दिल्ली की गद्दी संभालते ही सीएम रेखा गुप्ता ने दिए कई तोहफे, अब खिलाड़ियों को मिलेगा ये गिफ्ट
दिल्ली में रेखा सरकार बनने के बाद खेल जगत में बदलाव की अटकलें तेज हो गई हैं। खासकर उन खिलाड़ियों को लेकर चर्चा है जो पुरानी सरकार के रवैये से परेशान होकर दूसरे राज्यों का रुख कर चुके हैं। क्या भाजपा सरकार की नीतियां उन्हें फिर से दिल्ली का रुख करने के लिए प्रेरित करेंगी या फिर वह अपने मौजूदा संघों और संगठनों में लौट जाएंगे।क्या वह सुविधाओं से संतुष्ट होंगे?

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली में रेखा सरकार बनने के बाद खेल जगत में बदलाव की अटकलें तेज हो गई हैं। खासकर उन खिलाड़ियों को लेकर चर्चा है जो पुरानी सरकार के रवैये से परेशान होकर दूसरे राज्यों का रुख कर चुके हैं।
क्या भाजपा सरकार की नीतियां उन्हें फिर से दिल्ली का रुख करने के लिए प्रेरित करेंगी या फिर वह अपने मौजूदा संघों और संगठनों में लौट जाएंगे।
क्या वह सुविधाओं से संतुष्ट होंगे? इस बदलाव का राजधानी के खेल ढांचे पर क्या असर होगा? आइए एक नजर डालते हैं कि कौन से खिलाड़ी दिल्ली छोड़कर दूसरे राज्यों में चले गए हैं।
दिल्ली को छोड़कर अन्य राज्य से खेलने वाले खिलाड़ियों की सूची
वंतिका अग्रवाल - शतरंज की मास्टर वंतिका अग्रवाल दिल्ली से खेलती थीं। उन्होंने अपनी सारी पढ़ाई दिल्ली से ही की। हालांकि, बेहतर सुविधाएं न मिलने के कारण इस खिलाड़ी ने उत्तर प्रदेश के लिए खेलना शुरू कर दिया। उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हें 2 करोड़ रुपये की पुरस्कार राशि दी।
मिश्रा बहने - ऋचा मिश्रा और चारू मिश्रा दिल्ली से तैराकी प्रतियोगिताओं में भाग लेती थीं। लेकिन, यहां पदक जीतने के बाद भी उन्हें किसी तरह की आर्थिक सहायता नहीं दी गई। इस वजह से दोनों बहनों ने दिल्ली छोड़कर कर्नाटक और आंध्र प्रदेश से खेलना शुरू कर दिया। आज दोनों बहनें CISF में कार्यरत हैं।
अंकुर धामा - अंकुर धामा एक एथलीट हैं। वे पहले दिल्ली से खेलते थे और वे अंधे हैं। वर्तमान में उनकी उम्र 29 साल है। हालाँकि, एशियाई चैंपियनशिप में पदक जीतने के बाद उन्हें पूर्व दिल्ली सरकार द्वारा कोई पुरस्कार राशि नहीं दी गई थी। जिसके कारण आज यह एथलीट हरियाणा से खेल रहा है।
नीरज यादव - नीरज यादव डिस्कस थ्रो करते हैं। वे दिव्यांग खिलाड़ी हैं। एशियाई पदक जीतने के बाद भी उन्हें सरकार की ओर से कोई मदद या नौकरी नहीं दी गई, जिसके कारण वे दिल्ली छोड़कर उत्तर प्रदेश से खेलने लगे।
विजय तोमर - विजय तोमर 100 मीटर लोंग जंप के एथलीट है। वह पोलियो के मरीज भी है। एशियन सिल्वर पदक जीतने के बाद भी दिल्ली सरकार से कोई मदद नहीं प्रदान की गई । जो कराई जाती है उससे एथलीट का खर्चा भी नहीं निकल पा रहा था। जिसके चलते उन्होंने उत्तरप्रदेश से खेलने का निर्णय किया।
मदन - मदन टी-11 ब्लाइंड है। वह राष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण पदक विजेता रहे है। वह वर्तमान में हरियाणा के लिए खेल रहे है।
सरकार की विरोध नहीं कर पाते खिलाड़ी
इनके अलावा कई ऐसे खिलाड़ी भी हैं, जो आगे नहीं आते और सरकार का विरोध भी नहीं कर पाते। हालांकि दिल्ली में सत्ता परिवर्तन के साथ ही इन खिलाड़ियों के दिल्ली लौटने की उम्मीदें जगी हैं।
दिल्ली में राष्ट्रीय स्तर पर जीतने वाले खिलाड़ियों को प्रथम स्थान पर एक हजार, द्वितीय पर 75 हजार और तृतीय स्थान पर 50 हजार रुपये की सहायता राशि दी जाती है। जो दिल्ली के खिलाड़ियों के लिए नाकाफी है।
हरियाणा में मिल रही ये सुविधाएं
इस तरह हरियाणा और उत्तर प्रदेश की बात करें तो यहां प्रथम स्थान पर राष्ट्रीय प्रतियोगिता जीतने वाले खिलाड़ी को तीन लाख, द्वितीय पर दो लाख और तृतीय स्थान पर एक लाख रुपये की पुरस्कार राशि दी जाती है।
वहीं, दूसरी ओर दिल्ली में राष्ट्रीय स्तर पर खेलों में भाग लेने वाले खिलाड़ियों को किसी प्रकार की मदद नहीं दी जाती। खिलाड़ी अपने खर्चे पर प्रतियोगिताओं में खेलने जाते हैं। दूसरे राज्यों में खेलने के लिए बाहर जाने का यह भी एक बड़ा कारण है।
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