क्या दिल्ली सरकार को है किसी हादसे का इंतजार ? राजधानी की पहचान बने चुके इस ब्रिज का मेंटेनेंस है सालों से बंद
सिग्नेचर ब्रिज के रखरखाव को लेकर सवाल उठ रहे हैं। डीटीटीडीसी के पास बजट की कमी है और पीडब्ल्यूडी ने रखरखाव की जिम्मेदारी लेने के अनुरोध पर भी कोई जवाब नहीं दिया है। सुरक्षा के लिए जरूरी लोहे के जाल भी नहीं लग पाए हैं। ब्रिज के कांच के कमरे से दिल्ली दर्शन की योजना भी लिफ्ट की वजह से टल गई है। अब सरकार को फैसला लेना है।

वीके शुक्ला, नई दिल्ली। दिल्ली की पहचान बन चुके सिग्नेचर ब्रिज का रखरखाव पिछले कई सालों से बंद है, इसका कारण इसे बनाने वाले दिल्ली पर्यटन एवं परिवहन विकास निगम (डीटीटीडीसी) के पास बजट उपलब्ध न होना है।
यहां तक कि कुछ मामलों में इसका निर्माण करने वाली कंपनी के पास उद्घाटन के पांच साल तक रखरखाव की जिम्मेदारी थी, वह भी 2023 में समाप्त हो गई है। पिछले सात साल में डीटीटीडीसी लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी ) को 16 पत्र लिख चुका है।
जिसमें इस ब्रिज का रखरखाव पीडब्ल्यूडी से अपने हाथ में लेने का अनुरोध किया गया है। यह भी अनुरोध किया गया है कि जब तक पीडब्ल्यूडी रखरखाव अपने हाथ में नहीं लेता, तब तक इसके रखरखाव के लिए बजट उपलब्ध कराए। मगर पीडब्ल्यूडी ने एक भी पत्र का जवाब नहीं दिया है।
एक अधिकारी ने कहा कि सिग्नेचर ब्रिज का रखरखाव अपने हाथ में लेने के लिए पीडब्ल्यूडी मना नहीं कर रहा है। मगर पत्रों का कोई जवाब भी नहीं दे रहा है। पैसा नहीं मिलने के कारण डीटीटीडीसी इस ब्रिज पर के दोनों ओर उन लोहे के जाल भी नहीं लग पाया लगवा पाया है।
जिसके लिए कुछ साल पहले पुलिस ने सुरक्षा की दृष्टि से यहां जाल लगाने का सुझाव दिया था। दरअसल इस ब्रिज से यमुना में कूद कर कई लोग आत्महत्या कर चुके हैं। जिसके बाद दिल्ली पुलिस ने डीटीटीडीसी को यह सुझाव दिया था।
दिल्ली में बनाया गया सिग्नेचर ब्रिज इसलिए भी चर्चा में रहा है क्योंकि यह ब्रिज 154 मीटर ऊंचे टावर पर टिका हुआ है। इस टावर से दोनों ओर निकाले गए मोटे तारों के माध्यम से ब्रिज का 350 मीटर का हिस्सा रोका गया है, जिसमें बीच में अन्य कोई पिलर नहीं है।
यही ऊंचा टावर इस ब्रिज की भव्यता और पहचान है। शीला दीक्षित की सरकार के समय इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ था, इस कार्य के पूरा होने में लगातार देरी होती चली गई और आम आदमी पार्टी के कार्यकाल में 14 साल के बाद इसे पूरा किया गया।
इस ब्रिज पर के ऊपरी भाग में बने कांच के कमरे से दिल्ली दर्शन करने की भी योजना थी। मगर यह योजना इसलिए सफल नहीं हो पाई क्योंकि इस 154 मीटर टावर में लगीं टेढ़ी चलने वाली जिन लिफ्ट काे लगाया गया है। उसमें पब्लिक को ले जाए जाने की अनुमति नहीं है।
इन लिफ्ट का उपयोग केवल ब्रिज के सर्विस कार्य के लिए ही किया जा सकता है। यह बता दें इस ब्रिज का निर्माण पीडब्ल्यूडी के फंड से किया गया है, मगर इसे बनाने वाली एजेंसी डीटीटीडीसी है। जिसे शीला दीक्षित सरकार के समय काम दिया गया था।
4 नवंबर 2018 को ब्रिज का उद्घाटन हाेने पर डीटीटीडीसी ने पीडब्ल्यूडी को पहला पत्र लिखा था, इसके बाद से डीटीटीडीसी लगातार पत्र लिख रहा है। जिस कंपनी ने इसे बनाया था 2023 में पांच साल पूरे होने पर जिन तकनीकी मामलों में उसकी जिम्मेदारी थी, वह भी अब नहीं रही है।
सूत्रों की मानें नई सरकार बनने के बाद टीटीटीसी के अधिकारियों ने पर्यटन मंत्री कपिल मिश्रा के सामने भी इस मुद्दे को रखा है। हालांकि अभी तक इस मामले में कोई हल नहीं निकल सका है।
इस बारे में पीडब्ल्यूडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि डीटीटीडीसी की 16 चिटि्ठयों की उन्हें जानकारी नहीं है। जहां तक इसके रखरखाव के हस्तांतरिित किए जाने का मामला है तो यह सरकार स्तर का मामला है। सरकार ही इस बारे में फैसला ले सकती है।

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