अगर दिल्ली के इस मॉल में शॉपिंग करने जाते हैं तो रखें ये ख्याल, HC के इस फैसले से बढ़ गया जेब पर बोझ
पैसिफिक मॉल में आने वाले लोगों को अब पार्किंग शुल्क अदा करना होगा। मॉल में आने वाले लोगों से पार्किंग शुल्क नहीं लेने से जुड़ा दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) का वर्ष 2018 का आदेश दिल्ली हाईकोर्ट ने रद कर दिया। पीठ ने कहा कि मॉल द्वारा पार्किंग शुल्क वसूलना दिल्ली के लिए एकीकृत भवन उपनियम- 2016 या दिल्ली के मास्टर प्लान-2021 का उल्लंघन नहीं है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। पैसिफिक मॉल में आने वाले लोगों को अब पार्किंग शुल्क अदा करना होगा। मॉल में आने वाले लोगों से पार्किंग शुल्क नहीं लेने से जुड़ा दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) का वर्ष 2018 का आदेश दिल्ली हाईकोर्ट ने रद कर दिया। न्यायमूर्ति विभू बाखरू और न्यायमूर्ति अमित महाजन की पीठ ने कहा कि मॉल द्वारा पार्किंग शुल्क वसूलना दिल्ली के लिए एकीकृत भवन उपनियम- 2016 या दिल्ली के मास्टर प्लान-2021 का उल्लंघन नहीं है।
फरवरी 2020 में पारित एकल पीठ के विरुद्ध पैसिफिक मॉल की अपील को स्वीकार करते हुए पीठ ने कहा कि अदालत एकल पीठ के इस दृष्टिकोण से सहमत नहीं है कि पार्किंग शुल्क वसूलना बिल्डिंग बायलाज की भावना के विपरीत है।
अदालत ने कहा कि यातायात कानूनों को लागू करने में संबंधित अधिकारियों को होने वाली कठिनाई के आधार पर एमसीडी के लिए एक वाणिज्यिक उद्यम के कामकाज में हस्तक्षेप करने पार्किंग मुफ्त प्रदान करने पर जोर देने का आधार नहीं है। एमसीडी ने याचिका पर तर्क दिया कि पैसिफिक मॉल के लिए पार्किंग शुल्क वसूलना अस्वीकार्य है क्योंकि कामर्शियल परिसर के तय फ्लोर एरिया अनुपात (एफएआर) की गणना के लिए पार्किंग क्षेत्रों को शामिल नहीं किया गया है। एमसीडी ने दावा किया कि पार्किंग की जगह एफएआर में शामिल नहीं थी, इसलिए उक्त क्षेत्र को व्यावसायिक उपयोग में नहीं लाया जा सकता था।
वहीं, मॉल की तरफ से तर्क दिया गया कि पार्किंग स्थलों को बिल्डिंग बायलाज के आधार पर एफएआर में शामिल नहीं किया गया था, जो अनुमेय निर्माण की सीमा निर्धारित करता है। यह भी दावा किया कि एफएआर से पार्किंग स्थानों को बाहर करने से पार्किंग स्थान पर पार्क किए गए वाहनों के संबंध में शुल्क की वसूली पर रोक नहीं लगती है। याचिका को स्वीकार करते हुए पीठ ने निर्णय सुनाया कि बिल्डिंग उपनियम केवल इमारतों के निर्माण के मानदंडों और मानकों से संबंधित हैं। इसका इससे कोई संबंध नहीं है कि ऐसी इमारत के उपयोग से कोई मौद्रिक लाभ मिलता है या नहीं।
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