Yamuna Water Level: दिल्ली में बाढ़ का खतरा टला, पर लोगों के सामने अब ये बड़ी समस्या
दिल्ली में यमुना का जलस्तर घटने से बाढ़ का खतरा कम हुआ है पर गाद की समस्या बनी हुई है। यमुना बाजार मजनूं का टीला जैसे इलाकों में मोटी कीचड़ जमा है जिससे सफाई मुश्किल हो रही है। यातायात प्रभावित है और संक्रामक रोगों का खतरा बढ़ गया है। बिजली-पानी की आपूर्ति बाधित होने से लोगों को परेशानी हो रही है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली में यमुना का जलस्तर घटने से बाढ़ का खतरा तो टल गया। पर, पानी हटने से जमा गाद ने प्रभावित इलाकों में सफाई और संक्रामक रोगों के खतरा नई चुनौती खड़ी कर दी है।
बताया गया कि प्रभावित इलाकों यमुना बाजार, मजनूं का टीला, मोनेस्ट्री मार्केट और निगम बोध घाट आदि क्षेत्रों विशेष कर युमना बाार में कई जगहों पर अब भी मोटी गाद और कीचड़ जमा है। इसे लोग आपस में मिलकर हटाने में जुटे हुए हैं लेकिन गाद की मोटी परत होने से इसे हटाने में मुश्किल हो रही है।
वहीं, कई स्थानों पर एक से हो फीट तक पानी भी भरा हुआ है। इसने संक्रामक रोगों की आशंका बढ़ा दी है। सड़कों और गलियों में जमी गाद-कीचड़ से यातायात तो प्रभावित हो रहा है, साथ ही फिसलन से हादसे भी। अब राहत शिविर कैंपों में रह रहे लोगों ने अपने घरों में लौटना शुरू कर दिया है।
यमुना बाजार, मोनेस्ट्री मार्केट और आसपास के इलाकों में दुकानदारों ने दुकानें खोल दी हैं, लेकिन हर जगह कीचड़ और गाद जमी हुई है। स्थानीय लोगों को सफाई, दुर्गंध और मच्छरों की परेशानी झेलनी पड़ रही है। घरों और गलियों में भरे गंदे पानी से संक्रमण और डेंगू-मलेरिया जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। राहत का माहौल जरूर है, पर जनजीवन अभी पूरी तरह सामान्य नहीं हो सका है।
लौट रहे लोग, बिजली-पानी की आपृर्ति अभी बहाल नहीं
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के हजारों लोगों को अस्थायी शिविरों में रखा गया था। अब जबकि पानी उतर रहा है, लोग वापस लौटने लगे हैं। राहत शिविर अब खाली होने लगे हैं। ऐसे में जो लोग अपने रहने खाने का सामान जो जल्दबाजी जो बचा पाए थे उसे लेकर राहत शिविर से लेकर अपने घरो में लेकर पहुंच रहे हैं। लेकिन फिर से जीवन को शुरू करना चुनौती है क्योंकि घरों में बिजली, पीने के पानी और मूलभूत सुविधाएं बहाल होने में दिक्कत हो रही है।
वहीं, पानी घटने के बाद प्रभावित इलाकों जैसे रिंग रोड, सिविल लाइंस, बेला रोड, सोनिया विहार और यमुना बाजार में मोटी कीचड़ की परत जमा हो गई है, जो सफाई को मुश्किल बना रही है। लोग घरों में घुसने से डर रहे हैं, क्योंकि कीचड़ से फिसलन, बदबू और संक्रमण का खतरा है। राहत कैंपों में भी सफाई की कमी से कीचड़ फैल रहा है। यमुना पार और लोहे के पुल के आसपास रहने वाले परिवार अब भी अस्थायी तंबुओं में मजबूर हैं।
बाजार और व्यवसाय पर असर
यमुना बाजार और मोनेस्ट्री मार्केट की दुकानें खुल तो गई हैं, लेकिन ग्राहकी अभी भी कम है। व्यापारी बताते हैं कि सामान भीगने से भारी नुकसान हुआ है। आजीविका पर संकट बना हुआ है और ग्राहक की कमी से बिक्री प्रभावित हो रही है।
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वहीं, अभी भी सभी दुकानें पूरी तरह नहीं खुली है। कुछ लोगों के कर्मचारी बाढ़ के खतरे की वजह से अपने-अपने गांव भी चले गए हैं और नाते रिश्तेदारों के घर जाने से अभी सभी दुकानों को पूरी तरह सुचारू होने में समय लगेगा।
मु्ख्य मार्ग की सफाई करने में जुटा पीडब्ल्यूडी
डूब क्षेत्र में जहां लोग अपने आप ही जैसे-तैसे सफाई करने में जुटे हैं लेकिन मुख्य मार्ग पर पीडब्ल्यूडी जो कीचड़ यमुना के पानी के साथ सड़क पर आ गया था उसकी सफाई की जा रही है। वहीं, फुटपाथ आदि जो क्षतिग्रस्त हो गए थे उसे भी ठीक किया जा रहा है। खास तौर पर कश्मीरी गेट आइएसबीसीटी के पास यह समस्या ज्यादा थी जिसे पीडब्ल्यूडी के कर्मी साफ-सफाई में जुटे थे।
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