दिल्ली के पालतू कुत्ते पालने वालों ने अगर नहीं करवाए ये काम तो होगी परेशानी, नगर निगम ने जारी किए सख्त निर्देश
पूर्वी दिल्ली में पालतू कुत्तों का पंजीकरण लापरवाही भरा है जिससे सुरक्षा खतरे में है। शाहदरा उत्तरी जोन में केवल 79 कुत्ते पंजीकृत हैं जबकि निगम अधिनियम के तहत पंजीकरण अनिवार्य है। अधिकारी कार्रवाई करने में विफल रहे हैं और कुत्तों के काटने की घटनाएं बढ़ रही हैं। निगम को नियमों का पालन सुनिश्चित करना चाहिए। लापरवाही लोगों की सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए खतरा बन रही है।

आशीष गुप्ता, पूर्वी दिल्ली। पालतू कुत्तों को बड़े चाव से पाला जा रहा है, लेकिन नियमों की किसी को परवाह नहीं है। पालक जानबूझकर कुत्तों का पंजीकरण नहीं कराते हैं। दिल्ली नगर निगम के अधिकारियों को इसकी जरा भी चिंता नहीं है।
निगम के शाहदरा उत्तरी जोन में पंजीकृत पालतू कुत्तों के आंकड़े इस हकीकत को उजागर कर रहे हैं। इस जोन के 35 वार्डों में मात्र 79 कुत्ते पंजीकृत हैं। यानी एक वार्ड में औसतन दो से तीन पालतू कुत्ते हैं। जो पचने लायक नहीं है। दो लाख से अधिक आबादी वाले इस जोन में पालतू कुत्तों की यह संख्या सागर में बूंद के समान है।
इनमें पिटबुल, रोटवीलर, जर्मन शेफर्ड जैसी हिंसक प्रजातियां बहुत कम संख्या में पंजीकृत हैं। संख्या पोमेरेनियन और देसी कुत्तों की है।ऐसा क्यों?
निगम के पशु चिकित्सा विभाग के अधिकारी यह कहकर बचने का प्रयास कर रहे हैं कि पालतू कुत्तों का पंजीकरण घर-घर जाकर नहीं किया जा सकता। यह लापरवाही लोगों की सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए खतरा बन रही है।
दैनिक जागरण संवाददाता ने जब इस मामले की पड़ताल की तो पता चला कि पशु चिकित्सकों के पास इलाज के लिए आने वाले पालतू कुत्तों का रिकॉर्ड निगम के रिकॉर्ड से भी ज्यादा है।
लोनी रोड के ईस्ट स्थित एलआइजी फ्लैट में क्लीनिक चलाने वाले पशु चिकित्सक ने बताया कि उनके रिकॉर्ड में 113 पालतू कुत्ते हैं, जिन्हें उनके पास लाया जाता है। उन्होंने यह भी बताया कि उनके पास पालतू कुत्ते सिर्फ तीन किलोमीटर के दायरे से ही लाए जाते हैं।
इससे कुछ दूरी पर पालतू जानवरों का खाना बेचने वाले दुकानदार हरीश ने बताया कि उनकी दुकान से नियमित तौर पर 72 पालतू कुत्तों का सामान भेजा जाता है।
पंजीकरण न कराने वालों पर कार्रवाई शून्य
दिल्ली नगर निगम अधिनियम की धारा 399 के तहत हर साल पालतू कुत्तों का पंजीकरण कराना अनिवार्य है। पंजीकरण की फीस 500 रुपये है। पंजीकरण कराते समय कुत्ते का टीकाकरण रिकॉर्ड, उसके पशु चिकित्सक का विवरण, मालिक के साथ कुत्ते की फोटो और कई अन्य विवरण दर्ज करने होते हैं।
सब कुछ सत्यापित करने के बाद पंजीकरण किया जाता है। इस अधिनियम में प्रावधान है कि अगर कोई गैर पंजीकृत कुत्ता घूमता हुआ दिखाई देता है तो उसे जब्त किया जा सकता है। लेकिन निगम के पास ऐसा कोई विवरण नहीं है जिस पर उसने कार्रवाई की हो। चालान का भी प्रावधान है।
टोकन नहीं देता निगम
अधिनियम में पंजीकृत और अपंजीकृत कुत्तों की पहचान के लिए टोकन का प्रावधान है। मालिक को यह टोकन कुत्ते के गले में पट्टे के साथ लटकाना जरूरी है, ताकि उसके पंजीकरण की आसानी से पहचान हो सके। लेकिन, निगम यह टोकन मुहैया नहीं कराता।
नहीं करते इन नियमों का पालन
ज़्यादातर लोग कुत्ते को टहलाने ले जाते समय उसके मुंह पर जाल नहीं लगाते।
कुत्ते को पट्टे से बाँधकर रखना अनिवार्य है, लेकिन कई लोग बिना पट्टे के ही टहलाते हैं।
अगर कुत्ता किसी को काटता है या किसी चीज़ को नुकसान पहुँचाता है, तो इसके लिए मालिक ज़िम्मेदार होता है, लेकिन वह अपनी ज़िम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेता है।
शाहदरा दक्षिणी जोन में पंजीकरण कुछ बेहतर
शाहदरा साउथ जोन में भी पालतू कुत्तों के रजिस्ट्रेशन का आंकड़ा कम है। लेकिन शाहदरा नॉर्थ जोन से स्थिति कुछ बेहतर है। यहां 26 वार्डों में 275 पालतू कुत्ते रजिस्टर्ड हैं। इस जोन के अधिकारियों का कहना है कि रजिस्ट्रेशन बढ़ाने के लिए लोगों को जागरूक किया जाएगा।
पालतू कुत्तों द्वारा लोगों को काटे जाने की घटनाएं
- 14 मई: गोरख पार्क में 22 वर्षीय युवती को स्थानीय नस्ल के कुत्ते ने काट लिया।
- 30 मई 2024: गोकलपुरी थाना क्षेत्र में पिटबुल ने युवती को काट लिया।
- 08 अप्रैल 2024: गोकलपुरी क्षेत्र में कुत्ते ने किशोरी को काट लिया।
- 22 सितंबर 2023: न्यू उस्मानपुर क्षेत्र में स्कूल जा रही छात्रा को कुत्ते ने काट लिया।
पालतू कुत्तों का रजिस्ट्रेशन न होना चिंता का विषय है। निगम ने पिछले दिनों कैंप लगाया था, लेकिन बहुत कम लोग आए। अब सख्ती करनी होगी। अधिकारियों से बात कर बिना रजिस्ट्रेशन के कुत्ते पालने वालों पर कार्रवाई की जाएगी।
-प्रमोद गुप्ता, चेयरमैन, शाहदरा उत्तरी जोन, दिल्ली नगर निगम

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