दिल्ली में पुराने वाहनों पर रोक क्या सही है? RTI में CAQM का चौंकाने वाला खुलासा
एक आरटीआई के जवाब में खुलासा हुआ है कि दिल्ली-एनसीआर में पुराने वाहनों पर प्रतिबंध लगाने का कोई ठोस वैज्ञानिक आधार नहीं है। CAQM ने स्वीकार किया कि उसने प्रतिबंध लगाने से पहले कोई शोध नहीं किया। विशेषज्ञों ने इस फैसले पर चिंता जताई है उनका कहना है कि सभी पुराने वाहन प्रदूषण नहीं करते हैं और प्रतिबंध लगाने से पहले गंभीरता से विचार करना चाहिए था।

संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। जानकर हैरानी भले ही, लेकिन सच यही है कि दिल्ली एनसीआर में उम्रदराज वाहनों पर लगाई गई रोक के पीछे कोई पुख्ता आधार नहीं है। पुराने वाहन हवा में जहर घोल रहे हैं या नहीं, हां तो किस हद तक घोल रहे हैं और इससे ज्यादा प्रदूषक कारक आर क्या हैं...इत्यादि सवालों का जवाब देता काई शोध या अध्ययन भी नहीं है।
सामाजिक कार्यकर्ता अमित गुप्ता की एक आरटीआई के जवाब में सीएक्यूएम ने स्वयं यह सच स्वीकार किया है। सीएक्यूएम का लिखित जवाब है कि दिल्ली एनसीआर में 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल चालित वाहनों पर रोक लगाने से पूर्व उसने कोई शोध या अध्ययन नहीं कराया है। किसी और का शोध / अध्ययन भी इसका आधार नहीं है।
सीएक्यूएम ने अपने जवाब में यह भी स्पष्ट किया है कि उम्रदराज वाहनों पर रोक लगाने का फैसला एनजीटी केे निर्देश की अनुपालना में लिया गया है। मतलब, उम्रदराज वाहनों से प्रदूषण फैलता भी है या नहीं, हां तो कितना और क्या इस प्रतिबंध से प्रदूषण कम हो जाएगा... ऐसे किसी भी सवाल का सीएक्यूएम के पास नहीं कोई जवाब है।
विशेषज्ञों ने सीएक्यूएम की इस कार्यप्रणाली पर हैरानी और चिंता दोनों ही जताई है। नेशनल इंस्टीटयूट आफ एडवांस स्टडीज बंगलुरू स्थित के चेयरपर्सन डा गुफरान बेग ने कहा कि लाखों वाहनों पर प्रतिबंध लगाने से पहले सीएक्यूएम को गंभीरता से सोच विचार करना चाहिए था।
साथ ही किसी शोध या अध्ययन के साथ कोई प्रामाणिक आधार भी तैयार करना चाहिए था। लेकिन ऐसा न करके सीएक्यूएम ने एक डाकिये या डाकघर की भूमिका ही अदा की है।
परिवहन विशेषज्ञ अनिल छिकारा कहते हैं कि उत्सर्जन को लेकर किए गए अध्ययनों में यही सामने आया है कि सभी पुराने वाहन प्रदूषण नहीं करते हैं। पीयूसीसी जांच में बीएस-4 वाहन प्रदूषण फैलाते हुए नहीं पाए गए हैं, ऐसे में इन पर कार्रवाई उचित नहीं है।
निजी वाहनों का समय-समय पर ऑटोमेटिक परीक्षण स्टेशनों के माध्यम से परीक्षण किया जाना चाहिए और जो प्रदूषणकारी अथवा असुरक्षित पाए जाएं, उनके इस्तेमाल को रोक दिया जाना चाहिए। वाहनों को उनकी उम्र के आधार पर प्रतिबंधित करने का विचार उचित नहीं है।
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