Patanjali vs Dabur case: HC ने कहा-'साधारण च्यवनप्राश' शब्द पर रोक नहीं, डाबर के फॉर्मूले को टार्गेट न करें
दिल्ली उच्च न्यायालय ने पतंजलि बनाम डाबर के मुकदमे में पतंजलि आयुर्वेद को राहत दी है। कोर्ट ने पतंजलि को अपने विज्ञापनों में साधारण च्यवनप्राश का उल्लेख करने की अनुमति दी लेकिन डाबर के 40 जड़ी-बूटियों वाले फॉर्मूले को लक्षित करने से रोक दिया। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि तुलनात्मक विज्ञापन में साधारण शब्द का हर उपयोग अपमानजनक नहीं है। तुलनात्मक अतिशयोक्ति विज्ञापन में स्वीकार्य है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को पतंजलि बनाम डाबर के मुकदमे में एक बड़ा निर्णय लिया गया। दिल्ली हाई कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ एक अंतरिम निषेधाज्ञा को संशोधित करते हुए उसे बड़ी राहत दी है।
दरअसल, यह सुनवाई पतंजलि के विज्ञापनों में प्रयोग किए गए उस कथन से संबंधित है, जिसमें कहा गया है, '40 जड़ी-बूटियों से बने साधारण च्यवनप्राश से क्यों समझौता करें?' कोर्ट ने पतंजलि को इस दावे के केवल पहले वाले हिस्से यानी 'साधारण च्यवनप्राश' का उपयोग करने की अनुमति दे दी है। साथ ही, एक बड़ी रोक भी लगाई है।
न्यायमूर्ति हरि शंकर और न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने पतंजलि को अपने विज्ञापनों में 'साधारण च्यवनप्राश' का उल्लेख करने की अनुमति दी लेकिन कंपनी को प्रतिद्वंद्वी डाबर की 40 जड़ी-बूटियों वाले फॉर्मूले को सीधे तौर पर लक्षित करने वाले किसी भी संदर्भ से रोक दिया।
न्यायालय ने कहा कि तुलनात्मक अतिशयोक्ति विज्ञापन में स्वीकार्य है। न्यायमूर्ति सी. हरि शंकर और न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला ने यह भी स्पष्ट किया कि तुलनात्मक विज्ञापन में 'साधारण' शब्द का हर उपयोग अपमानजनक नहीं माना जाता।
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