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    Indian Railway News: कबाड़ बेचकर रेलवे हुआ मालामाल, कमा डाले 781 करोड़ रुपये

    उत्तर रेलवे ने कबाड़ निपटान में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। रेलवे बोर्ड के 530 करोड़ रुपये के वार्षिक बिक्री लक्ष्य के मुकाबले उत्तर रेलवे ने 781.07 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया है जो लक्ष्य से 147.36 प्रतिशत अधिक है। इस वर्ष उत्तर रेलवे ही एकमात्र रेलवे है जिसने 700 करोड़ रुपये की स्क्रैप बिक्री का आंकड़ा पार किया है।

    By Santosh Kumar Singh Edited By: Monu Kumar Jha Updated: Sat, 05 Apr 2025 02:30 PM (IST)
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    कबाड़ बेचकर उत्तर रेलवे ने कमा लिए 781.07 करोड़ रुपये। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। सुरक्षित रेल परिचालन में पटरियों के किनारे पड़े हुए कबाड़ बाधा बनते हैं। उत्तर रेलवे में पटरी किनारे व अन्य स्थानों से कबाड़ हटाने का काम तेजी से किया जा रहा है। उत्तर रेलवे ने कबाड़ निपटान के क्षेत्र में एक और रिकॉर्ड कायम किया है।

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    उत्तर रेलवे ने रेलवे बोर्ड के वार्षिक बिक्री लक्ष्य 530 करोड़ रुपये के मुकाबले 781.07 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया, जो लक्ष्य से 147.36 प्रतिशत अधिक है। इस वर्ष उत्तर रेलवे ही एकमात्र रेलवे है, जिसने 700 करोड़ रुपये की स्क्रैप बिक्री का आंकड़ा पार किया है।

    लगातार चौथा साल जब रेलवे ने कमाए 600 करोड़ रुपये से ज्यादा

    उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक अशोक कुमार वर्मा ने बताया कि उत्तर रेलवे वित्त वर्ष 2024-25 में 781.07 करोड़ रुपये मूल्य के कबाड़ का निपटान करके भारतीय रेलवे के सभी क्षेत्रीय रेलवे और उत्पादन इकाइयों के बीच स्क्रैप बिक्री में नंबर एक पर रहा।

    यह लगातार चौथा वर्ष है जब उत्तर रेलवे ने 600 करोड़ रुपये से अधिक की कुल बिक्री दर्ज की है और लगातार चार वर्षों से सभी क्षेत्रीय रेलवे एवं उत्पादन इकाइयों में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। इस प्रक्रिया में, उत्तर रेलवे ने आठ स्थानों से 592 ई-नीलामी की गई।

    कबाड़ निपटान एक महत्वपूर्ण गतिविधि है, यह न केवल राजस्व उत्पन्न करता है, बल्कि कार्यस्थल को स्वच्छ और व्यवस्थित बनाए रखने में भी सहायक होता है। रेलवे लाइनों के आसपास पड़े रेल टुकड़े, स्लीपर, टाई बार आदि से सुरक्षित ट्रेन परिचालन में बाधा उत्पन्न होती है।

    बड़ी मात्रा में बेचे जा रहे हैं जमा कंक्रीट स्लीपर 

    उत्तर रेलवे ने परित्यक्त संरचनाओं जैसे कि स्टाफ क्वार्टर, केबिन, शेड, जल टंकी आदि के निपटान को मिशन मोड में लिया है। इससे न केवल राजस्व अर्जित हुआ, बल्कि मूल्यवान स्थान भी उपलब्ध हुआ, जिससे इन संरचनाओं का दुरुपयोग रोका जा सका।

    इनके त्वरित निपटान को सर्वोच्च स्तर पर प्राथमिकता दी गई है। बड़ी मात्रा में जमा कंक्रीट स्लीपर भी बेचे जा रहे हैं, जिससे रेलवे गतिविधियों के लिए बहुमूल्य क्षेत्र मुक्त हो रहा है और साथ ही राजस्व भी उत्पन्न हो रहा है।

    इस वित्तीय वर्ष में, उत्तर रेलवे एकमात्र रेलवे बना जिसने विभिन्न सेक्शनों में निष्क्रिय पड़े इलास्टिक रेल क्लिप (ईआरसी) को आरडब्ल्यूएफ-बेंगलुरु/आरडब्ल्यूपी-बेला (बिहार) भेजा, जिससे नए पहियों और एक्सल के निर्माण के लिए कच्चे माल के रूप में उनका उपयोग किया जा सके।

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