'ज्ञानवापी और मथुरा दे दें, भाईचारा कायम रहेगा', पंडित धीरेंद्र शास्त्री की मुस्लिम संगठनों पर बेबाक टिप्पणी
दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में स्वयं लिखी पुस्तक सनातन धर्म क्या है? के विमोचन अवसर बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री पहुंचे। उन्होंने ज् ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। बागेश्वर धाम के पीठाधिपति धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने ज्ञानवापी मामले में मुस्लिम संगठनों पर समाज को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए हिंदू पक्ष की भावनाओं को स्पष्ट किया। उन्होंने बेबाक कहा कि, ज्ञानवापी और मथुरा दे दें, भाईचारा कायम रहेगा। हम लोगों किसी के खिलाफ नहीं है। हम या सनातन कभी भी हिंसा के पक्ष में नहीं रहा है। लेकिन यह भी स्पष्ट है कि ज्ञानवापी से नंदी भगवान निकले हैं। पूरा मंदिर आएगा।
वह कांस्टीट्यूशन क्लब में स्वयं लिखी पुस्तक सनातन धर्म क्या है? के विमोचन अवसर को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर, ऋषिकेश स्थित परमार्थ निकेतन के संंस्थापक अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती, भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी तथा दिल्ली भाजपा के पूर्व अध्यक्ष व सांसद मनोज तिवारी भी मौजूद रहे।
मुस्लिम नेताओं को हताशा से प्रेरित करार दिया
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने मुस्लिम नेताओं द्वारा न्यायिक व्यवस्था पर सवाल खड़े करने पर कहा कि उन्हें खुद पर भरोसा नहीं है। इसलिए हताशा प्रदर्शित कर रहे हैं, जबकि उन्हें वास्तविकता समझने की जरूरत है। न्याय पर भरोसा रखकर समाज को भड़काना नहीं चाहिए। पुस्तक के बारे में उन्होंने बताया कि आज सवाल सनातन पर हो रहा है। इसलिए इस पुस्तक की जरूरत समझी गई। इसके लिए पांच दिनों का अज्ञातवास लिया और लिखा।
स्वामी चिदानंद सरस्वती ने युवा पीढ़ी से अपनी जड़ों से जुड़ने का आह्वान करते हुए कहा कि आज सुबह भजन से नहीं बल्कि वाट्सअप यूनिवर्सिटी से होती है। हम खुद से और खुद की संस्कृति से जुड़ना भूल गए हैं। हम स्वयं को भी भूलते जा रहे हैं, फिर भी काफी कुछ बचा है, जिसे बचाना है।
'सनातन नहीं होगा तो पंथनिरपेक्षता नहीं होगी'
सनातन की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि सनातन नहीं होगा तो पंथनिरपेक्षता नहीं होगी। मानवता नहीं होगी। सब समान, सबका सम्मान यहीं सनातन है। यहीं समरसता, संविधान है। सनातन डेंगू नहीं इलाज है। सनातन जिसे छू लेता है, वह स्वस्थ मजबूत होकर समाज की सेवा में जुट जाता है। साथ ही मुस्लिम समाज को आश्वस्त करते हुए कहा कि जब तक पीएम नरेन्द्र मोदी हैं, उन्हें शक से नहीं, बल्कि हक से जीने की जरूरत है।
'90 फीसदी हिंदुओं को 10 उपनिषद के नाम पता नहीं'
सुधांशु त्रिवेदी ने हिंदुओं में अपनी ज्ञान परंपरा पर अज्ञानता का उल्लेख करते हुए कहा कि 90 प्रतिशत हिंदुओं को 10 उपनिषद के नाम भी नहीं पता होंगे, जबकि फिल्मों के नाम अंगुलियों पर होंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि मनोरंजन और आत्मा के अनुसंधान में अंतर होना चाहिए। उन्होंने कहा कि बच्चे पूछते हैं कि पढ़ना है तो क्या पढ़ें, समस्या यह कि एक विचार विशेष के कारण, अपने ज्ञान के प्रति जो अविश्वास खड़ा किया गया है, उससे अधिकांश लोगाें ने धर्म ग्रंथों को पढ़ना क्या, पन्ने पलटना ही छोड़ दिया है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।