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    मानसून की मार : MP, MLA, DM, SDM के दौरे ने रावता के किसानों के मन में जगाई उम्मीद, 300 एकड़ खेत पर फिरा पानी

    Updated: Sat, 19 Jul 2025 12:59 PM (IST)

    पश्चिमी दिल्ली के रावता गांव में मानसून के दौरान खेतों में जलभराव की समस्या से किसान परेशान हैं। प्रशासन और नेताओं ने गांव का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया है। किसानों को मुआवजे की उम्मीद है लेकिन वे इस समस्या का स्थायी समाधान चाहते हैं। नजफगढ़ ड्रेन में पानी के ओवरफ्लो होने से यह समस्या होती है जिसके समाधान के लिए दीर्घकालीन प्रयास की आवश्यकता है।

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    सांसद, विधायक, डीएम, एसडीएम के दौरे ने रावता के किसानों के मन में जगाई उम्मीद

    गौतम कुमार मिश्रा, पश्चिमी दिल्ली। हर साल मानसून का आगमन रावता गांव के किसानों के लिए आने वाले मुसीबत की आहट है। वर्षा के आते ही गांव के खेत वर्षा जल से लबालब भर जाते हैं। पानी इतनी मात्रा में लगातार जमा रहता है कि यह खेती करने के लायक ही नहीं रहती है। कम से कम 300 एकड़ खेत तो ऐसा है जो साल के अधिकांश महीने पानी से भरा रहता है।

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    तब एक उम्मीद नजर आई 

    इस साल जब वर्षा का दौर शुरू हुआ तो हर बार की तरह खेत पानी में डूबने लगे। आखिर ऐसा कब तक होगा। इस समस्या से किसानों को कब छुटकारा मिलेगा। इन प्रश्नों की आस में बैठे रावता के किसानों को तब एक उम्मीद नजर आई जब प्रशासन व नेताओं ने इनकी सुध ली। गांव का दौरा क्षेत्रीय सांसद कमलजीत सहरावत ने दक्षिणी पश्चिमी जिलाधिकारी (डीएम), कापसहेड़ा के एसडीएम व मटियाला के विधायक व सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर किया।

    आखिर क्यों भरता है पानी

    रावता के ग्रामीणों का कहना है कि यह समस्या करीब ढाई दशक से है, जो समय के साथ कम होने के बजाय बढ़ रही है। गांव के किनारे से नजफगढ़ ड्रेन गुजरता है। ढांसा रेग्यूलेटर से शुरु होकर यह ड्रेन यमुना में जाकर गिरता है। किसी जमाने में यह साहिबी नदी हुआ करती थी।

    करीब छह दशक पहले जब दिल्ली बाढ़ की चपेट में आई थी, तब इसके दोनों ओर बांध बना दिया गया। लेकिन रावता के नजदीक करीब ढाइ किलोमीटर के हिस्से में केवल एक ही किनारे पर बांध है। जिस किनारे पर बांध नहीं है उसका कुछ हिस्सा दिल्ली व कुछ हिस्सा हरियाणा में आता है।

    वर्षा में विकराल हो जाती है स्थिति

    समय के साथ जब शहरीकरण बढ़ा, इलाके की आबादी बढ़ी तो जलनिकासी एक बड़ी समस्या बनी। तब शहरी बरसाती नालों का निकास नजफगढ़ नाले में कर दिया गया। इधर दिल्ली देहात के भी जो गांव इस क्षेत्र में है, उसके नालों की निकास भी इसी ड्रेन में कर दी गई। जब पानी की मात्रा ड्रेन में बढ़ती है ताे यही पानी ओवरफ्लो होकर खेतों में फैल जाता है। वर्षा के समय यह स्थिति पूरी तरह विकराल रूप ले लेती है।

    क्या है उपाय

    ग्रामीणों ने यहां सांसद व अधिकारियों को बताया कि दो स्तरों पर उपाय होने जरुरी है। एक तो नजफगढ़ नाले की इस क्षेत्र में गहराई अधिक की जानी चाहिए ताकि इसकी जलग्रहण क्षमता अधिक हो। ऐसा गाद निकालकर भी किया जा सकता है।

    दूसरा ड्रेन के दूसरी ओर बांध बने, इसे लेकर प्रयास तेज होने चाहिए। इसके लिए दिल्ली व हरियाणा सरकार आपस में बात करे। ग्रामीणों ने अधिकारियों को यह भी बताया कि नजफगढ़ ड्रेन में जहां जहां नए पुल बने हैं, वहां जो गाद एकत्रित थी, उसकी सही से सफाई नहीं हुई है।

    गाद जमा होने के कारण ड्रेन का बहाव बाधित हो रहा है, जिसका असर रावता में पानी के ओवरफ्लो होने के रूप में सामने आता है।

    दौरे से क्या होगा फायदा

    बड़ा सवाल है कि आखिर इस दौरे का क्या फायदा होगा। ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें कोई ठोस आश्वासन किसी से नहीं मिला। सांसद ने नुकसान का जायजा लिया, जिससे मुआवजे को लेकर एक उम्मीद जरुर जगी। मुआवजा अच्छी बात है, लेकिन बात तो तब बने, जब इस समस्या का स्थायी समाधान हो। उधर अधिकारियों का कहना है कि स्थायी समाधान के लिए दीर्घकालीन प्रयास की जरुरत है। अच्छी बात यह है कि प्रयास शुरु हो चुका है।

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