Indian Railways: ट्रेन में सामान की सुरक्षा की जिम्मेदारी किसकी? हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला
दिल्ली हाई कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि ट्रेन यात्रा के दौरान सामान की सुरक्षा की जिम्मेदारी यात्री की होती है न कि रेलवे की। एक यात्री द्वारा चोरी की शिकायत पर कोर्ट ने कहा कि कंडक्टर की अनुपस्थिति को सेवा में कमी नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के निर्णय को बरकरार रखा जिसमें यात्री की 84 हजार रुपये की क्षतिपूर्ति याचिका खारिज की गई।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को कहा कि ट्रेन में सफर करने वाले यात्री अपने सामान की सुरक्षा के लिए खुद जिम्मेदार हैं, रेलवे किसी भी चोरी के लिए जिम्मेदार नहीं है।
राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के फैसले को बरकरार रखते हुए जस्टिस रविंदर डुडेजा की पीठ ने कहा कि दावा मुख्य रूप से इस तथ्य पर आधारित था कि अटेंडेंट सो रहा था और कंडक्टर का पता नहीं चल रहा था।
कंडक्टर की अनुपस्थिति को सेवा में कमी नहीं
कोर्ट ने कहा कि कोच के दरवाजे खुले छोड़ने का कोई आरोप नहीं है, ताकि अनधिकृत घुसपैठिए को चोरी करने का मौका मिल सके। कोर्ट ने कहा कि कंडक्टर की अनुपस्थिति को सेवा में कमी नहीं माना जा सकता।
कोर्ट ने उक्त टिप्पणी एक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई करते हुए की। यात्री ने आरोप लगाया था कि वह जनवरी 2013 में नई दिल्ली से नागपुर के लिए थर्ड एसी कोच में यात्रा कर रहा था और इस दौरान उसका बैग चोरी हो गया जिसमें लैपटॉप, कैमरा, चार्जर, चश्मा और एटीएम कार्ड थे। राष्ट्रीय आयोग ने याचिकाकर्ता की अर्जी खारिज कर दी थी। उसने 84 हजार रुपये से अधिक की राशि का दावा किया था।
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