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    दिल्ली में पोंगल पर्व पर दिखा अनोखा नजारा, अंगारों पर चले श्रद्धालु; गाल के आर-पार किया त्रिशूल

    By Jagran NewsEdited By: Sonu Suman
    Updated: Mon, 12 May 2025 12:23 AM (IST)

    चार दिवसीय पर्व देवी मारिअम्मान की पूजा को समर्पित होता है। जिनकी उत्तर भारत में शीतला माता के रूप में पूजा की जाती है। इस पर्व की शुरुआत पहले दिन भोगी से होती है। जिसमें पुरानी वस्तुओं का त्याग कर नया आरंभ किया जाता है। दूसरे दिन थाई पोंगल मनाया जाता है जिसमें गुड़-चावल से विशेष भोग बनाकर देवी को अर्पित किया जाता है।

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    पोंगल पर्व पर अंगारों पर चले श्रद्धालुओं, आर-पार किया त्रिशूल।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। जब आस्था अग्नि की लपटों से टकराती है और शरीर की सीमाएं भक्ति के समर्पण में विलीन हो जाती हैं, तब जन्म लेता है एक ऐसा दृश्य जिसे देखकर हर कोई स्तब्ध रह जाता है। कुछ ऐसी ही आस्था की अग्नि परीक्षा की तस्वीर दिल्ली के मोरी गेट इलाके में देखने को मिली। जहां दक्षिण भारत के लोगों ने अपना पारंपरिक त्यौहार पोंगल उत्सव पूरे श्रद्धा, नाटकीयता, नृत्य और उत्साह के साथ मनाया।

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    यह चार दिवसीय पर्व देवी मारिअम्मान की पूजा को समर्पित होता है। जिनकी उत्तर भारत में शीतला माता के रूप में पूजा की जाती है। इस पर्व की शुरुआत पहले दिन 'भोगी' से होती है। जिसमें पुरानी वस्तुओं का त्याग कर नया आरंभ किया जाता है।

    दूसरे दिन 'थाई पोंगल' मनाया जाता है जिसमें गुड़-चावल से विशेष भोग बनाकर देवी को अर्पित किया जाता है। तीसरे दिन 'मट्टू पोंगल' में पशुओं को सजाकर पूजा होती है और चौथा दिन "कन्या पोंगल" होता है, जिसमें कन्याओं को भोजन कराकर आशीर्वाद लिया जाता है।

    श्रद्धालु 12 फुट लंबे त्रिशूल को अपने गाल के आर-पार करते हैं

    पर्व के अंतिम चरण में भक्त हैरत अंगेज भक्ति प्रदर्शन करते हैं। मन्नत पूरी होने पर कई श्रद्धालु 12 फुट लंबे त्रिशूल को अपने गाल के आर- पार कर देवी के सामने नतमस्तक होते है तो कई श्रद्धालु नंगे पैर से जलते अंगारों पर चलकर कठिन अग्नि-परीक्षा से गुजरते हैं। जिसे ‘पोंगली’ कहा जाता है।

    उनका मानना है कि ऐसा करने से देवी प्रसन्न होती हैं और मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। वहीं, पर्व के आयोजक ए.रामू ने बताया कि श्रद्धालु इस दौरान मंदिर परिसर में ही रहते हैं और केवल गुड़ और चावल का भोजन ग्रहण करते हैं।

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