Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बॉलीवुड गायिका रेखा भारद्वाज की प्रस्तुति पर झूमे दिल्लीवाले, सूफी गीतों से श्रोताओं को किया भाव विभोर

    Updated: Tue, 29 Jul 2025 07:37 AM (IST)

    भारत मंडपम में दिलों को दिलों से जोड़ने लाइव संगीत संध्या में रेखा भारद्वाज ने अपनी प्रस्तुति से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने इश्क फकीरी और आत्मिक प्रेम के सूफी गीतों से समां बांध दिया। रांझा गेंदा फूल जैसे गानों ने दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। रेखा ने संगीत को इबादत बताते हुए कबीर और सूफी कवियों को याद किया।

    Hero Image
    भारत मंडपम में आयोजित लाइव शो में गीत प्रस्तुत करती पार्श्व गायिका रेखा भारद्वाज। चंद्र प्रकाश मिश्र

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। क्या कीजे, दिल है कि मानता नहीं, लूटे है फिर भी संभलता नहीं, दिल का क्या कीजे…।" इस दिलकश अंदाज के साथ जैसे ही दिल्ली की बेटी ने मंच पर कदम रखा तो सभागार में बैठे श्रोता रोमांच से भर उठे और उन्होंने सुर में सुर मिलाना शुरू कर दिया। मौका था रुद्राक्ष कम्युनिकेशन की ओर से भारत मंडपम में आयोजित दिलों को दिलों से जोड़ने का लाइव संगीत संध्या का।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यहां बालीवुड की प्रसिद्ध गायिका रेखा भारद्वाज ने अपनी प्रस्तुति से सभी को बांधे रखा। भारद्वाज की आवाज ने जब रांझा को पुकारा तो दर्शकों की सांसें तेज हो गईं और सभागार में पसरे सूफियाना सन्नाटे में वह गुंजने लगी।

    इस लाइव संगीत संध्या में रेखा भारद्वाज ने अपनी लोकप्रिय गजल और फिल्मों के गानों से महफिल को सजाया। फिर ले आया दिल, गेंदा फूल और रे कबीरा जैसे गीतों को सुनते हुए दर्शक मानो समय में पीछे लौट गए। लेकिन, जैसे ही ओंकार फिल्म का गाना नमक इश्क का गया तो दर्शकों के मन में लहरें उठीं और संगीत की धुन पर जमकर झूमे।

    लाइव संगीत संध्या में रेखा भारद्वाज न केवल अपने गुरु और जीवनसाथी को याद करते हुए गाना गाया बल्कि हर गीत के पीछे की कहानी और अहसास को भी दर्शकों के साथ साझा किया।

    उन्होंने अपने गीतों के माध्यम से इश्क, फकीरी, तपस्या और आत्मिक प्रेम की झलक प्रस्तुत की। इस दौरान उन्होंने बताया कि संगीत मेरे लिए इबादत है। कबीर और सूफी कवियों की वाणी से ही मेरी गायकी की रूह जुड़ी है। इस पर दर्शकों ने जमकर तालियां बजाई।

    रेखा भारद्वाज ने जब रांझा रांझा'' गाते हुए नदी किनारे ख्वाबों की बात की तो लगा जैसे पूरी दिल्ली किसी सूफी प्रेम में बह चली हो। इसके बाद ‘गेंदा फूल’ की चंचलता की गहराई ने दर्शकों को पूरी तरह अपने आगोश में ले लिया।

    हर गाने के बाद तालियों की गूंज, रेखा की मुस्कान और दर्शकों की नजरों में तृप्ति थी। समापन के समय दर्शकों ने खड़े होकर तालियों से रेखा भारद्वाज का अभिवादन किया।