1998 से 2025 तक...जब महिला को मिली दिल्ली की जिम्मेदारी, जानें कब और किसकी; कितनी रही भागेदारी
दिल्ली को 20 फरवरी यानी आज चौथी बार फिर एक महिला मुख्यमंत्री मिली है। 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने के बाद बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने रेखा गुप्ता को दिल्ली के सीएम की गद्दी सौंपी। बता दें कि इससे पहले आम आदमी पार्टी से आतिशी कांग्रेस से शीला दीक्षित और बीजेपी से सुषमा स्वराज दिल्ली की महिला सीएम बन चुकी हैं।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली को 20 फरवरी यानी आज चौथी बार फिर एक महिला मुख्यमंत्री मिली है। 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने के बाद बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने रेखा गुप्ता को दिल्ली के सीएम की गद्दी सौंपी। बता दें कि इससे पहले आम आदमी पार्टी से आतिशी, कांग्रेस से शीला दीक्षित और बीजेपी से सुषमा स्वराज दिल्ली की महिला सीएम बन चुकी हैं।
रेखा गुप्ता
रेखा गुप्ता ने अपने राजनीतिक जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। वह दो बार विधानसभा चुनाव हार चुकी हैं और दो बार मेयर बनने से चूक गई हैं। पहली बार वह 2015 में मेयर बनने से चूक गई थीं।
रेखा गुप्ता का राजनीतिक सफर छात्र संघ की राजनीति से शुरू हुआ था। उन्होंने डूसू में सचिव का चुनाव जीता था। संघ से नजदीकी के चलते भाजपा ने उन्हें 2007 में निगम चुनाव लड़ाया, जिसमें वह विजयी रहीं। इसके बाद 2012 में वे फिर पार्षद बनीं। 2015 में उन्हें मेयर बनाने की चर्चाएं तेज रहीं।
रेखा गुप्ता के पिता जय भगवान जींद के जुलाना के रहने वाले थे। वह बैंक ऑफ इंडिया में मैनेजर थे। 1972-73 में जब उनकी पोस्टिंग दिल्ली में हुई तो वे अपने परिवार के साथ यहीं शिफ्ट हो गए।
रेखा गुप्ता की स्कूली शिक्षा त्रिनगर (दिल्ली) में हुई, जिसके बाद उन्होंने दौलतराम कॉलेज से बी.कॉम किया। बाद में उन्होंने एलएलबी की। उनके पिता पीतमपुरा में रहते थे। फिलहाल रेखा की मां और भाई-भाभी अभी भी पीतमपुरा के केपी-ब्लॉक में रहते हैं।
आतिशी मार्लेना
दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री के तौर पर आतिशी को यह जिम्मेदारी मिली थी। पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे के बाद आतिशी को सीएम बनने का मौका मिला था। आम आदमी पार्टी की नेता आतिशी मार्लेना 21 सितंबर 2024 से 9 फरवरी 2025 तक दिल्ली की सत्ता संभाली हैं।
राजनीति में आने से पहले आतिशी ने लंबे समय तक एक कार्यकर्ता के तौर पर काम किया। आतिशी का जन्म दिल्ली में हुआ और यहीं से उनकी शुरुआती पढ़ाई पूरी हुई। दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से स्नातक की डिग्री लेने के बाद उन्होंने मास्टर्स के लिए भी यही विषय चुना और आगे की पढ़ाई के लिए ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी चली गईं।
उन्होंने ऑर्गेनिक खेती से लेकर कई शैक्षणिक पहलों के लिए काम किया। यहीं पर उनकी पहली मुलाकात आम आदमी पार्टी के सदस्यों से हुई। इस पार्टी की सदस्य बनने से पहले आतिशी आंध्र प्रदेश के ऋषि वैली स्कूल में इतिहास और अंग्रेजी पढ़ा चुकी हैं।
सुषमा स्वराज
भाजपा की जानी-मानी महिला चेहरा सुषमा स्वराज भी दिल्ली की सीएम रह चुकी हैं, क्योंकि दिल्ली के सभी मुख्यमंत्रियों में उनका कार्यकाल सबसे छोटा था। सुषमा स्वराज केवल 51 दिनों के लिए दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं। हालांकि, वह देश की राजधानी की पहली महिला मुख्यमंत्री भी थीं।
सुषमा स्वराज ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1970 के दशक में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से की थी। सुषमा के पति स्वराज कौशल के समाजवादी नेता जॉर्ज फर्नांडिस से करीबी संबंध थे, जिसके चलते सुषमा स्वराज 1975 में जॉर्ज फर्नांडिस की कानूनी बचाव टीम का हिस्सा बन गईं।
स्वराज कौशल 1990 से 1993 तक मिजोरम के राज्यपाल रहे। वह 1998-2004 तक संसद के सदस्य रहे। सुषमा स्वराज और स्वराज कौशल की एक बेटी है, बांसुरी स्वराज, जो खुद एक वकील हैं। उनकी बेटी ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से लॉ ग्रेजुएट की है।
शीला दीक्षित
लंबे समय तक दिल्ली की सीएम रहीं कांग्रेस की शीर्ष नेताओं में से एक शीला दीक्षित दिल्ली के सीएम की कुर्सी पर काबिज हो चुकी हैं। सुषमा स्वराज के बाद शीला दीक्षित दिल्ली की दूसरी महिला मुख्यमंत्री रही हैं।
शीला दीक्षित ने दिल्ली के मुख्यमंत्री का पद एक-दो या पांच साल नहीं, बल्कि करीब 15 साल 25 दिन तक संभाला है। कांग्रेस नेता शीला दीक्षित 3 दिसंबर 1998 से 28 दिसंबर 2013 तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं।
दीक्षित 1986 से 1989 तक केंद्रीय मंत्री भी रहीं। उन्होंने राज्य के संसदीय मामलों के राज्य मंत्री और बाद में प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री के रूप में भी कार्य किया। 20 जुलाई 2019 को राजनीति में लंबी पारी खेलने वाली शीला दीक्षित का दिल्ली में निधन हो गया।
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