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    Delhi News: दिल्ली का एक गांव जहां 21वीं सदी में भी नहीं पहुंची बिजली, चिराग की रोशनी में पढ़ते हैं बच्चे

    Razapur Kalan Village गांव के लोगों का कहना है कि वह वर्षों से यहां पर बिजली देने की मांग कर रहे हैं। वर्ष 2019 में बिजली के लिए सिक्योरिटी भी जमा करवा चुके हैं। गलियों में खंभे लगे हैं लेकिन उन पर बिजली के तार नहीं हैं।

    By Sonu RanaEdited By: JP YadavUpdated: Sat, 22 Oct 2022 03:20 PM (IST)
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    नरेला विधानसभा क्षेत्र का रजापुर कलां गांव। फोटो जागरण

    नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। देश की राजधानी दिल्ली में जहां एक तरफ लोगों को फ्री बिजली देने के दावे किए जाते हैं, वहीं दूसरी तरफ एक गांव ऐसा भी है जहां आज तक लोगों के घरों में बिजली नहीं पहुंची है। प्रकाश का त्योहार दिवाली भी नरेला विधानसभा क्षेत्र के रजापुर कलां गांव का अंधकार नहीं समाप्त कर पाएगा।

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    इस बार भी अंधेरे में मनेगी दिवाली

    मजबूरन गांव के 200 परिवारों को इस बार भी दिवाली अंधेरे में ही मनानी पड़ेगी। रोशनी के त्योहार पर इस गांव में अंधेरा छाया रहेगा। दशकों बाद भी अंधेरा नहीं छंटा है। दरअसल भौरगढ़ के पास के रजापुर कलां में बिजली की सप्लाई नहीं है। गांव के लोग एसडीएम, जिला अधिकारी, पार्षद, विधायक, सांसद तक के दफ्तरों के चक्कर लगा चुके हैं।बिजली विभाग की ओर से भी आश्वासन ही दिया जाता है।

    अधिकारी बोले, नहीं है ट्रांसफर लगाने की जगह

    वहीं, इस बारे में संबंधित अधिकारी ने बताया कि गांव में ट्रांसफार्मर लगाने की जगह नहीं है। इस वजह से गांव के लोगों को बिजली की सुविधा नहीं हो पाई है। पहले एक जगह ट्रांसफार्मर लगाने के लिए जगह चिन्हित की गई थी, लेकिन गांव के लोगों ने वहां ट्रांसफार्मर लगाने पर आपत्ति जताई थी।

    बच्चे दीपक जलाकर करते हैं पढ़ाई

    रजापुर कलां में बिजली न होने की वजह से ज्यादातर बच्चे या तो स्कूल नहीं जाते हैं या रात को दीपक की रोशनी में पढ़ते हैं। रात का प्रकाश तो यहां के बच्चों ने जन्म से ही नहीं देखा है। फिर भी बिजली की समस्या ऐसी ही बनी हुई है।

    महिलाओं से की जाती है छेड़छाड़

    अंधेरा होते ही इलाके में सन्नाटा पसर जाता है। इसका फायदा उठाकर आसपास के असामाजिक तत्व गांव में घुस जाते हैं व महिलाओं व युवतियों से छेड़छाड़ करते हैं।गांव के लोगों ने बताया कि हर दूसरे दिन किसी न किसी बेटी से छेड़छाड़ की जाती है। गलियों में अंधेरा होने की वजह से पता भी नहीं चलता है कि आरोपित कहां से आते हैं और कहां जाते हैं। गांव में नालियां न होने की वजह से कोई शौचालय भी नहीं है, इस वजह से महिलाएं जब शौच के लिए खुले में जाती हैं तो असामाजिक तत्व उन्हें अपना शिकार बनाते हैं।

    मोबाइल चार्ज करके लिए देते हैं पैसा

    मूलभूत सुविधाओं का अभाव गांव में बिजली नहीं होने से लोग मूलभूत सुविधाओं से पिछड़े हुए हैं।लोगों को फोन चार्ज करने के लिए पास की किराना की दुकानों पर जाना पड़ता है। रोज फोन चार्ज करने के लिए भी उन्हें भुगतान करना पड़ता है। कुछ लोग ट्रैक्टर की बैटरियों से मोबाइल चार्ज कर काम चलाते हैं। गांव में बिजली की कमी के कारण सबसे अधिक समस्या छात्रों को शिक्षा अर्जित करने में होती है।

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    पेड़ के नीचे गुजरता है समय

    गर्मियों में दिन के समय तपती गर्मी में लोग पेड़ों के नीचे बैठकर समय व्यतीत करते हैं। रात के समय पूरे गांव में अंधेरा रहता है, इसलिए गांव वह छतों पर सोते हैं। बिजली की समस्या को लेकर जिम्मेदार अधिकारियों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया है। गांव में पानी की भी सुविधा नहीं है। डिब्बों में पानी भरकर रखने को मजबूर हैं।

    जन्म से नहीं देखी बिजली

    मोंटू व गुलजार रहमान ने बताया कि जन्म से लेकर अभी तक उन्होंने बिजली नहीं देखी।इस वजह से यहां के ज्यादातर बच्चे पढ़ नहीं पाते हैं। पढ़ नहीं पाने की वजह से वह बाल मजदूरी करने लग जाते हैं ।गांव में न पानी की सुविधा है और न ही गलियों का निर्माण किया गया है।

    नेता देते हैं सिर्फ आश्वासन

    निवासी सतीश कुमार का कहना है कि जब से हमने होश संभाला है, गांव में बिजली नहीं देखी। पहले हम दीपक के नीचे बैठकर पढ़ाई करते थे, अब हमारे बच्चे मोबाइल टार्च की रोशनी में पढ़ाई करते हैं। आश्वासन देने को नेता व अधिकारी खूब आए, मगर बिजली आज तक नहीं पहुंचा पाए। 

    इस साल भी बिना बिजली बीतेगी दिवाली

    उधर, अन्य ग्रामीण किरण की मानें तो बचपन से लेकर अब तक बिजली नहीं देखी। बेटियां अंधेरे में दीपक जलाकर पढ़ती हैं। दीवाली से पहले घरों में बिजली आ जाए तो त्योहार की खुशी दस गुना बढ़ जाएगी। नहीं आएगी तो हर वर्ष की तरह मोमबत्ती जलाकर दीवाली मनाई जाएगी। 

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