CBSE का बड़ा फैसला, अब 9वीं के छात्र किताब खोलकर दे सकेंगे परीक्षा; जानें क्या है बोर्ड का मकसद
सीबीएसई अगले शैक्षणिक सत्र 2026-27 से कक्षा नौवीं के छात्रों के लिए ओपन बुक असेसमेंट (ओबीए) योजना शुरू करने जा रहा है। इस योजना के तहत छात्र भाषा गणित विज्ञान और सामाजिक विज्ञान जैसे विषयों की परीक्षा खुली किताब के साथ दे सकेंगे। इसका उद्देश्य छात्रों पर परीक्षा के तनाव को कम करना और योग्यता-आधारित शिक्षा को बढ़ावा देना है। यह निर्णय पायलट स्टडी के नतीजों पर आधारित है।

एएनआई, नई दिल्ली। अगले शैक्षणिक सत्र यानी 2026-27 से कक्षा नौवीं के सीबीएसई छात्र खुली किताब लेकर परीक्षा दे सकेंगे। छात्रों पर परीक्षा के तनाव को कम करने के मकसद से सीबीएसई अगले सत्र से ओपन बुक असेसमेंट (ओबीए) योजना शुरू करने जा रहा है। इससे छात्रों में रटने की जरूरत नहीं रह जाएगी और वे योग्यता-आधारित शिक्षा ले सकेंगे।
पाठ्यक्रम समिति और शासी निकाय के प्रस्ताव के मुताबिक हर सत्र में तीन प्रमुख विषयों, भाषा, गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान के लिखित पेपर में खुली किताब लेकर बच्चे परीक्षा दे सकेंगे। शासी निकाय ने जून में हुई बैठक में ये निर्णय लिया था। यह निर्णय एक पायलट स्टडी पर आधारित है जिसमें अतिरिक्त पठन सामग्री को शामिल नहीं किया गया और पाठ्यक्रम से संबंधित विषयों का परीक्षण किया गया।
इसमें छात्रों को 12 प्रतिशत से लेकर 47 प्रतिशत के बीच अंक प्राप्त हुए। इससे संसाधनों के प्रभावी उपयोग और अंत:विषय अवधारणाओं को समझने में आने वाली चुनौतियों का पता चला। गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए, सीबीएसई सैंपल पेपर भी तैयार करेगा और छात्रों को संदर्भ सामग्री को समझने के लिए मार्गदर्शन भी दिया जाएगा।
बोर्ड को उम्मीद है कि इस पहल से परीक्षा का तनाव कम होगा और वैचारिक समझ मजबूत होगी। साथ ही ज्ञान के व्यावहारिक प्रयोग को भी बढ़ावा मिलेगा। हालांकि इस ढांचे की स्कूलों को सिफारिश की जाएगी, लेकिन इसका कार्यान्वयन अनिवार्य नहीं होगा।
ओपन बुक असेसमेंट से घटेगा तनाव स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (एनसीएफएसई) के अनुसार ओपन-बुक टेस्ट वह होता है जिसमें छात्रों को प्रश्नों के उत्तर देते समय संसाधनों और संदर्भों (जैसे, पाठ्यपुस्तकें, कक्षा नोट्स, पुस्तकालय की पुस्तकें) तक पहुंच प्राप्त होती है।
ये परीक्षण उपलब्ध जानकारी को संसाधित करने या उसका उपयोग करने और उसे विभिन्न संदर्भों में लागू करने की क्षमता का आकलन करते हैं। ये परीक्षण रटने की पद्धति से ध्यान हटाकर एप्लीकेशन और थेसिस पर केंद्रित करते हैं।
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