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    156 करोड़ रुपये का घोटाला... अदालत ने खारिज की कारोबारी विक्की रमांचा की अग्रिम जमानत

    Updated: Wed, 13 Aug 2025 08:45 AM (IST)

    दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने एंटी-डायबिटिक दवा ओजेम्पिक के 156 करोड़ रुपये के फर्जीवाड़े में विक्की रमांचा की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। अदालत ने धोखाधड़ी की गंभीरता और जन स्वास्थ्य जोखिम को देखते हुए जमानत देने से इनकार किया। अमेरिकी कंपनी ने रमांचा पर नकली दवाएं सप्लाई करने का आरोप लगाया है जिसके बाद एफडीए ने दवाओं को जब्त कर लिया था।

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    घोटाला मामले में कारोबारी विक्की रमांचा की अग्रिम जमानत खारिज।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली में पटियाला हाउस स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की अदालत ने एंटी-डायबिटिक दवा ओजेम्पिक से 156 करोड़ रुपये (18.8 मिलियन अमेरिकी डॉलर) के अंतरराष्ट्रीय फर्जीवाड़ा मामले में कारोबारी विक्की रमांचा को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया।

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    अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सौरभ लालेर ने कहा कि कथित धोखाधड़ी का पैमाना और अमेरिका में नकली दवाएं भेजने से जुड़ा गंभीर स्वास्थ्य जोखिम इस स्तर पर जमानत देने के अनुकूल नहीं है।

    अदालत ने टिप्पणी की कि भारत का दवा उद्योग एक रणनीतिक राष्ट्रीय संपत्ति है, जिसे आपराधिक शोषण से बचाना बेहद जरूरी है। नकली दवाओं की आपूर्ति सीधे जनस्वास्थ्य और सुरक्षा पर हमला है। दवा अपराधों पर त्वरित कार्रवाई फार्मेसी आफ द वर्ल्ड के रूप में भारत की प्रतिष्ठा बनाए रखने और वैध निर्माताओं को नियामकीय प्रतिकूलताओं से बचाने के लिए आवश्यक है।

    अमेरिकी कंपनी अश्योर ग्लोबल एलएलसी ने रमांचा पर आरोप लगाया है कि उन्होंने अमेरिका में नकली ओजेम्पिक दवाएं सप्लाई कीं। शिकायत के अनुसार, रमांचा ने अपनी दुबई स्थित आरएनआर प्रीमियर मेडिकल इक्विपमेंट्स ट्रेडिंग एलएलसी और अमेरिका स्थित आरएनआर ग्लोबल प्रोक्योरमेंट कार्प के माध्यम से 1.25 लाख डोज की सप्लाई के लिए अनुबंध किया था।

    शिकायत में दावा किया गया कि रमांचा ने भारत में राजनीतिक संपर्क होने की बात कही और चीन व हांगकांग की ओउची फार्मा से जारी समझौते और चालान दिखाए, जिन्हें पटियाला हाउस स्थित कोर्ट में नोटरी कराया गया था।

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    शिकायत के अनुसार, जब खेप अमेरिका पहुंची तो अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने जांच के बाद दवाओं को नकली और मिलावटी घोषित करते हुए तुरंत जब्त कर लिया। इसके बाद मामला दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा को सौंपा गया, जिसने कोर्ट के 29 मई 2025 के आदेश के बाद प्राथमिकी दर्ज की।