एसी कोच से पर्स चोरी होने के मामले में नया आदेश, यात्रियों के साथ उनके सामान की सुरक्षा रेलवे की जिम्मेदारी
Indian Railway 18 अप्रैल को लौटते वक्त नांदेड़-श्रीगंगानगर एक्सप्रेस के एसी थ्री टीयर कोच से मध्यप्रदेश के बीना जंक्शन के पास किसी ने उनका पर्स चोरी कर लिया था। इस पर्स में आठ से दस हजार रुपये कैमरा मोबाइल फोन आधार कार्ड व अन्य सामान रखा था।
नई दिल्ली [आशीष गुप्ता]। Indian Railway: ट्रेन के एसी कोच में यात्री का सामान चोरी होना, भारतीय रेलवे के कर्मचारियों की लापरवाही के दायरे में आता है। पूर्वी जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने एक महिला यात्री की शिकायत पर ट्रेन के एसी कोच से उनका पर्स चोरी होने के मामले में आदेश देते हुए कहा कि एक व्यक्ति अपने लिए सुरक्षित और आरामदायक यात्रा सुनिश्चित करने के लिए आरक्षित टिकट खरीदता है। यदि किसी के अनधिकृत प्रवेश के कारण आरक्षित श्रेणी में किसी यात्री का सामान चोरी हो जाता है तो रेलवे को इसकी पूरी जिम्मेदारी लेनी चाहिए, क्योंकि ट्रेन में यात्रियों के साथ-साथ उनके सामान की सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी रेलवे की होती है।
नांदेड़-श्रीगंगानगर एक्सप्रेस के एसी थ्री टीयर कोच से पर्स चोरी
यह टिप्पणी करने के साथ ही आयोग ने इस मामले में कोच अटेंडेंट और टीटीई की लापरवाही मानते हुए रेलवे पर 25 हजार रुपये का अर्थ दंड लगाया है। निर्देश दिया है कि मानसिक उत्पीड़न व परेशानी के लिए रेलवे यह राशि महिला यात्री को दे।पांडव नगर की हरविंदर कौर दिल्ली सरकार के स्कूल में शिक्षिका हैं। वह परिवार के साथ 11 अप्रैल 2019 को नांदेड़ गई थीं। वहां से 18 अप्रैल को लौटते वक्त नांदेड़-श्रीगंगानगर एक्सप्रेस के एसी थ्री टीयर कोच से मध्यप्रदेश के बीना जंक्शन के पास किसी ने उनका पर्स चोरी कर लिया था। इस पर्स में आठ से दस हजार रुपये, कैमरा, मोबाइल फोन, आधार कार्ड व अन्य सामान रखा था।
दिसंबर 2019 में पूर्वी जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में दर्ज कराई थी शिकायत
अगले दिन नई दिल्ली जीआरपी थाने में इस चोरी की प्राथमिकी दर्ज कराई थी। साथ ही रेल मंत्री, पीएमओ पोर्टल समेत स्तरों पर रेलवे की सेवाओं के खिलाफ शिकायत की थी। 13 मई 2019 को पश्चिम मध्य रेलवे ने पत्र के माध्यम से उनको सूचित किया था कि चोरी के आरोप में बीना निवासी संजू विश्वकर्मा को गिरफ्तार कर उससे उनका पर्स बरामद कर लिया गया और उसमें आठ-दस हजार नहीं केवल 1810 रुपये मिले। इस चोरी में मोबाइल फोन चले जाने के कारण उनको काफी परेशानी हुई थी।इस परेशानी के कारण हरविंदर ने रेलवे को सबक सिखाने के लिए दिसंबर 2019 में पूर्वी जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में रेलवे की सेवाओं में कमी बताते हुए शिकायत कर दी।
घटना के समय कोच अटेंडेंट पर सोते रहने का आरोप
उसमें आरोप लगाया कि चोरी की वारदात रेलवे कर्मचारियों की लापरवाही की वजह से हुई थी। एसी कोच में अटेंडेंट और टीटीई की जिम्मेदारी होती है कि वह अधिकृत टिकट धारक को ही अंदर प्रवेश करने दे। अनधिकृत लोगों को कोच में आने से रोकें। कोच अटेंडेंट का कर्तव्य है कि वह दरवाजे को ठीक से लाक करे और यात्री की जरूरत पर उसे खोले। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उस दिन कोच अटेंडेंट सो रहा था।
सेवा में कमी के लिए पांच लाख की मांग थी क्षतिपूर्ति
इसकी वजह से सामान बेचने वाले भी कोच में आ-जा रहे थे। उन्होंने सेवा में कमी के लिए पांच लाख रुपये क्षतिपूर्ति मांगी थी। रेलवे ने पक्ष रखा कि यह शिकायत उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के दायरे में नहीं आती। महिला यात्री का पर्स उनकी खुद की लापरवाही से से पर्स चोरी हुआ था, रेलवे में इसका कोई दोष नहीं था। साथ ही बताया कि रेलवे उसकी सामान के लिए जिम्मेदार है, जिसकी रसीद उसने जारी की है।
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