800 साल पुराने हौज-ए-शम्सी में पवित्र जल की जगह सीवर की गाद
महरौली स्थित जहाज महल के पास ही 800 साल पुराना राष्ट्रीय महत्व का यह ऐतिहासिक हौज-ए-शम्सी तालाब है। इब्नबतूता ने भी इस तालाब का जिक्र किया है।
नई दिल्ली [जेएनएन]। एक समय प्रतिष्ठित रहे पवित्र तालाब हौज-ए-शम्सी की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) को सुध नहीं है। एएसआइ की संरक्षित स्मारकों की सूची में शामिल महरौली स्थित यह तालाब बदहाल है। करोड़ों लोगों की आस्था के केंद्र इस तालाब में सीवर की गंदगी जमी हुई है।
30 साल तक इस तालाब में नगर निगम गंदा पानी बहाता रहा था। 2010-11 में हाईकोर्ट ने तालाब में गंदा पानी बहाए जाने पर रोक लगा दी थी। नगर निगम ने गंदा पानी इस तालाब में डालना बंद कर दिया था। हाईकोर्ट ने उस समय इस तालाब की प्रति वर्ष सफाई कराने की अनिवार्यता बताई थी। मगर इसके 2 साल तक नियमित सफाई कराई गई। उसके बाद से बंद है।
अदालत जाएगा मामला
इस तालाब में डाले जा रहे गंदे पानी को रुकवाने के लिए कोर्ट जाने वाले तपस संस्था के संस्थापक वी के जैन कहते हैं कि इस तालाब में पिछले कई सालों से सीवर की गंदगी पड़ी है। वह कहते हैं कि सीवर का पानी जरूर तालाब में नहीं जा रहा है। मगर आसपास के इलाके में सीवर भरा हुआ है जो इस तालाब में रिस रहा है। जिससे तालाब का जल प्रदूषित हो रहा है। उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर अदालत जाएंगे। कभी इस तालाब के जल को स्पर्श करना भी लोग शुभ मानते थे। कई संतों की कब्रें इसके आस-पास बनाई गईं, मगर अब बची नहीं हैं।
क्या है इतिहास
महरौली स्थित जहाज महल के पास ही 800 साल पुराना राष्ट्रीय महत्व का यह ऐतिहासिक हौज-ए-शम्सी तालाब है। इसे मामुलुक वंश के शासक शम्सुद्दीन इल्तुतमिश ने सन 1230 ईसवी में बनवाया था। एएसआइ के अनुसार, धार्मिक परम्परा यह है कि पैगम्बर ने एक बार इल्तुतमिश को स्वप्न में दर्शन दिए थे और जहां पर तालाब बना है इस स्थल की ओर तालाब के निर्माण के लिए उपयुक्त होने का इशारा किया था। प्रसिद्ध यात्री इब्नबतूता ने अपनी रचनाओं में इस तालाब का जिक्र किया है।
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