JEE Main 2025: दिल्ली हाई कोर्ट ने एनसीएफएल को दिया स्कोर कार्ड में हेरफेर के आरोपों की जांच का आदेश
दिल्ली हाई कोर्ट ने JEE Main 2025 के स्कोर कार्ड में हेरफेर के आरोपों की जांच के लिए राष्ट्रीय साइबर फोरेंसिक प्रयोगशाला को निर्देश दिया है क्योंकि केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला ने जांच करने में असमर्थता जताई थी। दो परीक्षार्थियों ने मामले की जांच के लिए याचिका दायर की है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली: JEE Main 2025 की परीक्षा हाई कोर्ट में दो परीक्षार्थियों की ओर से दायर की गई याचिका के बाद से विवाद में आ गई है।
याचिकाकर्ता दोनों परीक्षार्थियों ने हाई कोर्ट में दी गई अपनी याचिका में परीक्षा के स्कोर कार्ड में हेरफेर करने का आरोप लगाते हुए इसकी निष्पक्ष जांच की मांग की है।
इस याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को राष्ट्रीय साइबर फॉरेंसिक प्रयोगशाला (NCFL) के निदेशक को मामले की जांच करने का आदेश दिया।
CFSL ने कहा- जांच करने को नहीं हैं संसाधन तो NCFL को सौंपी गई
न्यायमूर्ति विकास महाजन की पीठ ने NCFL को यह आदेश तब दिया है, जब केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (CFSL) ने अदालत को बताया कि उसके पास जांच करने के लिए आवश्यक संसाधन नहीं हैं।
इस पर पीठ ने एनसीएफएल के निदेशक से कहा है कि इस मामले में अदालत की ओर से पूछे गए प्रश्नों के संदर्भ में तथ्यों का पता लगाएं।
इसके पहले हाई कोर्ट ने मामले की CFSL को सौंपते हुए इसके निदेशक को जांच करने का आदेश दिया था, इसके साथ ही सीलबंद लिफाफे में जांच रिपोर्ट कोर्ट के पेश करने का निर्देश दिया था।
सीईआरटी ने कहा, नहीं है नेटवर्क फॉरेंसिक और सर्वर इमेजिंग सुविधा
दिल्ली हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को मिले पत्र में कहा गया है कि कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (सीईआरटी) सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीन नोडल एजेंसी है और इसके पास जांच करने की सुविधा है।
सीईआरटी की ओर से पेश वकील ने कहा कि इस नोडल एजेंसी के पास भी नेटवर्क फॉरेंसिक और सर्वर इमेजिंग करने का अधिकार और क्षमता नहीं है। हालांकि, उन्होंने जांच करने के लिए एनसीएफएल का नाम सुझाया था। जिस पर एनसीएफएल को जांच का निर्देश दिया गया।
29 मई से पहले सील बंद लिफाफे में पेश करनी होगी रिपोर्ट
अदालत ने साथ ही मामले में 29 मई से पहले सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया क्योंकि जेईई (एडवांस्ड)-2025 का परिणाम दो जून 2025 को घोषित किया जाएगा।
अदालत ने निदेशक को किसी भी अतिरिक्त जानकारी के लिए विवाद से संबंधित एनटीए के किसी भी रिकार्ड का निरीक्षण करने की स्वतंत्रता दी।
डाउनलोड किए और कंपोजिट स्कोर कार्ड में अंक अलग होने का आरोप
परीक्षार्थियों की ओर से दायर की गई याचिका में आरोप लगाया गया है कि डाउनलोड किए गए स्कोर कार्ड और आधिकारिक रूप से जारी किए गए कंपोजिट स्कोर कार्ड में उनके अंक अलग थे।
यह भी कहा कि शुरू में डाउनलोड किए गए स्कोर कार्ड अब एनटीए की वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं है और इसके बजाय हेरफेर किए गए स्कोर कार्ड गलत अंकों के साथ अपलोड किए गए है।
वहीं, एनटीए ने कहा कि स्कोर कार्ड में कोई हेराफेरी नहीं की गई थी और स्कोर कार्ड दोनों अभ्यर्थियों को ई-मेल के माध्यम से भी भेजे गए थे।
इन बिंदुओं की करनी है जांच
अदालत ने पूछा है कि क्या याचिकाकर्ताओं की ओर से भरोसा किए गए मूल स्कोर कार्ड एनटीए की आधिकारिक वेबसाइट से डाउनलोड किए गए थे?
क्या डिजिटल दस्तावेजों में छेड़छाड़ की गई है? यह भी पूछा कि क्या परीक्षार्थियों के स्कोर कार्ड वाले ई-मेल सत्र-एक 2025 के परिणामों की घोषणा के बाद भेजे गए थे?
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