Kisan Andolan: प्रदर्शन के ‘शामियानों’ में किसानों का ‘शहर’, सिंघु बॉर्डर पर बढ़ रही तंबुओं की संख्या
सिंघु बार्डर पर कई जगह बड़े-बड़े लंगर हाल बनाए गए। बारिश और ठंड की वजह से बिखरा-बिखरा सा लग रहा प्रदर्शन अब फिर से मजबूती पकड़ने लगा है। जिस उत्साह के ...और पढ़ें

नई दिल्ली [सोनू राणा]। कृषि कानूनों के विरोध में सिंघु बार्डर पर किसान 40 दिन से डटे हुए हैं। ज्यादातर किसानों का कहना है कि जब तक तीनों कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया जाता वे यहां से नहीं हटेंगे। किसान नहीं हटने के दावे करने के साथ ही इन दावों को मजबूती देने में भी जुटे हुए नजर आते हैं। आलम यह है कि हर रोज किसानों के तंबुओं की तादाद बढ़ती जा रही है। इतना ही नहीं किसानों की तरफ से कई जगह तो राष्ट्रीय राजमार्ग पर पक्का निर्माण तक कर दिया गया है। राजमार्ग को देखकर लगता है, मानो किसी आवासीय इलाके में आ गए हैं। यहां कोई सीमेंट व ईटों से पक्की दीवारें खड़ी करने में जुटा है, तो कोई पहले से बने शामियानों को मजबूत बना रहा है।
कहीं, स्नानागार और शौचालय बनाए जा रहे हैं, तो कहीं लंगर हाल का निर्माण हो रहा है। सोमवार को भी सिंघु बार्डर पर कई जगह बड़े-बड़े लंगर हाल बनाए गए। बीच में बारिश और ठंड की वजह से बिखरा-बिखरा सा लग रहा प्रदर्शन अब फिर से मजबूती पकड़ने लगा है। जिस उत्साह के साथ किसान तैयारियों में जुटे हैं, उसे देखते हुए लगता है कि वे जल्द मैदान छोड़ने वाले नहीं है।
विरोधाभास के बीच जारी है आंदोलन
किसानों का आंदोलन कई तरह के विरोधाभास से भरा है, जिसमें सबसे दिलचस्प बात यह है कि जब भी किसान नेता सरकार के साथ बात करने जाते हैं और उम्मीद जताते हैं कि अब गतिरोध खत्म होगा और बात आगे बढ़ेगी, तो दूसरी तरफ राष्ट्रीय राजमार्ग पर पक्के निर्माण, लंगर हाल और प्रदर्शनकारियों के लिए सुविधाओं के इंतजामों का विस्तार होने लगता है।
सोमवार को भी एक तरफ किसान नेता सरकार से बात करने के लिए विज्ञान भवन गए थे, वहीं दूसरी ओर किसानों की ओर से बड़े-बड़े लंगर हाल बनाए जा रहे थे। इसको देखकर आसपास से गुजरने वाले लोगों का यही कहना है कि किसान तो यहां शामियानों में शहर बसाकर ही मानेंगे।
चढ़ूनी को लगानी पड़ी दौड़
सिंघु बार्डर पर सोमवार को किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी को उस समय दौड़ लगानी पड़ी, जब सरकार के साथ आठवें दौर की वार्ता के लिए किसान नेता विज्ञान भवन जा रहे थे। जिस बस में नेता जा रहे थे, चढूनी उस बस में चढ़ते उससे पहले ही बस चल पड़ी। गुरनाम सिंह पहले तो कुछ दूर तक बस के पीछे दौड़े, पर जब बस काफी दूर चली गई, तो उन्हें कार में लिफ्ट लेकर जाना पड़ा।

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