दिल्ली में प्रॉपर्टी का मालिकाना हक मिलना नहीं आसान, PM के नाम पर चल रही स्कीम छह साल में 1% भी नहीं बढ़ी
दिल्ली में पीएम उदय योजना के तहत अनधिकृत कॉलोनियों को मालिकाना हक देने का लक्ष्य अभी भी अधूरा है। 2019 में शुरू हुई इस योजना में छह साल बाद भी केवल 35 हजार लोगों को ही कन्वेंस डीड मिल पाई है जबकि आवेदन करने वालों की संख्या लाखों में है। लोगों का कहना है कि प्रक्रिया जटिल है गंभीरता से काम नहीं हो रहा जिससे आवेदन अस्वीकृत हो रहे हैं।

संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी में अपनी ही संपत्ति का मालिकाना हक पाना कितना मुश्किल है, इसका सबसे बड़ा उदाहरण ''पीएम उदय'' योजना है।
दिल्ली की 1731 अनधिकृत काॅलोनियों में रहने वालों को उनकी संपत्ति का मालिकाना हक देने के लिए विकास प्राधिकरण (DDA) ने यह योजना 2019 में शुरू की थी, लेकिन 2025 में भी योजना अपेक्षित लक्ष्य से कोसों दूर है।
आलम यह है कि करीब छह वर्ष में भी 35 हजार से कम लोगों को ही कन्वेंस डीड (सीडी) जारी की जा सकी है। आम जन काे जहां डीडीए के अधिकारियों से शिकायत है वहीं डीडीए का कहना है कि प्रक्रिया को और सरल बनाने की कोशिश चल रही है।
फरवरी 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव से पूर्व 29 अक्टूबर 2019 को इस महत्वाकांक्षी योजना की शुरुआत तत्कालीन केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी के हाथों हुई थी।
कहा गया था कि इससे अनधिकृत कॉलोनियों में न केवल बेहतर ढंग से विकास हो सकेगा बल्कि यहां रहने वालों को पक्की रजिस्ट्री होने पर बैंक से ऋण भी मिल पाएगा। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने योजना पर सवाल उठाए, लेकिन लोगों ने फिर भी इसमें दिलचस्पी दिखाई।
इस स्कीम के तहत एक अगस्त 2025 तक एक लाख 32 हजार से अधिक लोग आवेदन कर चुके हैं। बावजूद इसके मालिकाना हक पाने वालों की संख्या अभी तक 35 हजार भी नहीं पहुंची है। इन काॅलोनियों में 40 लाख लोग रहते हैं, यानी एक प्रतिशत को भी मकान नहीं मिले।
पीएम उदय योजना के तहत आवेदन करने वाले लोगों का कहना है कि मालिकाना हक पाने की प्रक्रिया आसान नहीं है। लोग कोशिश करते भी हैं तो प्रक्रिया से संबद्ध अधिकारी गंभीरता से अपना काम नहीं करते।
इसी का नतीजा है कि आवेदन अस्वीकृत हो जाते हैं। डीडीए के सूत्र बताते हैं कि पीएम उदय योजना में मालिकाना हक देने की प्रक्रिया में ज्यादातर वो अधिकारी तैनात रहे हैं जो डीडीए में दो तीन साल के लिए प्रतिनियुक्ति पर आए होते हैं।चूंकि इनकी जवाबदेही बहुत नहीं रहती तो अपेक्षित परिणाम भी नहीं आ पाते।
एक अगस्त 2025 तक पीएम उदय स्कीम का ब्योरा
- कुल आवेदन आए : 1,32,316
- आवेदनों पर कार्रवाई : 1,31,629
- कन्वेंस डीड जारी हुई़ : 34,858
- अस्वीकृत आवेदन : 37,195
- लंबित आवेदन : 61,536
- आवेदक के स्तर पर लंबित मामले : 55,526
- डीडीए के स्तर पर लंबित मामले : 6,010
सप्ताहांत पर लगाए जा रहे सिंगल विंडो शिविर
पीएम-उदय स्कीम को रफ्तार देने के लिए सिंगल विंडो शिविर लगाए जा रहे हैं। योजना का दूसरा चरण पिछले माह शुरू हुआ है। ये शिविर हर सप्ताहांत में लगाए जाते हैं, जहां लोग अपने आवेदन में आ रही कमियों को दूर कर सकते हैं।
इससे पहले डीडीए ने नवंबर 2024 में भी ऐसी शुरुआत की थी। तब मार्च 2025 तक लगातार साप्ताहिक शिविर लगाए गए थे, इनमें तकरीबन 19 हजार लोग आए थे।
डीडीए के अनुसार इन शिविरों में लोगों के स्वीकृत मामलों का निपटारा होता है, आवेदन की कमियों को दूर किया जाता है। रजिस्ट्रेशन और जीआईएस सर्वे में लोगों की मदद के साथ जरूरी दस्तावेज पूरे करने में लोगों को मदद मिलती है।
प्रचार के लिए फिल्म निर्माण कंपनी नियुक्त करने की योजना
पीएम उदय योजना के प्रचार के लिए डीडीए अब उच्च-गुणवत्ता वाले वीडियो बनाने के लिए निजी फर्म को नियुक्त करने की योजना बना रहा है। डीडीए इस योजना के गति नहीं पकड़ पाने का कारण प्रचार प्रसार की कमी मान रहा है।
एक अधिकारी ने कहा कि फिल्म निर्माण का उद्देश्य पीएम उदय योजना के लाभ, आवेदन प्रक्रिया, विशेषताओं आदि को प्रभावी ढंग से प्रदर्शित करना है, ताकि लक्ष्यबद्ध लोगों को आकर्षित किया जा सके। इसी निमित्त निविदा जारी की गई है।
अधिकारियों के अनुसार इस परियोजना के क्रियान्वयन के लिए राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (एनएफडीसी) के पैनल में शामिल एक विशेष एजेंसी का चयन किया जाएगा। वीडियो जनता की भागीदारी बढ़ाने एवं डीडीए की आवास एवं विकास पहलों की समझ बढ़ाने के लिए डिजाइन किए जाएंगे।
इन ऑडियो-विजुअल का उपयोग विभिन्न डिजिटल व पारंपरिक मीडिया प्लेटफार्म पर पीएम-उदय योजना के साथ डीडीए की आवास सूची और भविष्य की अन्य पहल के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए भी किया जाएगा।
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