'पिता द्वारा दुर्व्यवहार किए जाने से गंभीर कुछ नहीं...', HC ने रद की जमानत; बेटी से बार-बार रेप का है आरोप
दिल्ली हाईकोर्ट ने नाबालिग बेटी से दुष्कर्म के आरोपी पिता की जमानत रद्द कर दी है। अदालत ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण और चौंकाने वाला बताया। अदालत ने कहा कि पिता द्वारा ऐसा कृत्य करना बेहद गंभीर है क्योंकि उस पर ही बेटी की सुरक्षा की जिम्मेदारी थी। आरोपी को सात दिनों के भीतर ट्रायल कोर्ट में आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया गया है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। नाबालिग बेटी के साथ बार-बार दुष्कर्म करने व पोर्न देखने के लिए मजबूर करने के मालमे को दुर्भाग्यपूर्ण और चौंकाने वाला मामला बताते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने आरोपित पिता को जमानत देने के आदेश को रद कर दिया।
न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने कहा कि अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने तथ्यों और पहलुओं पर विचार नहीं किया और गलत तथा अनुचित आधार पर राहत प्रदान की।
अदालत ने कहा कि अगर पिता के ऐसे कृत्य सही और सच्चे पाए जाते हैं, तो इससे अधिक विकृत और चौंकाने वाला कुछ नहीं हो सकता।
उक्त टिप्पणी करते हुए पीठ ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को रद कर दिया। पीठ ने आरोपित को दी गई जमानत रद दी और सात दिनों के भीतर ट्रायल कोर्ट में आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया।
पिता की थी सुरक्षा की जिम्मेदारी और उसी ने...
अदालत ने कहा कि एक बच्ची के साथ उसके अपने ही पिता द्वारा दुर्व्यवहार किए जाने से ज्यादा गंभीर कुछ नहीं हो सकता, जबकि जन्म देने वाले पिता पर उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी थी।
जमानत देने के ट्रायल कोर्ट के निर्णय पर सवाल उठाते हुए पीठ ने कहा कि आराेपित पिता को यह राहत जून 2021 में एक गंभीर अपराध में प्राथमिकी होने के मात्र नौ दिन बाद दी गई थी।
अभियोजन पक्ष के अनुसार नाबालिग लगभग छह वर्षों से अपने पिता के ऐसे घृणित कृत्यों का शिकार हो रही थी। इस दौरान उसकी उम्र दस वर्ष की थी।
अभियोजन पक्ष के अनुसार आरोपित व्यक्ति ने अपनी बेटी को अनुचित तरीके से छुआ, उसे जबरन अश्लील साहित्य दिखाया और दुष्कर्म किया।
आरोपित पिता को 2021 में गिरफ्तार किया गया था। नाबालिग लड़की ने अपनी मां के माध्यम से ट्रायल कोर्ट के जमानत आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी।
परिवार ने भी पीड़िता की बात नहीं सुनी
अदालत ने यह भी कहा कि उसी घर में रहने वाले अपने नाना-नानी से जब भी उसने यौन शोषण के बारे में बताने की कोशिश की, तो उसे डांटा गया और वे उसकी बात पर विश्वास करने को तैयार नहीं हुए।
जब उसने अपनी मां को घटना के बारे में आंशिक रूप से बताया, तो आरोपित पिता ने उसकी मां की बुरी तरह पिटाई की। वहीं, आरोपित ने तर्क दिया कि वैवाहिक विवाद की कानूनी लड़ाई को मजबूत करने के लिए आरोप गढ़े गए थे और शिकायत दर्ज करने में काफी देरी हुई थी।
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