Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यमुना विहार में पेड़ों की अवैध कटाई NGT सख्त, कहा- वृक्षों की सुरक्षा का जिम्मा उप वन संरक्षक पर

    Updated: Sun, 03 Aug 2025 04:01 PM (IST)

    नई दिल्ली में यमुना विहार इलाके में पेड़ों की अवैध कटाई के मामले में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने कड़ा रुख अपनाया है। एनजीटी ने उप वन संरक्षक (उत्तर) को तत्काल कार्रवाई करने का आदेश दिया है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि एक निर्माणकर्ता की खुदाई से पेड़ गिरे और क्षतिग्रस्त हुए जिस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। एनजीटी ने पेड़ों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आदेश दिया।

    Hero Image
    यमुना विहार में पेड़ों की अवैध कटाई पर कार्रवाई हो: एनजीटी

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। पेड़ों की कटाई का मुद्दा काफी गंभीर है। इस समस्या के निदान के लिये प्रयास तो कई किये जा रहे हैं लेकिन उसका कोई उचित समाधान नहीं हो पा रहा है। चंद रुपयों के लालच में पेड़ों की अवैध कटाई की जाती है। यमुना विहार इलाके में पेड़ों की अवैध कटाई के एक मामले में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने उप वन संरक्षक (उत्तर) को जल्द कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। यह आदेश एनजीटी की प्रधान पीठ ने एसडी विंडलेश द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    एनजीटी ने किया स्पष्ट

    याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि यमुना विहार स्थित एक मकान में एक निर्माणकर्ता ने गहरी खोदाई की, जिससे एक पेड़ गिर गया और उसके साथ दो अन्य पेड़ भी क्षतिग्रस्त हो गए। उन्होंने इस घटना की शिकायत बीती 15 जून को उप वन संरक्षक को दी थी, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।

    एनजीटी ने साफ कहा कि याचिकाकर्ता की पहली दो मांगें, प्राथमिकी दर्ज करने और परिसर सील करना, सीआरपीसी के दायरे में आती हैं। इसपर न्यायाधिकरण सीधे आदेश नहीं दे सकता है। इस कारण याचिकाकर्ता ने इन दोनों मांगों को वापस ले लिया है।

    यह भी पढ़ें- 'दिल्लीवालों के लिए बड़ी जीत, पर प्रदूषण के खिलाफ...', पुराने वाहनों को लेकर क्या बोले पर्यावरण मंत्री

    'पेड़ों की सुरक्षा सुनिश्चित करें'

    हालांकि, तीसरी मांग पर न्यायाधिकरण ने कहा कि दिल्ली पेड़ संरक्षण अधिनियम, 1994 के तहत उप वन संरक्षक की जिम्मेदारी बनती है कि वह पेड़ों की सुरक्षा सुनिश्चित करें और किसी भी उल्लंघन की स्थिति में तत्काल कानूनी कार्रवाई करें।

    अधिकारियों की निष्क्रियता पर पीठ ने नाराजगी जताई और आदेश दिया कि उप वन संरक्षक (उत्तर) शिकायतकर्ता की अर्जी पर बिना देरी किए आवश्यक कदम उठाएं। एनजीटी ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि भविष्य में याचिकाकर्ता की कोई अन्य शिकायत हो तो वह फिर से एनजीटी का रुख कर सकता है।

    यह भी पढ़ें- गंगा नदी में प्रदूषण का मामला, बिहार सरकार को राहत; NGT के जुर्माना वाले आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक