दिल्ली में नागरिकता देने की प्रक्रिया तेज, 400 से अधिक को मिली ‘खुशियां’; 2500 अधिक लोगों को अभी भी इंतजार
दिल्ली के सभी 11 जिलों में सीएए के तहत नागरिकता देने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। जिलास्तर पर दो-दो अधिकारियों के इसके लिए प्रशिक्षित किया गया था। अब ...और पढ़ें

अजय राय, नई दिल्ली। सीता को करीब 15 साल के इंतजार के बाद भारत की नागरिकता मिली, उन्हें अब भरोसा है कि उन्हें वो सारी सुविधाएं मिलेंगी, जो हर भारतीय को मिलती है। वहीं युवा पहलाज और परमानंद को सबसे बड़ी खुशी है कि उन्हें अब को शराणर्थी नहीं कहेगा। उन्हें यह बात बहुत चुभती थी, अब वे अपनी भारतीयता के पहचान के साथ देश की तरक्की में अपना योगदान देंगे।
पाकिस्तान में प्रताड़ित होने के बाद वर्षों से मजनूं का टीला में शरणार्थी के रूप में जीवनयापन कर रहे, लोगों के घर नागरिकता की खुुशियां तेजी से आने लगी है। दिल्ली में करीब 2,500 से अधिक ऐसे शरणार्थी हैं, जो पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आकर यहां वर्षों से भारत की नागरिकता का इंतजार कर रहे थे।
400 से अधिक लोगों को नागरिकता
राष्ट्रीय राजधानी में नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 (सीएए) के तहत जून तक 1,600 से अधिक लोगों ने आवेदन किया। इसमें 400 से अधिक लोगों को नागरिकता दे दी गई है। अधिकारियों के मुताबिक, व्यापक प्रचार प्रसार के कारण जिला स्तर पर आने वाले अधिकांश आवेदन शर्तों को पूरा कर रहे हैं, इसलिए प्रदेश स्तर पर तेजी से काम हो रहा है।
सीएए के तहत नागरिकता देने की प्रक्रिया तेज
विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली के सभी 11 जिलों में सीएए के तहत नागरिकता देने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। जिलास्तर पर दो-दो अधिकारियों के इसके लिए प्रशिक्षित किया गया था। अब तक दक्षिण पश्चिम जिले में सर्वाधिक 598 आवेदन स्वीकृत किए गए हैं। इसके साथ ही दक्षिण दिल्ली जिला में 495, मध्य में 250, दक्षिण पूर्व में 28, उत्तर पश्चिम में 200, उत्तर में 80 और बाकी जिलों में एक से पांच आवेदन स्वीकृत किए गए हैं। सबसे कम शाहदरा से एक आवेदन प्राप्त हुआ है। इसमें 400 से अधिक शरणार्थियों को भारत की नागरिकता दे दी जा चुकी है।
प्रताड़ित होने के बाद भारत में ले रहे शरण
अधिकारी के मुताबिक, सीएए के तहत आवेदन करने वाले व्यक्ति को राज्यस्तरीय अधिकार प्राप्त समिति के समक्ष शपथ लेने के लिए प्रस्तुत होना होता है, जहां उससे कुछ सवाल भी पूूछे जाते हैं। इसमें अधिकांश की स्थिति एक सी है। अधिकांश लोग प्रताड़ित होने और जमीन पर कब्जा होने की स्थिति में भारत में शरण लेने को मजबूर हुए थे। यहां आकर ये लोग सामान्य कार्य जिसमें अधिकाधिक लोग मोबाइल कवर बेचकर और ठेले-खोंमचे लगाकर अपना जीवनयापन कर रहे हैं।
2014 से पहले आनेवाले लोगों को दी जाती है नागरिकता
बता दें कि सीएए के तहत नागरिकता देने के लिए जिला समिति में डाक विभाग के अधिकारी की अध्यक्षता में नायब तहसीलदार, एनआईसी के डीआईओ, पुलिस अधिकारी और खुफिया विभाग से एक-एक सदस्य हैं। वहीं, राज्य समिति में जनगणना अधिकारी, डाक विभाग, एनआईसी, पुलिस व खुफिया विभाग के एक-एक वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं। बता दें कि सीसीए के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से प्रताड़ित गैर मुस्लिम प्रवासियों को भारत की नागरिकता दी जा रही है। कानून के मुताबिक, जो लोग 31 दिसंबर, 2014 से पहले आकर भारत में बस गए थे, उन्हें ही नागरिकता दी जाएगी।

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