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    Delhi News: कब दूर होगी बस यात्रियों की परेशानी, कहां फंसा है पेंच? सामने आई बड़ी वजह

    By V K Shukla Edited By: Rajesh Kumar
    Updated: Tue, 22 Apr 2025 09:07 PM (IST)

    दिल्ली में 1400 बस स्टॉप पर शेल्टर बनाने की योजना पिछले 10 सालों से अटकी हुई है। सरकार पीपीपी मॉडल के तहत काम करना चाहती है लेकिन निजी कंपनियां तैयार नहीं हैं। फंड की कमी के कारण यह प्रोजेक्ट रुका हुआ है जिससे यात्रियों को धूप और बारिश में परेशानी हो रही है। निजी कंपनियां इस व्यवस्था के तहत आने को तैयार नहीं हैं।

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    फिलहाल दूर हाेती नहीं दिखाई दे रही बस यात्रियों की परेशानी। फाइल फोटो

    वीके शुक्ला, नई दिल्ली। चिलचिलाती धूप व गर्मी में सड़क किनारे खड़े होकर बसों का इंतजार करने वाले यात्रियों की परेशानी निकट भविष्य में दूर होने के आसार नहीं हैं। दिल्ली के 1400 बस स्टॉप पर शेल्टर बनाने व उनके रखरखाव की योजना पिछले 10 साल से ठंडे बस्ते में पड़ी है।

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    कहां फंसा है मामला?

    इस काम के लिए फंड की जरूरत है। सरकार चाहती है कि इस परियोजना के तहत पीपीपी (पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप) मोड में काम हो। लेकिन निजी कंपनियां इस व्यवस्था के तहत आने को तैयार नहीं हैं। यही वजह है कि पिछली आप सरकार 10 साल में भी इस योजना को आगे नहीं बढ़ा सकी।

    यह काम दिल्ली परिवहन विभाग के तहत दिल्ली ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (डीटीआईडीसी) देखता है। इस संबंध में परिवहन मंत्री डॉ. पंकज सिंह से बात करने का प्रयास किया गया, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका।

    AAP की सरकार ने की ये गलती 

    परिवहन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि इस प्रोजेक्ट पर तभी काम हो सकता है जब सरकार इसके लिए पैसा दे। उन्होंने कहा कि इस मामले को सरकार के समक्ष रखा जाएगा। अगर पिछली आप सरकार की बात करें तो पिछले 10 सालों में सरकार की ओर से कई बार इस प्रस्ताव को लौटाया गया।

    उनके मुताबिक, आप सरकार चाहती थी कि पीपीपी मोड के जरिए इन बस स्टॉप पर शेल्टर बनाए जाएं, निजी कंपनियां अपना पैसा लगाकर इनका रखरखाव करें और सरकार को कुछ राजस्व भी दें। लेकिन ज्यादातर बस स्टॉप ऐसी जगहों पर हैं जो ग्रामीण या पिछड़े इलाकों में हैं।

    निजी कंपनियां ऐसे स्टॉप पर शेल्टर लगाने और उनका रखरखाव करने को तैयार नहीं हैं। उनकी नजर में यह घाटे का सौदा साबित हो सकता है।

    सूत्रों की मानें तो इन्हें बनाने का एक ही उपाय है कि सरकार ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में बसेरा तैयार करे। अगर ऐसा नहीं किया गया तो आने वाले समय में भी लोगों को धूप और बारिश में सड़क किनारे खड़े होकर बस का इंतजार करना पड़ेगा।

    अब देखना यह है कि मौजूदा सरकार इस मामले में कितनी दिलचस्पी दिखाती है। हालांकि अभी सरकार को सत्ता में आए दो महीने ही हुए हैं और ऐसे में सरकार पर अचानक कई जिम्मेदारियां आ गई हैं, लेकिन आने वाले दिनों में यह देखना होगा कि सरकार इस ओर कितना और ध्यान देती है।

    क्या है पीपीपी

    पीपीपी मोड एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें सरकार और निजी क्षेत्र की कंपनियाँ मिलकर सार्वजनिक बुनियादी ढाँचे और सेवाओं का निर्माण और संचालन करती हैं। यह एक ऐसा समझौता है जिसके तहत निजी क्षेत्र सरकारी परियोजनाओं में निवेश करता है और बदले में परियोजनाओं से होने वाली आय का एक हिस्सा प्राप्त करता है।

    गौरतलब है कि डीटीआईडीसी ने 178 बस स्टॉप पर शेल्टर बनाने और चलाने के लिए टेंडर जारी किए हैं। ये वो बस स्टॉप हैं, जहां पहले से शेल्टर बने हुए हैं। कुछ के टेंडर की अवधि खत्म हो गई है या कुछ टूट चुके हैं। बस स्टॉप पर शेल्टर लगाने के साथ ही कंपनियां इनका रखरखाव भी करेंगी।

    कंपनियां विज्ञापन लगाकर अपना खर्चा पूरा करेंगी और सरकार को रेवेन्यू भी देंगी। डीटीआईडीसी ने इसके लिए टेंडर जारी किए हैं। ये वो बस स्टॉप हैं, जिन्हें पहले कंपनियां लगाने के बाद उनका रखरखाव कर रही थीं।

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