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    दिल्ली में खुलेगा भारत का पहला ई-वेस्ट इको पार्क, नार्वे के रेवैक प्रोसेसिंग प्लांट का पर्यावरण मंत्री ने किया दौरा

    Updated: Mon, 04 Aug 2025 08:44 PM (IST)

    दिल्ली सरकार होलंबी कलां में 150 करोड़ रुपये की लागत से भारत का पहला ई-वेस्ट इको पार्क बनाएगी। पर्यावरण मंत्री ने नॉर्वे के रेवैक ई-वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट का दौरा किया। रेवैक सालाना 110000 मीट्रिक टन ई-वेस्ट प्रोसेस करता है। यह इको पार्क पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल पर काम करेगा और 51000 मीट्रिक टन ई-वेस्ट प्रोसेस करेगा जिससे राजस्व मिलेगा और रोजगार पैदा होंगे।

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    अंतरराष्ट्रीय मानकों पर विकसित होगा दिल्ली का ई वेस्ट इको पार्क।

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली के पर्यावरण एवं उद्योग मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने नार्वे के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित रेवैक ई-वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट का दौरा किया। यह सुविधा हाउकेवीन 11, 3174 रेवेटल नार्वे में स्थित है।

    यह दौरा दिल्ली सरकार की उस योजना का अहम हिस्सा है जिसके तहत होलंबी कलां में भारत का पहला ई-वेस्ट इको पार्क विकसित किया जाएगा। यह पार्क लगभग 150 करोड़ की लागत से बनाया जाएगा और सालाना 51,000 मीट्रिक टन ई-वेस्ट को प्रोसेस करेगा।

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    नार्वे का रेवैक प्लांट प्रति वर्ष लगभग 1,10,000 मीट्रिक टन ई-वेस्ट का प्रोसेस करता है, जिससे यह यूरोप की सबसे बड़ी और एडवांस्ड सुविधाओं में से एक है। यह प्लांट जिम्मेदार रीसाइक्लिंग, मटेरियल रिकवरी और प्रदूषण-मुक्त संचालन के लिए जाना जाता है।

    खास बात यह है कि रेवैक से तैयार रीसाइकल मटेरियल भारतीय निर्माताओं को भी निर्यात किया जाता है, जिससे एक सतत सीमा-पार सर्कुलर अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है।

    मंत्री ने कहा कि रेवैक का चयन सिर्फ इसकी वैश्विक साख के कारण नहीं, बल्कि इसलिए भी किया गया है क्योंकि इसका भू-भाग और जलवायु परिस्थितियां होलंबी कलां से मेल खाती हैं, जिससे स्थानीय कार्यान्वयन के लिए इसकी तकनीक और प्रथाएं बेहतर रूप से अपनाई जा सकेंगी।

    होलंबी कलां का आगामी ई-वेस्ट ईको पार्क पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) माडल पर संचालित होगा, जिसे दिल्ली स्टेट इंडस्ट्रियल एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (डीएसआईआईडीसी) द्वारा संचालित किया जाएगा।

    यह पार्क ई-वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स 2022 के अनुसार सभी 106 श्रेणियों के ई-वेस्ट को संभालने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इससे 350 करोड़ से अधिक का राजस्व उत्पन्न होगा, हजारों हरित रोजगार पैदा होंगे और वर्तमान में असंगठित व खतरनाक ई-वेस्ट सेक्टर को औपचारिक रूप दिया जाएगा।

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