आतिशी क्यों नहीं चाहतीं कोई उन्हें नेता कहे? CM बनने तक का सफर और उनका संघर्ष आपको भी कर देगा प्रेरित
Atishi Struggle Story राजधानी दिल्ली की मुख्यमंत्री चुनी जाने वाली आतिशी का अंदाज बेहद खास हैं। वे मिलने वालों से बेहद सहज लहजे से बात करती हैं। इतना ही नहीं कठोर बात को भी मुस्कुराते हुए कह जाना उनका अंदाज है। पढ़िए आखिर आतिशी के संघर्ष की कहानी क्या है और कैसे उनके राजनीतिक जीवन में उतार-चढ़ाव आए। उनके बारे में सब कुछ पढ़िए।
वी के शुक्ला, नई दिल्ली। Atishi Struggle Story दिल्ली की सत्ता एक ऐसी महिला मुख्यमंत्री संभालने जा रही हैं, जिन्होंने कभी खुद को नेता कहलाना पसंद नहीं किया। आतिशी खुद को एक सामान्य कार्यकर्ता मानती हैं। मिलने वालों से सहज लहजे में बात करती हैं और कठोर बात भी सामने वाले से मुस्कुराते हुए कह जाना उनका अंदाज है। मुख्यमंत्री चुने जाने के बाद अपनी पहली टिप्पणी में उन्होंने अरविंद केजरीवाल को अपना बड़ा भाई बताया।
उन्होंने आम आदमी पार्टी (आप) को श्रेय देते हुए कहा कि यह केवल यहीं संभव है कि पहली बार राजनीति में आए किसी व्यक्ति को इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी जा रही है। आतिशी ने एक सामान्य कार्यकर्ता से मुख्यमंत्री पद तक के राजनीतिक सफर में कई उतार-चढ़ाव देखे, मगर पार्टी के लिए हमेशा एक अच्छी प्लानर साबित हुईं। शिक्षा में सुधार के लिए पूर्व उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के साथ मिलकर काम किया है।
दिल्ली सरकार में सबसे ज्यादा मंत्रालय संभालने वाली 43 वर्षीय आतिशी, सुषमा स्वराज और शीला दीक्षित के बाद राष्ट्रीय राजधानी की मुख्यमंत्री बनने वाली तीसरी महिला होंगी। आतिशी आम आदमी पार्टी की संस्थापक सदस्य रही हैं। उन्होंने इसकी नीतियों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
बता दें कि वर्ष 2013 में दिल्ली विधानसभा चुनाव के घोषणापत्र की मसौदा समिति के प्रमुख सदस्य के रूप में शामिल रही हैं। मुद्दों की मुखरता से वकालत के लिए जानी जाने वाली आतिशी ने इससे पहले मध्य प्रदेश में खंडवा के एक गांव में सात साल बिताए, जहां उन्होंने जैविक खेती और प्रगतिशील शिक्षा पर अपना ध्यान केंद्रित किया था। उनके अनुभव ने राजनीतिक बदलाव के प्रति उनके समर्पण को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
2019 में चुनावी राजनीति में उतरीं
आतिशी 2019 में चुनावी राजनीति में उतरीं। पूर्वी दिल्ली से भाजपा के गौतम गंभीर के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 2019 के चुनाव से पहले उन्होंने भाजपा उम्मीदवार पर उन्हें बदनाम करने और अश्लील टिप्पणियों वाले पर्चे बांटने का आरोप लगाया था, इस वजह से एक प्रेसवार्ता में वह रो पड़ी थीं। 2020 में आतिशी ने फिर से चुनाव लड़ा। इस बार दिल्ली विधानसभा चुनाव में कालकाजी से विधायक चुनी गईं। मार्च 2023 में उन्हें ऐसे समय में कैबिनेट में शामिल किया गया था, जब आबकारी घोटाले में उस समय के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद सरकार संकट से जूझ रही थी।
हर मोर्चे पर मजबूती से रखा पार्टी का पक्ष
आतिशी वर्तमान में वित्त, जल, पीडब्ल्यूडी, उर्जा और शिक्षा जैसे प्रमुख विभागों सहित सबसे अधिक विभाग संभाल रही हैं। सिसोदिया और केजरीवाल के जेल में होने पर आतिशी ने न केवल शासन का ध्यान रखा, बल्कि लगातार प्रेसवार्ता कर पार्टी का बचाव किया। चाहे दिल्ली जल संकट हो या राज्यसभा सदस्य स्वाति मालीवाल द्वारा केजरीवाल के पीए विभव कुमार पर हमला करने का आरोप लगाने के बाद की स्थिति रही हो। जब राजधानी पानी की कमी से जूझ रही थी, तब उन्होंने हरियाणा से दिल्ली के पानी के हिस्से की मांग को लेकर भूख हड़ताल भी की थी। लगातार कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ते हुए उन्होंने केजरीवाल की जगह लेने के लिए दूसरे नेताओं को पीछे छोड़ दिया।
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स्कूलों के बुनियादी ढांचे में किया बदलाव
आतिशी को दिल्ली की शिक्षा क्रांति को आकार देने वाले शिल्पियों में जाना जाता है। सरकारी स्कूलों के बुनियादी ढांचे में सुधार के साथ ही स्कूल प्रबंधन समितियों का गठन करने की रणनीति तय की, निजी स्कूलों को मनमानी फीस बढ़ाने से रोकने के लिए नियमों को मजबूत करने के साथ ही हैप्पीनेस पाठ्यक्रम शुरू कराया।
2022 में संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया। उनके माता-पिता विजय सिंह और तृप्ता वाही दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे। सेंट स्टीफंस कॉलेज से इतिहास में स्नातक की डिग्री प्राप्त की और अपने बैच में शीर्ष स्थान प्राप्त किया। उन्होंने आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से भी शिक्षा और इतिहास में स्नातकोत्तर की डिग्री भी ली है।
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