Kisan Andolan: क्या अब सिंघु बार्डर पर भी खुलेगा रास्ता? प्रदर्शनकारियों को सता रहा ये डर
Kisan Andolan बैरिकेड के एक तरफ प्रदर्शनकारी ऐशोआराम की जिंदगी जी रहे हैं तो दूसरी तरफ पुलिस कर्मी अपनी ड्यूटी पूरी कर रहे हैं। रास्ते बंद होने की वजह से लोग पथरीली व कांटों भरी राहों पर रोज कई किलोमीटर का सफर तय करने को मजबूर हैं।
नई दिल्ली [सोनू राणा]। शाहजहांपुर बार्डर पर हल्के वाहनों का आवागमन शुरू हो गया है, टीकरी बार्डर को पैदल राहगीरों व दोपहिया वाहनों के लिए खोल दिया गया है। गाजीपुर बार्डर पर भी बैरिकेड हटा लिए गए हैं। अब ऐसे में सिंघु बार्डर ही एक मात्र ऐसा बार्डर है, जहां रास्ता खोलने को लेकर कोई हलचल नहीं है। यहां पहले की भांति बैरिकेड से रास्ते बंद हैं। आम लोगों को आवागमन के लिए कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है।
बैरिकेड के एक तरफ प्रदर्शनकारी ऐशोआराम की जिंदगी जी रहे हैं तो दूसरी तरफ पुलिस कर्मी अपनी ड्यूटी पूरी कर रहे हैं। रास्ते बंद होने की वजह से बच्चे, विद्यार्थी, महिलाएं व बुजुर्ग बार्डर से सटी पथरीली व कांटों भरी राहों पर रोज कई किलोमीटर का सफर तय करने को मजबूर हैं। कोई नौकरी से हाथ धो चुका है तो कोई व्यापार बंद कर चुका है। कोई सिंघु बार्डर से मकान खाली कर चला गया है तो कोई प्रदर्शनकारियों की करतूतें (हत्या, दुष्कर्म, मारपीट) देखकर कुछ बोल नहीं पा रहा है।
खुद नहीं खोलते रास्ता, पुलिस पर लगाते हैं आरोप
कृषि कानून के विरोध में प्रदर्शनकारी सिंघु बार्डर पर कब्जा करके बैठे हैं और कहते हैं रास्ता पुलिस ने बंद किया है। जबकि सच यह है कि अगर रास्ते खुल गए तो 11 माह से चल रहे प्रदर्शनकारियों के ऐशोआराम पर कैची चल जाएगी। स्थानीय लोग चाहते हैं कि प्रदर्शनकारी बार्डर खाली कर दें, लेकिन जब भी वह आवाज उठाते हैं, उन्हें मारपीट कर चुप करा दिया जाता है। कई बार प्रदर्शनकारियों ने स्थानीय लोगों पर हमले किए हैं।
बताया जा रहा है कि किसानों के आंदोलन के कारण बंद रहे यूपी गेट पर अभी पूरी तरह से यातायात शुरू होने की कोई संभावना नही है। भारतीय किसान यूनियन की तरफ से बार-बार कहा जा रहा है कि धरना यथावत जारी रहेगा। भाकियू का कहना है कि पुलिस द्वारा गाजीपुर बार्डर से बेरिकेडिंग हटाये जाने के बाद तमाम अफवाहों का दौर जारी है। लेकिन किसान मोर्चा स्पष्ट कर देना चाहता है कि धरना जारी रहेगा।
खौफ का है माहौल
स्थानीय लोग अगर इकट्ठा होकर रास्ता खुलवाने के लिए सिंघु बार्डर पर जाते हैं तो किसी दल का सदस्य बताकर उन पर लाठी, डंडों व तलवारों से हमला कर दिया जाता है। पुलिस बीचबचाव करने आती है तो उन पर भी हमला कर दिया जाता है। अब स्थानीय लोगों से लेकर पुलिस कर्मचारियों तक में खौफ का माहौल है।
क्या कहते हैं राहगीर व स्थानीय लोग
राहगीर अरुण मेहरा ने कहा कि वह स्वरूप नगर में रहते हैं और सोनीपत में काम करते हैं। प्रदर्शनकारियों की वजह से रोज चार किलोमीटर पैदल चलकर जाना पड़ता है। इससे सिर्फ हमें नहीं हजारों लोगों को परेशानी हो रही है। सोनीपत के बीरन ने कहा कि अभी मैं परिवार के साथ अपने घर मध्य प्रदेश जा रहा हूं। हाथ में थैले, गोदी में बच्चे और सिर पर बोझ लेकर कांटों व पथरीले रास्तों से चलकर आया हूं। कभी सोचा नहीं था कि बच्ची को लेकर इतनी गंदी जगह से लेकर गुजरना पड़ेगा।
सिंघु गांव निवासी गिरधारी ने बताया कि रास्ते बंद होने की वजह से कच्चे रास्तों से गुजरना पड़ता है। सिर पर बोझ लेकर कई किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है। बार्डर बंद होने से सिर्फ सिंघु गांव के लोग ही नहीं, आसपास के गांवों के लोग भी परेशान हैं।
पेट्रोल पंप कर्मी ललन सिंह ने कहा कि प्रदर्शनकारियों की वजह से 11 महीने से पेट्रोल पंप बंद पड़े हैं। पहले पेट्रोल पंप पर 20 से ज्यादा लोग काम करते थे, लेकिन अब हालात ऐसे भयावह हो गए हैं कि सिर्फ चार लोग ही बचे हैं। कोई आय नहीं हो रही है।
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