दिल्ली में इलेक्ट्रॉनिक सिटी योजना का नवीनीकरण, नई विकास रणनीति
दिल्ली में बापरोला इलेक्ट्रॉनिक सिटी योजना को नए सिरे से लागू किया जाएगा। पिछली सरकार के फैसले रद्द कर दिए गए हैं क्योंकि सरकार अब इस योजना में सीधे निवेश नहीं करेगी। डिजाइन बिल्ट फंड ऑपरेट एंड ट्रांसफर (डीबीएफओटी) मॉडल के तहत डेवलपर्स को आमंत्रित किया जाएगा जो जमीन लीज पर लेकर इलेक्ट्रॉनिक सिटी विकसित करेंगे। इस योजना से सरकार को राजस्व मिलेगा।

वीके शुक्ला, नई दिल्ली। बापरोला इलेक्ट्रॉनिक सिटी योजना अब नए सिरे से लागू होगी। इस योजना के क्रियान्वयन को लेकर पिछली सरकार के कैबिनेट फैसलों को रद्द कर दिया गया है। दरअसल, सरकार इतने बड़े बजट वाली इस योजना में अपना पैसा नहीं लगाना चाहती।
सरकार अब इस योजना पर इस तरह काम करेगी कि इसमें सरकार का पैसा भी खर्च न हो और आमदनी भी हो। इसके लिए डिजाइन बिल्ट फंड ऑपरेट एंड ट्रांसफर (डीबीएफओटी) के तहत इस योजना पर काम किया जाएगा।
योजना के लिए डेवलपर्स को आमंत्रण
यानी इस योजना के लिए डेवलपर्स को आमंत्रित किया जाएगा। सरकार प्रोजेक्ट के लिए जमीन डेवलपर्स को लीज पर देगी और इसके लिए सरकार को हर साल डेवलपर्स से राजस्व मिलेगा। डेवलपर्स वहां बनने वाली इलेक्ट्रॉनिक सिटी का डिजाइन तैयार करेंगे और सरकार की मंजूरी लेकर वहां इंडस्ट्रियल सिटी विकसित करेंगे।
इस प्रोजेक्ट में अपना पैसा लगाकर वे तैयार यूनिट्स की जगह को उतने ही सालों के लिए लीज पर देंगे, जितने सालों के लिए उन्हें सरकार से जमीन लीज पर मिली है।
दिल्ली में इलेक्ट्रॉनिक सिटी बनाने की योजना को लेकर मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कुछ दिन पहले ही सभी बाधाओं को दूर कर योजना को आगे बढ़ाने के निर्देश दिए हैं।
योजना के लिए सलाहकार भी नियुक्त
दिल्ली सरकार ने बापरोला में बनने वाली दिल्ली इलेक्ट्रॉनिक सिटी के लिए 2023 में अधिसूचना जारी की है। जिसके बाद दिल्ली राज्य औद्योगिक एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (डीएसआईआईडीसी) ने इस योजना के लिए सलाहकार भी नियुक्त किया था। लेकिन तत्कालीन आप सरकार और राजनिवास के बीच तनातनी के कारण योजना पर काम रोक दिया गया था। यहां इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की डिजाइनिंग और निर्माण करने वाली करीब 300 इकाइयां होंगी।
इलेक्ट्रॉनिक सिटी में चार से पांच हजार करोड़ रुपये का निवेश होने की उम्मीद है। इस सिटी के लिए बापरोला में 137 एकड़ में औद्योगिक क्षेत्र विकसित किया जाएगा। जिसमें से 81 एकड़ जमीन का इस्तेमाल उद्योग के लिए किया जाएगा।
दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि यहां ऐसे काम किए जा सकते हैं जिससे प्रदूषण नहीं होगा। उनका कहना है कि इस योजना के तहत अगस्त-सितंबर तक डेवलपर्स के लिए टेंडर जारी करने की योजना है। अगले साल 2026 में मार्च-अप्रैल तक वहां काम शुरू करने की रणनीति है। योजना के मुताबिक, इलेक्ट्रॉनिक सिटी विकसित करने के लिए डेवलपर को तीन साल का समय दिया जाएगा।
राजस्थान सरकार इस तरह का कर चुकी है प्रयोग
राजस्थान सरकार के अधीन काम करने वाली सरकारी एजेंसी रीको ने जयपुर शहर के बाहर एक बड़ी कंपनी के साथ मिलकर ऐसा प्रयोग पहले भी किया है। जिसमें उसने अपने खर्च पर औद्योगिक शहर बसाया है। इस व्यवस्था के तहत डेवलपर्स सड़क से लेकर बिजली और पानी तक सभी सुविधाएं मुहैया कराएंगे।
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