दिल्ली हाई कोर्ट आरोपितों से पूछा, संसद पर हमले की बरसी की तारीख व संसद को ही प्रदर्शन के लिए क्यों चुना ?
दिल्ली हाई कोर्ट ने संसद सुरक्षा सेंध मामले के आरोपितों से पूछा कि प्रदर्शन के लिए संसद हमले की बरसी और संसद को क्यों चुना? जमानत याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा और कहा कि संसद का चयन संदिग्ध है। तय करना होगा कि क्या मामला यूएपीए के अंतर्गत आता है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली: संसद की सुरक्षा में सेंध लगाने मामले में आरोपित नीलम आजाद व महेश कुमावत से दिल्ली हाई काेर्ट ने पूछा कि संसद हमले की बरसी की तारीख व स्थान ही प्रदर्शन के लिए उन्होंने क्यों चुना।
जमानत याचिकाओं पर निर्णय सुरक्षित रखते हुए न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद व न्यायमूर्ति हरीश वैधनाथन शंकर की पीठ ने पूछा कि आप जानते हैं कि यह संसद है और विरोध प्रदर्शन के लिए एक स्थान निर्धारित हैं।
पीठ ने कहा- ये मुद्दा ही न होता अगर स्प्रे कंटेनर लेकर जंतर-मंतर जाते
पीठ ने सवाल किया कि इस प्रश्न पर निर्णय लेने की आवश्यकता है कि क्या स्थान, तिथि और मिलकर वारदातको अंजाम देने और उसके तरीके से मामला यूएपीए के अंतर्गत आएगा। पीठ ने टिप्पणी की कि यह मुद्दा ही न होता अगर आरोपित विरोध-प्रदर्शन करने के लिए स्प्रे-कंटेनर लेकर जंतर-मंतर पर जाते।
कोर्ट ने कहा कि प्रतिबंधित होने के बावजूद भी यदि आप बोट क्लब में भी जाते तब भी अदालत देखती, लेकिन, जब विशेष रूप से संसद भवन का चयन किया जाता है तो वह संदिग्ध होता है।
आरोपितों का तर्क, मामला आतंकी वारदात की परिभाषा में नहीं आता
जवाब में आरोपितों के वकील ने तर्क दिया कि इस मुद्दे पर सुनवाई के दौरान फैसला किया जाना है, हालांकि यह मामला गैरकानूनी गतिविधि रोकथान अधिनियम (यूएपीए) की धारा 15 के तहत आतंकवादी वारदात की परिभाषा में नहीं आता है।
कोर्ट ने कहा कि सवाल यह है कि जहां सांसद 2001 के संसद हमले के शहीदों को श्रद्धांजलि देते हैं तो क्या यह धारा-15 के तहत प्रथम दृष्टया मामला बन सकता है। इस बिंदु पर अदालत को विचार करना होगा।
पीठ ने पूछा, स्प्रे का शिकार होने को क्या चोट नहीं माना जाएगा?
पीठ ने आरेापित के वकील से पूछा कि क्या इसे चोट लगना नहीं माना जाएगा, अगर कोई व्यक्ति स्प्रे-कंटेनर से निकलने वाले धुएं का शिकार होता है।
आरोपित नीलम आजाद, मनोरंजन डी, सागर शर्मा, अमोल धनराज शिंदे, ललित झा को 13 दिसंबर 2023 को संसद भवन के अंदर और बाहर से पकड़ा गया था। जमानत देने से इन्कार करने के लिए निर्णय को नीलम ने चुनौती दी है।
आतंक ही है संसद व बरसी की तारीख पर प्रदर्शन: दिल्ली पुलिस
सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की तरफ से पेश हुए एडिशनल साॅलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने कहा कि संसद और तारीख का चयन इस वारदात को यूएपीए दायरे में लाता है। इसका सुबूत यह है कि सांसदों ने विभिन्न साक्षात्कारों में अपनी पीड़ा व्यक्त की है।
शर्मा ने कहा कि अगर इस मामले में यूएपीए नहीं लगेगा तो फिर क्या लगेगा? दिल्ली पुलिस की तरफ से पेश हुए एक अन्य वकील ने कहा कि आरोपितों के बीच कुल पांच बैठकें हुईं थीं, जो एक बड़ी साजिश को दर्शाता है।
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