J&K के एलजी मनोज सिन्हा का एलान- पहलगाम हमले के आतंकियों की हुई पहचान, उनकी जिंदगी बहुत लंबी नहीं
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा है कि पहलगाम में पर्यटकों की हत्या करने वाले आतंकियों की पहचान हो चुकी है और उनका अंत भी अन्य आतंकियों जैसा ही होगा। उन्होंने कहा कि अब जम्मू-कश्मीर शांति और विकास की ओर बढ़ रहा है और आतंकियों को स्थानीय समर्थन मिलना बंद हो गया है। पहली बार कश्मीरी अपनी मर्जी से जीने के लिए स्वतंत्र हैं।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। पहलगाम हमले के आतंकियों के पकड़े नहीं जाने को विपक्षी दलों की ओर से मुद्दा बनाए जाने के बीच जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि आतंकियों की पहचान हो चुकी है।
फिलहाल तारीख बताने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन यह कहूंगा कि उनकी जिंदगी बहुत लंबी नहीं होगी। उनका भी वहीं हश्र होगा, जो पहले के आतंकी कमांडरों का हुआ है।
इशारों में पीएमओ में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से कश्मीर के आतंकी नेता यासिर मलिक की मुलाकात का जिक्र करते हुए कहा कि वह दिन गए कि कोई आतंकी प्रधानमंत्री कार्यालय आकर बात करें।
वह दिल्ली में तीस जनवरी मार्ग स्थित गांधी स्मृति में शांति की ओर बढ़ते जम्मू-कश्मीर को लेकर आयोजित व्याख्यान को संबोधित कर रहे थे। कहा कि जम्मू-कश्मीर शांति के साथ विकास की ओर बढ़ रहा है।
अब आतंकी हमला हुआ तो वह एक्ट ऑफ वार होगा
अब यह वह कश्मीर नहीं है। अब पाकिस्तान परस्त आतंकी हमले होते हैं तो प्रधानमंत्री ने पहले ही घोषित किया है कि उसे एक्ट ऑफ वार माना जाएगा। ऑपरेशन सिंदूर अभी खत्म नहीं हुआ है। वह जारी है।
उपराज्यपाल ने कहा कि आतंकियों को स्थानीय समर्थन लगभग खत्म हो चुका है। उसे ऑक्सीजन और खाद पानी नहीं मिल रहा। वहां बच्चे तक कह रहे कि पहलगाम का आतंकी हमला पाकिस्तान ने किया।
सोच में यह बदलाव केवल नहीं पीढ़ी ही नहीं बल्कि पुरानी पीढ़ी में भी आया है। पहली बार आम कश्मीरी अपनी मर्जी से जीवन जीने को स्वतंत्र हुआ है।
जिस तरह से पहलगाम हमले के बाद कश्मीर के लोग एक साथ विरोध में उठ खड़े हुए यह 50 वर्ष में पहली बार देखा गया। यह बंद, आक्रोश व दुख प्रायोजित नहीं था, बल्कि स्वत: स्फूर्त था।
आतंकी संगठनों में अब नई भर्तियां नहीं हो रहीं
आज आतंकी संगठनों में नई भर्तियों नहीं हो रही हैं। अब किसी तंजीम का कमांड नहीं बचा। पहले जहां प्रत्येक वर्ष 150 –200 युवा आतंकी संगठनों में भर्ती होते थे। वहीं, पिछले वर्ष मात्र छह भर्ती हुए।
मनोज सिन्हा को जम्मू-कश्मीर का उपराज्यपाल बने अगले माह पांच वर्ष हो जाएंगे। व्याख्यान में शिक्षा, पर्यटन, कृषि, स्वावलंबन, चिकित्सा, रोजगार, आधारभूत ढांचों का निर्माण समेत अन्य में होते तेज विकास पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा, कम समय में समावेशी विकास का जम्मू-कश्मीर ने नया मापदंड गढ़ा है। इस मौके पर उन्होंने गांधी के शांति अहिंसा की प्रेरणा का जिक्र करते हुए कहा कि गांधी का जम्मू-कश्मरी से संबंधों पर भी प्रकाश डाला। साथ ही आयोजित प्रदर्शनी का अवलोकन किया।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।