वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पुलिस की गवाही के आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में PIL, गवाह की निष्पक्षता को खतरे होने का दावा
दिल्ली हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर उपराज्यपाल वीके सक्सेना के उस आदेश को चुनौती दी गई है जिसमें पुलिस अधिकारियों को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए गवाही देने की अनुमति दी गई है। याचिका में निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार का उल्लंघन और गवाहों पर दबाव की आशंका जताई गई है।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दायर कर उपराज्यपाल वीके सक्सेना की ओर से जारी आदेश के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है।
यह आदेश राष्ट्रीय राजधानी के सभी थानों का डिजटलीकरण करता है, जहां पुलिस अधिकारी वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गवाही दे सकते हैं। ये याचिका वकील कपिल मदन ने वकील गुरमुख सिंह अरोड़ा और आयुषी बिष्ट की मदद से दायर की है।
याचिका में कहा गया है कि यह आदेश संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत निष्पक्ष न्याय के अधिकार को प्रभावित करता है। पुलिस अधिकारियों को अपने कार्यालय से गवाही देने की अनुमति देने से न्यायिक प्रक्रिया की गंभीरता कम हो जाती है और यह पक्षकारिता को केवल अभियोजन के पक्ष में झुका देता है।
याचिका में यह भी बताया गया कि कार्यस्थल से गवाही देने वाले गवाह पर सहकर्मियों या वरिष्ठ अधिकारियों का दबाव या प्रशिक्षण संभव है, जिससे गवाही की स्वतंत्रता और निष्पक्षता खतरे में पड़ेगी।
साथ ही, यह नोटिफिकेशन 2023 के बीएनएसएस अधिनियम की धारा 308 का उल्लंघन करता है, जिसमें गवाही आरोपित की उपस्थिति में और न्यायाधीश की निगरानी में रिकार्ड करने का प्रविधान है।
याचिका में कहा गया है कि पुलिस थाने से गवाही लेने से सुबूतों के साथ सामना करना मुश्किल हो जाता है और यह साक्ष्य शृंखला को भी प्रभावित कर सकता है। इससे न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार और साक्ष्य हेरफेर के खतरे बढ़ जाते हैं।
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