का उल्लेख किया।
ईडी ने कहा, "ये संपत्तियां राबर्ट वाड्रा, मेसर्स आर्टेक्स (मालिक राबर्ट वाड्रा), मेसर्स स्काई लाइट रियलिटी प्राइवेट लिमिटेड या मेसर्स रियल अर्थ अस्टेट्स एलएलपी के स्वामित्व में हैं। ईडी ने आरोप लगाया कि वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटालिटी प्राइवेट लिमिटेड ने कम पूंजी होने के बावजूद गुरुग्राम के शिकोहपुर में ओंकारेश्वर प्रापर्टीज प्राइवेट लिमिटेड से 7.50 करोड़ रुपये में 3.5 एकड़ जमीन खरीदी। इस मामले में बिक्री पत्र में यह भी गलत जानकारी दी गई थी कि भुगतान चेक के जरिये किया गया था।
ईडी ने आरोप लगाया कि चेक को कभी भुनाया ही नहीं गया। साथ ही कहा कि बिक्री पत्र में जमीन की कीमत कम दिखाई गई क्योंकि इसकी कुल कीमत 7.50 करोड़ रुपये नहीं, बल्कि 15 करोड़ रुपये थी। बिक्री पत्र में गलत और कम कीमत दर्शाने के कारण 45 लाख रुपये की स्टाम्प ड्यूटी की चोरी की गई, जो आइपीसी की धारा-423 के तहत एक अपराध है।
ईडी ने आरोप लगाया कि यह लेन-देन रिश्वत थी जिसमें ओंकारेश्वर प्रापर्टीज ने बिना किसी वास्तविक भुगतान के जमीन वाड्रा की स्काईलाइट हास्पिटालिटी को हस्तांतरित कर दी। बदले में वाड्रा ने तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को प्रभावित कर ओंकारेश्वर प्रापर्टीज को उसी (शिकोहपुर) गांव में आवास योजना के लिए लाइसेंस दिलाने में मदद की।
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