PM मोदी को मिले 1300 उपहारों की ई-नीलामी शुरू, तुलजा भवानी की प्रतिमा की बोली पहुंची 1 करोड़ पार
प्रधानमंत्री को मिले 1300 उपहारों की नीलामी शुरू हो गई है। देवी तुजला भवानी की मूर्ति की बोली एक करोड़ रुपये से अधिक हो गई है जिसका आरक्षित मूल्य 10 लाख रुपये था। यह ऑनलाइन नीलामी 2 अक्टूबर तक चलेगी। इसमें श्रीरामलला मंदिर का मॉडल और पैरालिंपिक विजेताओं के जूते भी शामिल हैं। नीलामी से प्राप्त धन नमामि गंगे परियोजना को दान किया जाएगा।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री को विभिन्न अवसरों पर भेंट किए गए 1,300 उपहारों की नीलामी प्रक्रिया शुरू हो गई है। पहले दिन बुधवार को ही देवी तुजला भवानी की 11 किलो 800 ग्राम की प्रतिमा की बोली एक करोड़ तीन लाख 95 हजार रुपये तक पहुंच गई है। जिसके नीलामी का निर्धारित मूल्य 10 लाख 39 हजार 500 रुपये है। नीलामी की यह पूरी प्रक्रिया इंटरनेट माध्यम से दो अक्टूबर तक जारी रहेगी।
शास्त्रीय डिजाइन की भव्यता
देवी तुलजा भवानी की यह उत्कृष्ट प्रतिमा प्रधानमंत्री को भेंट में मिली थी। यह प्रतिमा एक लघु मंदिर की संरचना के भीतर स्थापित है, जो कांच के फ्रेम में खूबसूरती से जड़ी हुई है। मंदिर में अलंकृत नक्काशी, सजावटी स्तंभ और जटिल आकृतियां हैं जो मंदिर के शास्त्रीय डिजाइन की भव्यता को दर्शाती हैं और देवी की दिव्य उपस्थिति को निखारती हैं।
नीलामी में भाग लेने के लिए इच्छुक व्यक्ति आधिकारिक वेबसाइट https://pmmementos.gov.in/ पर जाकर पंजीकरण कराकर नीलामी प्रक्रिया में भाग ले सकते हैं। वेबसाइट पर ही वस्तुओं की सूची, विवरण के साथ उपलब्ध है।
उत्कृष्ट श्रीरामलला मंदिर
यह परंपरा जनवरी 2019 से चल रही है और प्रत्येक वर्ष नीलामी प्रक्रिया आयोजित की जााती है। जिससे अब तक 50 करोड़ रुपये जुटाए जा चुके हैं। खासबात की हर बार नीलामी से मिली राशि को नमामि गंगे अभियान को अर्पित की जाती है।
इस ई-नीलामी में पैरालिंपिक अजित सिंह, सिमरन शर्मा व निशाद कुमार के विजयी जूतों को भी रखा गया है, जिसे पहनकर पेरिस पैरालिंपिक में तीनों ने विभिन्न स्पर्धाओं में देश के लिए पदक जीता था।
उत्कृष्ट श्रीरामलला मंदिर का 10 किलो के धातु माडल की कीमत साढ़े पांच लाख रुपये निर्धारित है। सबसे कम मूल्य 1,100 रुपये विभिन्न राज्यों की विशिष्ट हस्तशिल्प को दर्शाते अंगवस्त्रम की है।
नागा शाल जैसी कई अन्य वस्तुएं
इस संग्रह में देश की सांस्कृतिक विविधता की भी झलक है, जिसमें पारंपरिक कला, पेंटिंग, मूर्तियां, हस्तशिल्प और आदिवासी कलाकृतियों से लेकर सम्मान और आदर के औपचारिक उपहार शामिल हैं। उसमें जम्मू और कश्मीर की उत्कृष्ट कढ़ाई वाली पश्मीना शाल, राम दरबार की एक तंजौर पेंटिंग, नटराज की एक धातु की मूर्ति, गुजरात की रोगन कला में ट्री आफ लाइफ और हाथ से बुनी हुई नागा शाल जैसी कई अन्य वस्तुएं हैं।
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