पुलिस इंस्पेक्टर और डॉक्टर के खिलाफ हो केस दर्ज, दिल्ली की एक अदालत ने दिया आदेश
कोर्ट ने हिरासत में एक आरोपित को शारीरिक तौर पर प्रताड़ित करने और झूठी मेडिकल रिपोर्ट तैयार करने के लिए पुलिस इंस्पेक्टर और डॉक्टर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है। आरोपित निशित कुमार के शरीर पर मिली चोटें हिरासत में हिंसा का संकेत देती हैं। अदालत ने एसएचओ को मामले की जांच करने और अन्य पुलिस अधिकारियों की भूमिका की भी जांच करने का निर्देश दिया है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। अदालत ने हिरासत में एक आरोपित को शारीरिक तौर पर प्रताड़ित करने और झूठी मेडिकल रिपोर्ट तैयार करने के लिए पुलिस इंस्पेक्टर और डॉक्टर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया। पटियाला हाउस स्थित अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रणव जोशी ने कहा कि आरोपित निशित कुमार के शरीर पर मिली चोटें सीधे तौर पर उसके साथ हिरासत में हिंसा किए जाने का संकेत देती हैं।
अदालत ने एसएचओ को मामले की जांच करने और अपराध में शामिल पाए गए अन्य पुलिस अधिकारियों की भूमिका की भी जांच करने का निर्देश दिया। अदालत ने ये आदेश तब दिया जब इंस्पेक्टर ने आरोपित की 10 दिन की हिरासत की मांग की। इस दौरान आरोपित ने अदालत को अपने साथ हुई शारीरिक हिंसा की घटना बताई।
पुलिस अधिकरियों ने किया संज्ञेय अपराध
इसके बाद कोर्ट ने चैंबर में उसकी निजी जांच की और उसके हाथ और पैर पर चोट के निशान पाए। अदालत ने आरोपित को पुलिस हिरासत में भेजने से इनकार करते हुए कहा कि शारीरिक यातना के प्रथम दृष्टया आरोप पुष्ट होते हैं।
न्यायाधीश ने कहा कि हिरासत में हिंसा ऐसी चीज नहीं है जिसे भारतीय कानूनी व्यवस्था के ढांचे के भीतर बर्दाश्त किया जाता है। भारतीय संवैधानिक न्यायालयों का यह लगातार मानना रहा है कि शारीरिक दुर्व्यवहार और हिंसा लोकतांत्रिक व्यवस्था की नींव पर प्रहार करती है। उन्होंने कहा कि न केवल पुलिस अधिकारियों ने कानून द्वारा उन्हें दिए गए अधिकार का दुरुपयोग किया, बल्कि उन्होंने संज्ञेय अपराध भी किया।
अदालत ने नोट किया कि गिरफ्तारी के दौरान जब आरोपित की एमएलसी हुई थी तब उसके शरीर पर चोट का कोई निशान नहीं था। हालांकि, इस घटना के बाद जेल अधिकारियों की मेडिकल जांच रिपोर्ट में पुष्टि हुई कि आरोपित के दाहिने पैर के तलवे, दाहिने और बाएं हाथ और बाएं कंधे पर चोटें थीं।
फर्जी मेडिकल बनाने वाले डॉक्टर को लेकर कही ये बात
अदालत ने कहा कि एम्स के जूनियर रेजिडेंट डा. अमन गहलोत ने आरोपित की एमएलसी की, उन्होंने पुलिस अधिकारियों के साथ साजिश रची। डॉक्टर ने जानबूझकर आरोपित की चोट को नजरअंदाज किया और झूठी मेडिकल रिपोर्ट तैयार की। अदालत ने दिल्ली पुलिस के परिवहन रेंज के विशेष आयुक्त, को इस आदेश का अनुपालन और मामले की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने का आदेश दिया।
अदालत ने आदेश दिया कि मेडिकल प्रैक्टिशनर के रूप में अपने कर्तव्य के निर्वहन में कदाचार के लिए डॉ. अमन गहलोत के खिलाफ जांच शुरू करने के लिए दिल्ली मेडिकल काउंसिल को एसएचओ के माध्यम से आरोपित की एमएलसी की प्रति के साथ आदेश भेजा जाए।
आरोपित निशित कुमार पर आरोप है कि उसने अपने वोटर आईडी पर काठमांडू की यात्रा की, लेकिन उसके दस्तावेज की जांच के दौरान पता चला कि वह अपने भारतीय पासपोर्ट पर यूके गया था, लेकिन उसके बाद उसने दूसरे भारतीय पासपोर्ट धारक की फर्जी पहचान बनाकर पुर्तगाली पासपोर्ट हासिल कर लिया।
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