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Stack Parking System: ग्रीन पार्क के लोगों को जल्द मिलेगी 17 मंजिला स्टैक पार्किंग, पढ़िये- खूबियां

Stack Parking System स्टैक पार्किंग ऑटोमेटिक मल्टीलेवल पार्किंग होती है जिसमें कम से कम जगह में अधिकतम गाड़ियां पार्क करने की जगह विकसित की जाती है।

By JP YadavEdited By: Published: Wed, 16 Sep 2020 02:19 PM (IST)Updated: Wed, 16 Sep 2020 02:19 PM (IST)
Stack Parking System: ग्रीन पार्क के लोगों को जल्द मिलेगी 17 मंजिला स्टैक पार्किंग, पढ़िये- खूबियां
Stack Parking System: ग्रीन पार्क के लोगों को जल्द मिलेगी 17 मंजिला स्टैक पार्किंग, पढ़िये- खूबियां

नई दिल्ली [अरविंद कुमार द्विवेदी]। Stack Parking System: ग्रीन पार्क इलाके के लोगों को इस बार गांधी जयंती पर सुगम पार्किंग की सौगात मिल जाएगी। ग्रीन पार्क मेट्रो स्टेशन के पास बन रहा स्टैक पार्किंग का दूसरा टावर भी तैयार हो गया है। दक्षिण दिल्ली नगर निगम के अधिकारी अंतिम चरण का काम पूरा करने के लिए दिन-रात जुटे हुए हैं। इस पार्किंग के बन जाने से यहां आसपास की सड़कों पर जाम की समस्या से निजात मिल जाएगी। दरअसल, अभी यहां पर आने वाले लोग सड़कों पर इधर-उधर गाड़ियां खड़ी कर देते हैं, जिस कारण लोगों को जाम का सामना करना पड़ता है, लेकिन इस स्टैक पार्किंग के चालू हो जाने से लोगों को पार्किंग की समस्या से राहत मिल जाएगी।

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17 मंजिल की है पार्किंग, 39.5 मीटर ऊंची है

पार्किंग की बढ़ती समस्या को देखते हुए दक्षिणी दिल्ली नगर निगम ने यहां 17 मंजिल के दो पार्किंग टावर बनाने का काम शुरू किया था। प्रत्येक टावर की उंचाई 39.5 मीटर है और कुल क्षेत्रफल 217 वर्ग मीटर है। कुल 18 करोड़ रुपये की लागत से बन रही इस पार्किंग परिसर में शौचालय भी बनाया गया है। यह ऑटोमेटिक मल्टिलेवल स्टैक पार्किंग अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है। प्रत्येक टावर में 68 कारें खड़ी करने की क्षमता है यानी दोनों टावर में कुछ 136 वाहन पार्क किए जा सकेंगे। पहले से चौथे फ्लोर पर 32 एसयूवी पार्क की जा सकती हैं, जबकि पांचवें से सातवें फ्लोर पर 104 सेडान कारें पार्क हो सकती हैं।

ऐसे काम करती है स्टैक पार्किंग

  • यह ऑटोमेटिक मल्टीलेवल पार्किंग होती है जिसमें कम से कम जगह में अधिकतम गाड़ियां पार्क करने की जगह विकसित की जाती है।
  • कारें हाइड्रोलिक मशीन के जरिये खाली जगह पर पार्क होती हैं। यह पूर्ण रूप से कंप्यूटराज्ड सिस्टम होता है जिससे यह पता चल जाता है कि कहां और कितनी जगह खाली है।
  • गाड़ी खड़ी करने वाले व्यक्ति को कंप्यूटराइज रसीद दी जाती है। गाड़ी खड़ी करने या निकालने के लिए अटेंडेंट की जरूरत नहीं होती। जहां भी जगह खाली होगी वहां, मशीन खुद गाड़ी ले जाकर खड़ी कर देती है और बाहर निकाल देती है।

डॉ. नंदिनी शर्मा (अध्यक्ष, दक्षिणी क्षेत्र, एसडीएमसी) का कहना है कि आवासीय क्षेत्र होने के साथ ही यहां पर बहुत से ऑफिस व व्यावसायिक प्रतिष्ठान भी हैं इसलिए यहां पर पार्किंग की बहुत समस्या थी। इस समस्या के समाधान के लिए निगम ने यहां स्टैक पार्किंग बनाने का निर्णय लिया था। टावर का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है। दो अक्टूबर से इसे लोगों के इस्तेमाल के लिए चालू कर दिया जाएगा। उम्मीद है इससे लोगों को बड़ी राहत मिलेगी। 

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